जैसलमेर के किले को भूकंप से खतरा!
जयपुर। राजस्थान का थार क्षेत्र भूकंप की जद में है। विशेष्ाज्ञों की मानें तो भूकंप के कुछ झटके थार क्षेत्र को हिला सकते हैं, जिससे बड़े और पुराने भवनों को नुकसान संभव है। गौरतलब है कि ऎतिहासिक और विश्वविख्यात जैसलमेर का किला भी इसी इलाके में आता है। इसके अलावा सांभर लेक लाइन के नीचे की ओर वॉयब्रेशन होने के कारण भूकंप के मामूली झटके भी नुकसान कर सकते हैं।
थार के इलाके में बढ़ी सक्रियता
राजस्थान विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के प्रोफसर एमके पंडित की मानें, तो राजस्थान से होकर गुजरने वाली अरावली पर्वत श्रृंखला में लाखों साल पहले धरती से कुछ दूरी पर जमी प्लेट्सों में काफी हलचत हुआ करती थी। यही कारण था कि उन दिनों अरावली पर्वत के आसपास के इलाकों को इसका खामियाजा ठीक उसी तरह भुगतना होता था जिस तरह आज जापान के हालात हैं।
जापान की धरती के नीचे प्रशांत महासागर के अति सक्रिय होने के कारण वहां भूकंप की स्थिति बनी रहती है लेकिन अब अरावली पर्वत के नीचे मामूली सा वॉयबे्रशन ही है। लेकिन इसके कारण कई बार दिल्ली और गुजरात इलाकों की धरती डोल जाती है। राजस्थान की बात की जाए, तो राजस्थान के थार इलाके के जैसलमेर, सिरोही, पाली, जैसे कुछ जिलों और इनके आसपास के स्थानों से होकर गुजरने वाली अरावली पर्वत माला में हल्का वायब्रेशन होने के कारण धरती डोल सकती है और पुराने और बड़े भवनों को कुछ नुकसान संभव है।
अच्छे हैं छोटे भूकंप
प्रोफेसरों की मानें तो छोटे-छोटे भूकंप अच्छे ही हैं,क्योंकि पृथ्वी की सतह के नीचे मामूली सी उथल-पुथल होते ही ऊपर की धरती हिलने लगती है। अगर ये उथल-पुथल ऊपर तक नहीं आए और नीचे ही दबी रह जाए, तो ऎसा होते रहने से किसी न किसी दिन बड़े भूकंप के खतरे सामने आ सकते हैं, जिसकी विनाशक क्षमता रिक्टर पैमान पर पांच से आठ तक संभव हो सकती है।
जयपुर। राजस्थान का थार क्षेत्र भूकंप की जद में है। विशेष्ाज्ञों की मानें तो भूकंप के कुछ झटके थार क्षेत्र को हिला सकते हैं, जिससे बड़े और पुराने भवनों को नुकसान संभव है। गौरतलब है कि ऎतिहासिक और विश्वविख्यात जैसलमेर का किला भी इसी इलाके में आता है। इसके अलावा सांभर लेक लाइन के नीचे की ओर वॉयब्रेशन होने के कारण भूकंप के मामूली झटके भी नुकसान कर सकते हैं।
थार के इलाके में बढ़ी सक्रियता
राजस्थान विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के प्रोफसर एमके पंडित की मानें, तो राजस्थान से होकर गुजरने वाली अरावली पर्वत श्रृंखला में लाखों साल पहले धरती से कुछ दूरी पर जमी प्लेट्सों में काफी हलचत हुआ करती थी। यही कारण था कि उन दिनों अरावली पर्वत के आसपास के इलाकों को इसका खामियाजा ठीक उसी तरह भुगतना होता था जिस तरह आज जापान के हालात हैं।
जापान की धरती के नीचे प्रशांत महासागर के अति सक्रिय होने के कारण वहां भूकंप की स्थिति बनी रहती है लेकिन अब अरावली पर्वत के नीचे मामूली सा वॉयबे्रशन ही है। लेकिन इसके कारण कई बार दिल्ली और गुजरात इलाकों की धरती डोल जाती है। राजस्थान की बात की जाए, तो राजस्थान के थार इलाके के जैसलमेर, सिरोही, पाली, जैसे कुछ जिलों और इनके आसपास के स्थानों से होकर गुजरने वाली अरावली पर्वत माला में हल्का वायब्रेशन होने के कारण धरती डोल सकती है और पुराने और बड़े भवनों को कुछ नुकसान संभव है।
अच्छे हैं छोटे भूकंप
प्रोफेसरों की मानें तो छोटे-छोटे भूकंप अच्छे ही हैं,क्योंकि पृथ्वी की सतह के नीचे मामूली सी उथल-पुथल होते ही ऊपर की धरती हिलने लगती है। अगर ये उथल-पुथल ऊपर तक नहीं आए और नीचे ही दबी रह जाए, तो ऎसा होते रहने से किसी न किसी दिन बड़े भूकंप के खतरे सामने आ सकते हैं, जिसकी विनाशक क्षमता रिक्टर पैमान पर पांच से आठ तक संभव हो सकती है।
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