मंगलवार, 27 मार्च 2012

कब और कैसे धारण करें किसी भी रत्न/स्टोन/जेम्स को.

कब और कैसे धारण करें किसी भी रत्न/स्टोन/जेम्स को..
जानिए की कोनसा रत्न होगा आपके लिए लाभकारी....



कैसे काम करते है रत्न..


रत्न धारण करना एक विज्ञानं सम्मत उपाय है ! पहना हुआ रत्न सम्बंधित ग्रहों की प्रसारित किरणों को ग्रहण करके मनुष्य के शरीर में पहुचाता है ! जन्मपत्रिका में शुभ एवं योगकारक ग्रहों के रत्न पहनने से हमें लाभ होता हे , इसके विपरीत अशुभ एवं अयोगकारक ग्रहों जैसे ४थे , ८वे ,१२वे भाव के स्वामी ग्रहों के रत्न पहनने से व्यक्ति को हनी भी पहुच सकती है ! रत्न धारण करने के अलग अलग आधार ज्योतिषी अपने आधार अपनाता है ! कुछ ज्योतिषी केवल महादशा देखकर महादशा स्वामी का रत्न धारण करने की सलाह देते है , जो की 100 प्रतिशत गलत है ! क्यूंकि ऐसे में महादशा स्वामी मारक भाव का स्वामी होगा तो निश्चित ही हानि देगा


रत्न कोई भी हो अपने आपमें प्रभावशाली होता है। हीरा शुक्र को अनुकूल बनाने के लिए होता है तो नीलम शनि को। इसी प्रकार माणिक रत्न सूर्य के प्रभाव को कई गुना बड़ा कर उत्तम फलदायी होता है। मोती जहाँ मन को शांति प्रदान करता है ‍तो मूँगा उष्णता को प्रदान करता है। इसके पहनने से साहस में वृद्धि होती है।
रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज्यादा पहने जाते हैं। सूर्य के लिए माणिक, चन्द्र के लिए मोती, मंगल के लिए मूँगा, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद, केतु के लिए लहसुनियाँ।
जन्मपत्रिका के आधार पर व ग्रहों की स्थितिनुसार संयुक्त रत्न पहन कर उत्तम लाभ पाया जा सकता है। संयुक्त रत्न में माणिक-पन्ना, पुखराज-माणिक, मोती-पुखराज, मोती-मूँगा, मूँगा-माणिक, मूँगा-पुखराज, पन्ना-नीलम, नीलम-हीरा, हीरा-पन्ना, माणिक-पुखराज-मूँगा, माणिक-पन्ना, मूँगा भी पहना जा सकता है।


क्या नहीं पहना जा सकता इसे भी जान लेना आवश्यक है..???
लहसुनियाँ-हीरा, मूँगा-नीलम, नीलम-माणिक। संयुक्त रत्न तभी पहने जाते है जब जन्मपत्रिका में देख व अनुकूल ग्रहों की अवस्था हो या दशा-अन्तर्दशा चल रही है। ऐसी स्थिति में श्रेष्‍ठ फलदायी होते हैं।


पुखराज तर्जनी में ही क्यों पहनने की सलाह देते हैं?
- क्योंकि कोई भी व्यक्ति धमकी, निर्देश आदि देता है तो इसी उँगली से देता है। यही उँगली लड़ाई का भी कारण बनती है, तो होशियार करने के लिए भी काम आती है। इसलिए गुरु का रत्न पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। पुखराज पहनने से उस जातक में गंभीरता आती है। साथ ही वह अन्याय के प्रति सजग हो जाता है। यह धर्म-कर्म में भी आस्था जगाता है। गुरु का प्रभाव बढ़ाने और उसके अशुभ प्रभाव को खत्म करने के लिए पुखराज पहना जाता है।


अधिकांश व्यक्ति पुखराज पहनते हैं इनमें प्रमुख राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी, न्यायाधीश, मंत्री, राजनायक, अभिनेता आदि की उँगली में देखा जा सकता है। पुखराज के साथ माणिक पहना जाए तो अति शुभ फल भी मिल सकते हैं। मध्यमा में नीलम धारण करते है व इसके अलावा कोई भी रत्न नहीं पहनना चाहिए अन्यथा शुभ परिणाम नहीं मिलते। इस उँगली पर ही आकर भाग्य रेखा खत्म होती है जिनकी भाग्य रेखा न हो वे किसी जानकार से सलाह लेकर नीलम पहन कर लाभ पा सकते हैं।


पुखराज रत्न सभी रत्नों का राजा है। इसे पहनने वाला प्रतिष्‍ठा पाता है व उच्च पद तक आसीन हो सकता है। अपनी योग्यतानुसार रत्न पहनने से कार्य में आने वाली बाधाओं को दूर कर राह आसान बना देते हैं। यूँ तो रत्न अधिकांश अलग-अलग व अलग-अलग धातुओं में पहने जाते है। लेकिन मेरे अनुभव से संयुक्त रत्न पहनवाकर कईयों को व्यापार में उन्नति, नौकरी में पदोन्नति, राजनीति में सफलता, कोर्ट-कचहरी में सफलता, शत्रु नाश, कर्ज से मुक्ति, वैवाहिक ‍तालमेल में बाधा को दूर कर अनुकूल बनाना, संतान कष्ट, विद्या में रुकावटें, विदेश, आर्थिक उन्नति आदि में सफल‍ता दिलाई।


नीलम शनि के शुभ फल देने में सहायक होता है, यह अक्सर लोहे के व्यवसायी, प्रशासनिक व्यक्ति, राजनेता भी पहने देखे जा सकते है। इसके बारे में यह कहावत है कि यह रत्न तुरन्त फलदायी होता है व इसका शुभ या अशुभ परिणाम शीध्र देने में सक्षम हैं। यह रत्न बगैर किसी जानकार की सलाह के नहीं पहनना चाहिए।


माणिक अनामिका में पहना जाता है, यह सूर्य का रत्न है। बर्मा का माणिक अधिक महँगा होता है, वैसे आजकल कई नकली माणिक भी बर्मा का कहकर बेच देते हैं। बर्मा का माणिक अनार के दाने के समान होता है। इसके पहनने से प्रशासनिक, प्रभाव में वृद्धि व शत्रुओं को परास्त करने में भी सक्षम है। इसे भी नेता राजनीति से संबंध रखने वाले, उच्च पदाधिकारी, न्यायाधीश, कलेक्टर आदि की उँगली में देखा जा सकता हैं।


कनिष्का उँगली में पन्ना पहना जाता है। यह बौधिक गुणों को बढ़ाता है, जिसे बिजनेसमैन ज्यादा पहनते हैं। इसको पहनने से पत्रकारिता, सेल्समैन, प्रकाशन, दिमागी कार्य करने वाले, कलाकार, वाकपटु व्यक्ति भी पहनते हैं।


हीरा, मोती, मूँगा, गोमेद व लहसुनियाँ। मूँगा ऊर्जा बढ़ाने वाला, साहस, महत्वाकाँक्षा में वृद्धि व शत्रुओं पर प्रभाव डालने वाला होता है। इसके मित्र गुरु, सूर्य हैं व मकर में उच्च का होने से इसे मध्यमा, तर्जनी व अनामिका में धारण किया जाता है। इसको अक्सर राजनीतिज्ञ, पुलिस प्रशासन से जुडे व्यक्ति व उच्च पदाधिकारी, भूमि से संबंधित व्यक्तिगण, बिल्डर, कॉलोनाइजर आदि द्वारा पहना हुआ देखा जा सकता है। इसे माणिक, पुखराज के साथ भी धारण कर सकते हैं। जिन्हें गुस्सा अधिक आता हो वे इस रत्न को ना पहने। मूँगे को मोती के साथ भी या संयुक्त रत्न की अँगूठी पहनी जा सकती है।


कनिष्का उँगली में मोती पहनना शुभ फलदायी रहता है, क्योंकि कनिष्का उँगली के ठीक नीचे चन्द्र पर्वत है। इस कारण चन्द्र के अशुभ परिणाम व शुभत्व के लिए शुभ रहता है। उसे अनामिका में नहीं पहनना चाहिए। गुरु की उँगली तर्जनी में भी पहन सकते हैं। यह रत्न मन को अशान्ति से बचाता है व जिन्हें ज्यादा गुस्सा आता हो, जो जल कार्य से जुड़े व्यक्ति, दूध व्यवसायी, सफेद वस्तुओं के व्यवसाय से जुडे़ व्यक्ति भी पहन सकते हैं। इसे पुखराज के साथ व माणिक के साथ भी पहना जा सकता है।


हीरा रत्न अत्यन्त महंगा व दिखने में सुन्दर होता है। इसे गुरु की उँगली तर्जनी में पहनते हैं, क्योंकि तर्जनी उँगली के ठीक नीचे शुक्र पर्वत होता है। शुक्र के अशुभ प्रभाव को नष्ट कर शुभ फल हेतु हीरा पहनते हैं। इसे कलाकार, सौंदर्य प्रसाधन से जुडे़ व्यक्ति, प्रेमी, इंजीनियर, चिकित्सक, कलात्मक वस्तुओं के विक्रेता आदि पहन सकते हैं।


राहु का रत्न गोमेद कनिष्का में पहनना चाहिए क्योंकि मिथुन राशि में उच्च का होने से बुध की उँगली कनिष्का में पहनना शुभ फलदायी रहता है। इसे राजनीति, जासूसी, जुआ-सट्टा, तंत्र-मंत्र से जुडे़ व्यक्ति आदि पहनते हैं। यह राहु के अशुभ प्रभाव को दूर करता है।


लहसुनियाँ रत्न तर्जनी में पहनना चाहिए क्योंकि गुरु की राशि धनु में उच्च का होता है। यह ऊँचाइयाँ प्रदान करता है व शत्रुहन्ता होता है। इस रत्न को हीरे के साथ कभी भी नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि इससे बार-बार दुर्घटना के योग बनता रहेगा।


कभी-कभी व्यापार नहीं चल रहा हो, अच्छी सफलता नहीं मिल रही हो तो चार रत्न यथा पुखराज-मूँगा, माणिक व पन्ना पहनें तो सफलता मिलने लग जाती है। रत्नों की सफलता तभी मिलती है जब शुभ मुहूर्त में उसी के नक्षत्र में बने हो या जो ग्रह प्रभाव में तेज हो उसके नक्षत्र में बने हो व पहनने का भी उसी ग्रह के नक्षत्र में हो तब लाभ भी कई गुना बढ़ जाता है।


गलत मानसिकता...???????

आमतौर पर लोग मोती रत्न पहन लेते है , जब उनसे पूछा जाता है की यह रत्न आपने क्यों पहना तो 95 प्रतिशत लोगो का जबाब होता है की " मुझे गुस्सा बहुत आता है , गुस्सा शांत रहे इसलिए पहना है" यह बिलकुल गलत है ! मोती रत्न चन्द्रमा ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है , और यह ग्रह आपकी जन्मकुंडली में शुभ भी हो सक्ता है और अशुभ भी ! यदि चंद्रमा शुभ ग्रहों के साथ शुभ ग्रहों की राशि में और शुभ भाव में बैठा होगा तो निश्चित ही मोती रत्न आपको फायदा पहुचाएगा ! इसके विपरीत अशुभ ग्रहों के साथ होने से शत्रु ग्रहों के साथ होने से मोती नुसकान भी पंहुचा सकता है! इसी तरह गुरु ग्रह को विवाह का करक ग्रह मानकर व्यक्ति गुरु ग्रह का रत्न पुखराज पहनता है ताकि विवह में आने वाली बाधा दूर हो जाए !लेकिन यदि गुरु ६ टे भाव का होगा जो की ७वे भाव से १२ पड़ता है तो गुरु रत्न पुखराज विवाह में देरी के लिए जिम्मेदार होगा और वैवाहिक जीवन को हानि पहुचाएगा ! दोस्तों सभी ग्रह अच्छे होते है और सभी ग्रह बुरे या अशुभ ! ये बिल्कुल गलत है की गुरु ग्रह हमेशा शुभ फल देगा और राहू शनि हमेशा अशुभ फल देंगे ! वास्तव में इन ग्रहों की शुभता अशुभता जन्मकुंडली में बैठने पर निर्भर होती है , इसलिए कोई भी रत्न धारण करने से पहले वह रत्न आपके लिए शुभ है या नहीं और उससे होने वाले फायदे नुकसान अवश्य जाने

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स्वामी विशाल चैतन्य (पंडित दयानन्द शास्त्री )
Mob.--

---09411190067(UTTARAKHAND);;

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