एक मामले में हाई कोर्ट ने पत्नी के सेक्स से इनकार को पति पर मानसिक क्रूरता मानते हुए तलाक के पक्ष में फैसला दिया। 17 फरवरी 1991 को सुरेश और रेखा (बदले हुए नाम) की शादी हुई। सुरेश ने निचली अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल करते हुए कहा कि उनकी पत्नी का बर्ताव शादी के बाद से ही ठीक नहीं था। उनकी पत्नी ने उनके साथ संबंध बनाने में उदासीन रवैया अपनाया और शादी के रस्मो-रिवाज में भी हिस्सा नहीं लिया। इतना ही नहीं, 14 अप्रैल 1992 को वह बिना बताए मायके चली गईं।
रेखा का आरोप था कि शादी के फौरन बाद उन्हें दहेज के लिए ताना दिया गया और पति ने शारीरिक संबंध के बारे में जो भी आरोप लगाए हैं, वे गलत हैं। रस्मो-रिवाज में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। सुरेश के फेवर में निचली अदालत ने तलाक की डिक्री दी, जिसे रेखा ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
हाई कोर्ट ने इस मामले पर चिंता जाहिर की और कहा, 'शादी से जुड़े विवादों में अक्सर यह पता लगाना मुश्किल होता है कि कपल में से कौन सही बोल रहा है। इस मामले में जो भी बातें कोर्ट के सामने कही जाती हैं, वे आम तौर पर मौखिक होती है। घर के अंदर क्या हो रहा है, यह कपल ही बेहतर जानते हैं। इनके बीच आपसी संबंध बने या नहीं या फिर कितनी बार बने, यह भी कपल ही बता सकता है। संबंध के लिए दोनों में से किसने इनकार किया या नहीं, यह सब इनके बयानों पर आधारित होता है।'
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'शादीशुदा जिंदगी में सेक्स से जुड़ी परेशानियां संक्रामक बीमारी बनती जा रही हैं। कहीं न कहीं शहरी माहौल कपल पर दबाव डालता है। यह सब शादी के पवित्र रिश्ते और अटूट बंधन को कमजोर कर रहा है। सेक्स रिलेशंस में खुश न रह पाने की वजह से कई कपल तलाक ले रहे हैं।' हाई कोर्ट ने यह कॉमेंट करते हुए क्रुएलिटी के आधार पर पति के फेवर में तलाक की डिक्री दिए जाने के निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया।
हाई कोर्ट के जस्टिस कैलाश गंभीर ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में पेश सबूतों से यह बात सामने आ रही है कि पति के साथ मानसिक प्रताड़ना हुई है और निचली अदालत के फैसले में दखल देने की जरूरत नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में सुरेश ने कहा कि उनकी पत्नी रेखा ने शादी के बाद पहली रात संबंध बनाने से इनकार किया। इतना ही नहीं शादी के बाद 5 महीने में सिर्फ 10 से 15 बार संबंध बनाए और यह सब क्रुएलिटी के दायरे में आता है। साथ ही सुरेश ने यह भी साबित किया कि उसकी पत्नी रेखा ने शादी के बाद के तमाम रीति-रिवाजों में भाग नहीं लिया। इसके लिए सुरेश ने तमाम सबूत पेश किए और कहा कि यह सब क्रुएलिटी के दायरे में आता है। वहीं दूसरी तरफ रेखा ने अपने बयानों को साबित नहीं किया। साथ ही वह दहेज डिमांड को भी साबित नहीं कर पाई।
हाई कोर्ट ने कहा, 'इस मामले में पेश किए गए तमाम सबूतों से यह ऑपिनियन बन रही है कि सुरेश कहीं न कहीं मेंटल क्रुएलिटी के शिकार हुए हैं। इस मामले में निचली अदालत के ऑर्डर में कुछ भी गैर कानूनी नहीं है और निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा जाता है। रेखा की अपील खारिज की जाती है।'
रेखा का आरोप था कि शादी के फौरन बाद उन्हें दहेज के लिए ताना दिया गया और पति ने शारीरिक संबंध के बारे में जो भी आरोप लगाए हैं, वे गलत हैं। रस्मो-रिवाज में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। सुरेश के फेवर में निचली अदालत ने तलाक की डिक्री दी, जिसे रेखा ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
हाई कोर्ट ने इस मामले पर चिंता जाहिर की और कहा, 'शादी से जुड़े विवादों में अक्सर यह पता लगाना मुश्किल होता है कि कपल में से कौन सही बोल रहा है। इस मामले में जो भी बातें कोर्ट के सामने कही जाती हैं, वे आम तौर पर मौखिक होती है। घर के अंदर क्या हो रहा है, यह कपल ही बेहतर जानते हैं। इनके बीच आपसी संबंध बने या नहीं या फिर कितनी बार बने, यह भी कपल ही बता सकता है। संबंध के लिए दोनों में से किसने इनकार किया या नहीं, यह सब इनके बयानों पर आधारित होता है।'
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'शादीशुदा जिंदगी में सेक्स से जुड़ी परेशानियां संक्रामक बीमारी बनती जा रही हैं। कहीं न कहीं शहरी माहौल कपल पर दबाव डालता है। यह सब शादी के पवित्र रिश्ते और अटूट बंधन को कमजोर कर रहा है। सेक्स रिलेशंस में खुश न रह पाने की वजह से कई कपल तलाक ले रहे हैं।' हाई कोर्ट ने यह कॉमेंट करते हुए क्रुएलिटी के आधार पर पति के फेवर में तलाक की डिक्री दिए जाने के निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया।
हाई कोर्ट के जस्टिस कैलाश गंभीर ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में पेश सबूतों से यह बात सामने आ रही है कि पति के साथ मानसिक प्रताड़ना हुई है और निचली अदालत के फैसले में दखल देने की जरूरत नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में सुरेश ने कहा कि उनकी पत्नी रेखा ने शादी के बाद पहली रात संबंध बनाने से इनकार किया। इतना ही नहीं शादी के बाद 5 महीने में सिर्फ 10 से 15 बार संबंध बनाए और यह सब क्रुएलिटी के दायरे में आता है। साथ ही सुरेश ने यह भी साबित किया कि उसकी पत्नी रेखा ने शादी के बाद के तमाम रीति-रिवाजों में भाग नहीं लिया। इसके लिए सुरेश ने तमाम सबूत पेश किए और कहा कि यह सब क्रुएलिटी के दायरे में आता है। वहीं दूसरी तरफ रेखा ने अपने बयानों को साबित नहीं किया। साथ ही वह दहेज डिमांड को भी साबित नहीं कर पाई।
हाई कोर्ट ने कहा, 'इस मामले में पेश किए गए तमाम सबूतों से यह ऑपिनियन बन रही है कि सुरेश कहीं न कहीं मेंटल क्रुएलिटी के शिकार हुए हैं। इस मामले में निचली अदालत के ऑर्डर में कुछ भी गैर कानूनी नहीं है और निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा जाता है। रेखा की अपील खारिज की जाती है।'
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