शंघाई. चीनी कारोबारियों के कब्जे में एक पखवारे से अधिक समय तक बंधक बने रहे भारतीय कारोबारियों को अमानवीय यातनाएं दी गईं। दीपक रहेजा और श्यामसुंदर अग्रवाल नाम के दोनों कारोबारियों का दावा है कि जब वे चीनी कारोबारियों के बंधक थे, उस समय उन्हें यूरीन पीने और मानव मल खाने को मजबूर किया गया। अग्रवाल ने कहा, 'कृपया हमें बचाइए। हमें पुलिस चौकी से बाहर आने में डर लग रहा है, क्योंकि हमें डर है कि हमें मार दिया जाएगा।' अग्रवाल और रहेजा दोनों के एक पुलिस चौकी पर रखा गया है।
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक बालचंद्रन बीते शनिवार को कोर्ट रूम में छह घंटे तक फंसे रह गए और चीनी लोगों ने उन्हें न तो भोजन करने दिया और न ही दवा खाने दी। डायबिटीज के मरीज बालचंद्रन ने कई बार खाने की मांग की, लेकिन उन्हें खाना नहीं मिला। इसके बाद जब बालचंद्रन बाहर निकले तो उनका सामना गुस्साए चीनियों और डरे हुए भारतीय व्यापारियों से हुआ। वे बेहोश होकर गिर गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा था। हालांकि, अब वे अपने घर चले गए हैं और उनकी सेहत बेहतर बताई जा रही है। इससे पहले सोमवार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की। शंघाई स्थित महावाणिज्य दूत ने स्थानीय प्रशासन से अपना विरोध दर्ज करा दिया है।
सोमवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली स्थित चीनी राजनयिक मिशन को तलब किया। डिप्टी चीफ मिशन झांग यूए ने कहा कि हम पूरे मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों देश की सरकारें इस हालात को संभाल लेंगी।
क्या है मामला
यिवू में यूरो ग्लोबल कंपनी का मालिक स्थानीय व्यापारियों को बकाया चुकाए बिना फरार हो गया। वह यमन या पाकिस्तान का नागरिक बताया जा रहा है। स्थानीय कारोबारियों ने उस कंपनी के दो भारतीय कर्मचारियों (दीपक रहेजा और श्यामसुंदर अग्रवाल) को दो हफ्ते से बंधक बना रखा था। बालाचंद्रन इन्हें ही रिहा कराने यिवू की कोर्ट में गए थे। वहां पांच घंटे तक सुनवाई चली। कोर्टरूम से बाहर निकलते समय स्थानीय व्यापारियों ने उन्हें बुरी तरह पीटा। वे बेहोश हो गए। उन्हें पैरों में भी चोट लगी है। अधिकारियों और कुछ भारतीय व्यापारियों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया। रविवार को उन्हें शंघाई लाया गया। जहां अब उनकी हालत में सुधार है।
पुलिस हिरासत में भारतीय
राजनयिक की पिटाई पुलिस अधिकारियों और जज की मौजूदगी में हुई। भीड़ नहीं चाहती थी कि बालाचंद्रन रहेजा और अग्रवाल को ले जा सकें। वे उनसे खरीदी उपभोक्ता सामग्री के लिए बकाया लाखों युआन मांग रहे थे। कोर्ट ने दोनों को रिहा कर दिया, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस हिरासत में रखा है। उनकी रिहाई के लिए एक वकील नियुक्त किया गया है। दोनों मुंबई निवासी हैं। उनके परिजन दूतावास से संपर्क में हैं। यिवू में 100 से ज्यादा भारतीय व्यापारी रहते हैं। पिछले साल भारतीयों ने 15 अरब डॉलर की खरीदारी की थी।
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक बालचंद्रन बीते शनिवार को कोर्ट रूम में छह घंटे तक फंसे रह गए और चीनी लोगों ने उन्हें न तो भोजन करने दिया और न ही दवा खाने दी। डायबिटीज के मरीज बालचंद्रन ने कई बार खाने की मांग की, लेकिन उन्हें खाना नहीं मिला। इसके बाद जब बालचंद्रन बाहर निकले तो उनका सामना गुस्साए चीनियों और डरे हुए भारतीय व्यापारियों से हुआ। वे बेहोश होकर गिर गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा था। हालांकि, अब वे अपने घर चले गए हैं और उनकी सेहत बेहतर बताई जा रही है। इससे पहले सोमवार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की। शंघाई स्थित महावाणिज्य दूत ने स्थानीय प्रशासन से अपना विरोध दर्ज करा दिया है।
सोमवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली स्थित चीनी राजनयिक मिशन को तलब किया। डिप्टी चीफ मिशन झांग यूए ने कहा कि हम पूरे मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों देश की सरकारें इस हालात को संभाल लेंगी।
क्या है मामला
यिवू में यूरो ग्लोबल कंपनी का मालिक स्थानीय व्यापारियों को बकाया चुकाए बिना फरार हो गया। वह यमन या पाकिस्तान का नागरिक बताया जा रहा है। स्थानीय कारोबारियों ने उस कंपनी के दो भारतीय कर्मचारियों (दीपक रहेजा और श्यामसुंदर अग्रवाल) को दो हफ्ते से बंधक बना रखा था। बालाचंद्रन इन्हें ही रिहा कराने यिवू की कोर्ट में गए थे। वहां पांच घंटे तक सुनवाई चली। कोर्टरूम से बाहर निकलते समय स्थानीय व्यापारियों ने उन्हें बुरी तरह पीटा। वे बेहोश हो गए। उन्हें पैरों में भी चोट लगी है। अधिकारियों और कुछ भारतीय व्यापारियों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया। रविवार को उन्हें शंघाई लाया गया। जहां अब उनकी हालत में सुधार है।
पुलिस हिरासत में भारतीय
राजनयिक की पिटाई पुलिस अधिकारियों और जज की मौजूदगी में हुई। भीड़ नहीं चाहती थी कि बालाचंद्रन रहेजा और अग्रवाल को ले जा सकें। वे उनसे खरीदी उपभोक्ता सामग्री के लिए बकाया लाखों युआन मांग रहे थे। कोर्ट ने दोनों को रिहा कर दिया, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस हिरासत में रखा है। उनकी रिहाई के लिए एक वकील नियुक्त किया गया है। दोनों मुंबई निवासी हैं। उनके परिजन दूतावास से संपर्क में हैं। यिवू में 100 से ज्यादा भारतीय व्यापारी रहते हैं। पिछले साल भारतीयों ने 15 अरब डॉलर की खरीदारी की थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें