मंगलवार, 3 जनवरी 2012

बाड़मेर.आज की ताजा खबर. ३ जनवरी, 201२


ढाणी में आग से विवाहिता जिंदा जली

दो ढाणियां खाक, दो बकरी के बच्चे भी मरे

सिणधरी (बाड़मेर) ग्राम पंचायत खारा महेचान में बामणी फांटा के पास स्थित दो ढाणियों में रविवार रात करीब 11 बजे अचानक आग लग जाने से एक ढाणी में सो रही महिला जिंदा जल गई। वहीं उसी ढाणी में बंधे दो बकरी के बच्चे भी जल मरे। आग में दोनों ढाणियां घरेलू सामान सहित खाक हो गई। सूचना मिलने पर प्रशासन, पुलिस व फायरब्रिगेड जाब्ता भी मौके पर पहुंचा। बामणी फांटा के पास स्थित वेहनाराम की ढाणी में उसकी पत्नी रुखमों (20) अकेली सो रही थी। ढाणी में दो बकरी के बच्चे भी बंधे थे। रात करीब 11 बजे अचानक आग लगने से पड़ोस में स्थित वेहनाराम के भाई दमाराम की ढाणी को भी चपेट में ले लिया। ग्रामीणों ने अपने स्तर पर आग बुझाने का प्रयास करने के साथ प्रशासन को सूचना दी। दमकल मौके पर पहुंची, मगर तब तक सबकुछ जलकर खाक हो चुका था। प्रशासन की मौजूदगी में ही पुलिस ने मृतका के शव का पोस्टमार्टम करवाया। उल्लेखनीय है कि मृतका की शादी एक वर्ष पूर्व ही हुई थी और इनके कोई संतान भी नहीं थी। विवाहिता का पति मजदूरी के लिए जोधपुर गया हुआ था। सिणधरी उप तहसीलदार राकेश चौधरी, थानाधिकारी सुरेंद्रसिंह, पटवारी विष्णुराम, खारा महेचान सरपंच, पूर्व सरपंच सहित सैकडों ग्रामीण पहुंचे।

वनक्षेत्र में फिर लगी आग : सिणधरी के पास लोहिड़ा गांव में ओरण भूमि में रविवार शाम लगी आग में करीब एक किलोमीटर परिधि में लगे पेड़-पौधे आग की भेंट चढ़ गए।


लूनी नदी के किनारे स्थित ओरण भूमि पर आग की सूचना पर मुख्य आरक्षी रणवीरसिंह मय जाब्ता व ग्रामीण पहुंचे। इसके बाद ट्रैक्टर टंकियों से पानी लाकर आग पर काबू पाया। इस क्षेत्र में दूसरी बार आग की घटना से ग्रामीणों में भी दहशत नजर आई। 



इस्तगासे के जरिए हत्या का मामला दर्ज

बाड़मेर चौहटन थाने में इस्तगासे के जरिए एक युवक से मारपीट कर टांके में डालकर हत्या करने का मामला दर्ज हुआ। पुलिस के अनुसार पताराम पुत्र हुकमाराम जाट निवासी बावड़ी कला ने मामला दर्ज करवाया कि गत 4 अक्टूबर 2011 को उसके चचेरे भाई वागाराम पुत्र गोरधन राम के साथ उसके सगे भाई खेताराम व सूजा राम के साथ नथाराम पुत्र हीरा राम व सोहन राम पुत्र उत्तमा राम जाट ने मिलकर मारपीट की। इसके बाद उसे टांके में डाल दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। उल्लेखनीय है कि इस मामले में पहले मर्ग दर्ज हुआ था, इसके बाद अब हत्या का मामला दर्ज करवाया गया है।



बीते साल हादसों ने ली सौ जान


पिछले एक साल में दर्जनों अपंग हुए तो चोटिल होने वालों की संख्या अनगिनत, राजमार्गों पर मानकों की पालना में लापरवाही, कहीं पटरियां क्षतिग्रस्त तो, कहीं जानलेवा साबित हो रहे हैं डिवाइडर व स्पीड ब्रेकर।


बाड़मेरजगह-जगह बिना मापदंड के बने स्पीड ब्रेकर, ऊबड़-खाबड़ पटरियां और सड़क के बीचो-बीच रोड़ा बन खड़े दीवार नुमा डिवाइडर, ये दशा थार जिले से गुजरने वाले नेशनल व स्टेट हाई-वे की है। कहीं सांकेतिक चिह्न नदारद है तो कहीं हाई-वे परिधि में हुए अतिक्रमण ने रोड को संकरा कर दिया हैं। बीते साल के आंकड़े गवाह है कि खस्ताहाल सड़क मार्गों के कारण जिले में सौ से ज्यादा लोग काल का ग्रास बन चुके हैं।

पटरियों की मेंटिनेंस ही नहीं

राजमार्गों पर लगातार वाहनों की आवाजाही से डामर सड़क के पास बनी पटरियों का लेवल नीचा हो जाता है। नियमानुसार डामर व पटरी का लेवल मेंटिनेंस होते रहना चाहिए, पर ऐसा हो नहीं रहा। इसके चलते भारी व तेजगति से आ रहे वाहन की सड़क से उतरते ही पलटने की पूरी आशंका बन जाती है। वहीं बारिश के बाद सड़क पर कई जगहों पर रेन बस्ट हो जाते हैं, जो मरम्मत नहीं होने के चलते वाहन चालकों के लिए दुर्घटनाओं का सबब बनते हैं।

कुछ मोड़ खत्म करने के लिए प्रस्ताव भेजे हैं

॥कई ऐसे मोड़ हैं, जो आसानी से हट सकते हैं, पर उसके लिए जमीन अवाप्ति की जरूरत है। इसके लिए हमने प्रस्ताव बनाकर भेज दिए हैं। मेगा स्टेट हाई-वे की जिम्मेदारी रिडकोर के पास ही है। वैसे ज्यादातर दुर्घटनाएं चालक की लापरवाही के चलते होती है, जिसमें वाहन आमने-सामने से भिड़ते हैं।

गिरीश माथुर, एक्सईएन, नेशनल हाई-वे खंड, बाड़मेर।


दुर्घटनाओं का सबब बनी स्टेट मेगा हाई-वे की बनावट

जानकारों का मानना है कि पंजाब से कांडला की ओर जाने वाले नेशनल हाई-वे सं. 15 के बाइपास के रूप में बनाए गए स्टेट मेगा हाई-वे की बनावट दुर्घटनाओं का सबब बनी हुई है। जिले में गत वर्ष बड़ी दुर्घटनाएं भी स्टेट मेगा हाई-वे पर ही हुईं, जो शेरगढ़-पचपदरा-बालोतरा-सिणधरी-गुड़ामालानी-रामजी का गोल होते हुए कांडला की ओर जाता है। इस राजमार्ग पर पचपदरा से शेरगढ़ के बीच इतने घुमावदार मोड़ है कि तेजगति से आने वाले वाहन चालक को सामने से आ रहे दूसरे वाहन का एकदम से पता ही नहीं चलता। वहीं पचपदरा से सिणधरी तक जगह-जगह से क्षतिग्रस्त पटरियां भी दुर्घटनाओं का कारण बन रही है। स्टेट मेगा हाई-वे पर गलत ढंग से बने चौराहे रात में भारी वाहन चालकों को नजर ही नहीं आते। बालोतरा शहर के बाहर से निकलने वाले बाइपास से पहले सड़क के बीचो-बीच दीवार की आकार के बने डिवाइडर से तो आए दिन वाहन टकराते हैं। हाई-वे अधिकारी इस बारे में यह कहकर पल्ला झाड़ देते हैं कि इसकी जिम्मेदारी व मेंटीनेंस रिडकोर कंपनी के जिम्मे हैं तो रिडकोर टोल वसूलने पर ज्यादा ध्यान देती नजर आती है, मेंटीनेंस पर कम। 


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