बुधवार, 18 जनवरी 2012

जैसलमेरी साफे की बढ़ी डिमांड


जैसलमेरी साफे की बढ़ी डिमांड

चूंदडी व पचरंगी साफे का चलन बढ़ा अन्य शहरों से भी लोग आते हैं साफा बंधवाने

जैसलमेर  मलमास की समाप्ति के साथ ही शहर में शादी समारोह की धूम शुरू हो गई है। शादी समारोह में शिरकत होने वाले हर आदमी की चाहत होती है कि वह जैसलमेरी साफे के साथ बारात में शामिल हो। इसी के चलते इन दिनों शहर के प्रमुख साफा बांधने के कारिगरों को साफे बांधने से फुरसत ही नहीं मिल रही है। जैसलमेरी शैली का साफा अपनी विशेष बनावट एवं मजबूती के लिए प्रसिद्ध है। आठ मीटर लंबे जैसलमेरी साफे में 12 पेंच होते है तथा कहा जाता है कि एक बार में यह साफा तलवार का वार भी सहन कर सकता है। सिर को पूरी तरह ढकने वाले इस साफे की डिमांड दिनों दिन अन्य शहरों में भी बढ़ रही है।

बढ़ गई डिमांड

शादीयां प्रारंभ होते ही जैसलमेरी साफा की डिमांड बढ़ गई। मरु महोत्सव के दौरान साफा बांधने में प्रथम स्थान पर रह चुके एवं साफा बांधने के एक्सपर्ट मुकेश कुमार बिस्सा ने बताया कि आम दिनों से अधिक संख्या में लोग इन दिनों साफा बंधवाने आ रहे है। यहां तक की जोधपुर, बीकानेर, मद्रास व नागपुर से भी लोग यहां साफा बंधवाने आ रहे है। जो जैसलमेरी लोग शहरों में रह रहे है तथा उनके शादी समारोह उन्हीं शहरों में है वह भी जैसलमेरी साफा बंधवाने यहां आ रहे है या अपने परिजनों के साथ साफे भिजवा रहे है। इन दिनों लोड़ इतना बढ़ गया है कि दिन में 50 से 60 साफे तक बांधने पड़ रहे है।

उन्होंने बताया कि यहां पर होने वाली शादियों में दूल्हा हर समारोह में अलग अलग रंग व डिजायन का साफा बांधते है जिसके चलते एक एक दूल्हे के लिए चार से पांच साफे बांधने पड़ रहे है।






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