नई दिल्ली. तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच गठबंधन टूटने की संभावना लगातार बढ़ती जा रही है। दोनों के बीच बढ़ती तल्खी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा है कि कांग्रेस सीपीएम के साथ मिलकर उनकी पार्टी पर हमला करना चाहती है। ममता ने यह बयान 'इंदिरा भवन' का नाम बदले जाने पर कांग्रेस के विरोध की प्रतिक्रिया में कहा है।
केंद्र में यूपीए की अहम सहयोगी तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ने यह भी कहा कि लोकपाल बिल पर आखिरी फैसला लेने से पहले सभी राजनीतिक दलों की राय लेनी चाहिए। ममता ने साफ कर दिया कि राज्यों में लोकायुक्त के गठन को लेकर अपने रुख पर वह अब भी कायम हैं कि यह राज्यों पर छोड़ देना चाहिए कि वो किस तरह का लोकायुक्त गठित करना चाहते हैं। ममता ने कहा, ‘हमारा मानना है कि लोकपाल सबकी सहमति से बनाना चाहिए और केंद्र सरकार को इस बारे में सभी राजनीतिक दलों से बात करनी चाहिए।’
दोनों पार्टियों के बीच बढ़ती दूरियों के संकेत पहले से ही मिल रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के कई शीर्ष नेता सार्वजनिक तौर पर यह कह चुके हैं कि उनकी पार्टी को पश्चिम बंगाल में सरकार चलाने के लिए कांग्रेस के सहयोग की जरूरत नहीं है।
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस भी ममता की सरकार को घेरने में पीछे नहीं है। कांग्रेसी सांसद मौसम नूर के नेतृत्व में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कोलकाता में इंदिरा गांधी की याद में रखे गए 'इंदिरा भवन' के नाम को बदलने के ममता के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है। ममता इस भवन का नाम मशहूर बंगाली कवि काजी नजरुल के नाम पर 'नजरुल भवन' रखना चाहती हैं। युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कोलकाता में इसी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया है। कांग्रेस की सांसद मौसम नूर ने पश्चिम बंगाल सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है।
दोनों के बीच मतभेद और दूरियां यहीं खत्म नहीं होती हैं। भूमि अधिग्रहण, एफडीआई और हाल ही में लोकपाल बिल पर सरकार का सिरदर्द बढ़ा चुकी ममता बनर्जी की पार्टी पेट्रोल की कीमत में फिर से बढ़ोतरी की संभावना को देखते हुए केंद्र को घेर सकती हैं। बीते नवंबर में पेट्रोल की कीमत में बढ़ोतरी किए जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने यूपीए से समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी।
कुछ हफ्ते पहले हुई बढ़ोतरी के बाद अभी तक तृणमूल कांग्रेस का रवैया बदला नहीं है। पार्टी की सांसद और ममता बनर्जी की सहयोगी काकोली घोष दस्तीदार ने कहा, 'हम दाम बढ़ाकर आम आदमी को परेशान नहीं करना चाहते हैं। हमने साफ किया है कि पेट्रोल, डीजल, एलपीजी के दाम बढ़ाने के खिलाफ हैं। जहां तक आगे होने वाली बढ़ोतरी का सवाल है, अभी उस पर हमें फैसला लेना है।' वहीं, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव मुकुल रॉय के मुताबिक, 'पेट्रोलियम पदार्थों के दाम जब भी बढ़ेंगे, हम बैठक करेंगे और रणनीति तय करेंगे।'
तृणमूल कांग्रेस की ओर से लटक रही 'तलवार' के साए में बुधवार को कैबिनेट पेट्रोल की कीमत बढ़ाए जाने पर अंतिम फैसला लेगी। तेल कंपनियां बीते सोमवार को पेट्रोल के दाम में 2 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बढ़ोतरी करना चाहती थीं, लेकिन इसके लिए उन्हें सरकार की तरफ से हरी झंडी नहीं मिली थी।
हो सकता है कि पांच राज्यों में चुनाव को देखते हुए सरकार तेल कंपनियों को पेट्रोल के दाम न बढ़ाने का संकेत दे। लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस के लगातार विरोध से आजिज आ गई लगती है। यही वजह है कि पार्टी के भीतर तृणमूल कांग्रेस के बिना यूपीए गठबंधन को चलाने के लिए विकल्पों पर मंथन शुरू हो गया है। कांग्रेस ऐसे सहयोगी की तलाश कर रही है, जो हर तरह के हालात में उसके साथ रहे। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद 22 सांसदों वाली समाजवादी पार्टी को कांग्रेस तृणमूल की जगह संभावित साथी के तौर पर देख रही है। कांग्रेस के कुछ रणनीतिकारों ने सलाह दी है कि तृणमूल को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद कांग्रेस-सपा गठबंधन तैयार कर वामपंथी दलों के साथ पुराने रिश्ते में जान फूंककर 2014 के लोकसभा चुनाव में जाना बेहतर विकल्प होगा।
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