सोमवार, 23 जनवरी 2012

पत्‍नी को जिंदा दफनाया, पिता को पटरी पर फेंका



रायपुर. कुकुरबेड़ा के सीरियल किलर अरुण चंद्राकर द्वारा कत्‍ल किए गए लोगों के कंकाल की तलाश जारी है। उसके द्वारा अब तक सात हत्या करने की पुष्टि हो चुकी है। शक है कि उसने कम से कम दो और लोगों का कत्‍ल किया है। क्राइम ब्रांच की पूछताछ में पता चला है कि ये दोनों मर्डर उसने दुर्ग जिले में किए थे।

पुलिस अरुण को साइको किलर मान रही है, क्योंकि इतनी सारी हत्याओं की वजह किसी के भी समझ में नहीं आ रही हैं। अरुण ने इन हत्याओं को क्यों अंजाम दिया, इसे समझने के लिए पुलिस मनोवैज्ञानिकों की भी मदद ले रही है। जरूरत पड़ने पर अरुण का नारको टेस्ट भी करवाया जा सकता है।

शनिवार को उसने चार मर्डर करना स्वीकार किया था। रविवार को तीन और हत्या की बात स्वीकार कर ली। उसने अपने पिता तक को नहीं छोड़ा। उन्हें पटरी पर ट्रेन के सामने फेंककर उनकी जान ली थी।

पुलिस ने शुक्रवार की रात 8 बजे सरस्वती नगर रेलवे स्टेशन पर उसे पकड़ा। रविशंकर विश्वविद्यालय के पीछे कुकुरबेड़ा बस्ती में मौजूद उसके घर की शनिवार सुबह 7 बजे खुदाई शुरू की गई। तीन फीट गहरी खुदाई में ही एक के बाद एक कंकाल मिलने लगे।

सूअर पालने वाले अरुण चंद्राकर ने अपनी पत्नी समेत चार को बेहोश कर दफना दिया था। तीन हत्याएं पिछले साल अप्रैल से जून के बीच हुईं। इनके कंकाल अरुण के घर से खुदाई में बरामद किए गए। छह साल पहले जिस चौथे व्यक्ति की हत्या उसने की थी। उसका कंकाल आमानाका में मिला।

अरुण 26 जनवरी तक पुलिस रिमांड पर है। अरुण उर्फ तोषण चंद्राकर शुक्रवार की शाम सरस्वती नगर पुलिस के जाल में फंसा था । शनिवार को उसकी निशानदेही पर चारों नरकंकाल जमीन से खोदकर निकाली गई।
रविवार को उसने अपने पिता शत्रुघ्न चंद्राकर,मामा ससुर संजय देवार और नंदिनी दुर्ग की 65 वर्षीय महिला फूलबाई कलार की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया। पूछताछ के बाद क्राइम ब्रांच और सरस्वती नगर पुलिस के संयुक्त दस्ते ने संजय देवार के शवका पता लगाने के लिए आमानाका ओवरब्रिज के पास खाली मैदान के दलदली क्षेत्र में खुदाई की। दो घंटे की मशक्कत के बाद अंधेरा हो जाने के कारण रविवार को खुदाई रोक दी गई थी। सोमवार सुबह फिर कंकाल की तलाश जारी की गई।
इनकी हत्याएं स्वीकारी
अरुण अब तक पत्नी लिली चंद्राकर, साला अखिल देवार, सलहज पुष्पा देवार, मकान मालिक बहादुर प्रताप सिंह, पिता शत्रुघन चंद्राकर, मामा ससुर संजय देवार और महिला फूल बाई कलार का कत्‍ल स्‍वीकार कर चुका है। अरुण के दिमाग पर हत्या का जुनून किस कदर सवार था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने 31 अप्रैल 2007 को पिता शत्रुघ्न चंद्राकर को शराब पिलाई। फिर नशे की हालत में उन्हें आमानाका रेलवे क्रॉसिंग पर फेंक दिया। ट्रेन से कटकर उनका शरीर बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गया। पिता के शव की पहचान नहीं हो सकी थी। इस कारण पुलिस अब तक शत्रुघ्न को गुमशुदा मान रही है। वहीं फूल बाई का केस तो बंद ही कर दिया गया था। रायुपर के एसपी दीपांशु काबरा के मुताबिक अरुण ने स्वीकार कर लिया है कि उसने जनवरी 2005 में अपने मकान मालिक बहादुर सिंह को जिंदा दफन कर दिया था। उन्होंने बताया कि अरुण ने अपनी 30 साल की पत्नी लीला और 2 अन्य नजदीकी रिश्तेदारों को जून और जुलाई 2011 में जिंदा दफना दिया । दुर्ग जिले के गुंडेरदेही के रहने वाले अरुण का चोरी और मामूली अपराधों के मामले में पुलिस रेकॉर्ड भी है। वह 24 से ज्यादा बार जेल जा चुका है।

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