मनोज बक्करवाला का सुराग इस बार उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर से मिला। अलीगढ़ में रहने वाली बक्करवाला की गर्लफ्रेंड के सहारे उस तक पहुंचने की कोशिश में नाकाम रहने के बाद पुलिस ने उसके साथियों को फॉलो कर कामयाबी हासिल की।
पिछले साल 20 जून को सुशांत लोक से पुलिस कस्टडी से फरार होने के बाद बक्करवाला की मूवमेंट उत्तराखंड के हल्द्वानी, रुद्रपुर, ऊधमपुर, नैनीताल और अलीगढ़ में थी। हल्द्वानी और रुद्रपुर में उसने रहने के लिए घर लिए हुए थे। पुलिस ने शुरुआत में इन्हीं घरों की तलाश की, लेकिन बक्करवाला शातिर निकला। वह अपने घर पहुंचने से 20-25 किलोमीटर पहले ही अपना सेलफोन स्विच ऑफ कर देता था। स्पेशल सेल उसके ठिकाने तक नहीं पहुंच सकी।
अंबाला में धरा गया था पिछली बार
पिछली बार बक्करवाला की गिरफ्तारी 12 जुलाई, 2009 को अंबाला में हुई थी। तब स्पेशल सेल की नॉर्दर्न रेंज की टीम ने उस तक पहुंचने के लिए अंबाला में रहने वाली उसकी गर्लफ्रेंड को ट्रैक कर सुराग लिया था। फरार होने के बाद इस बार बक्करवाला ने अलीगढ़ में एक ग्रैजुएट लड़की से दोस्ती की। अंबाला की तरह इस बार भी पुलिस ने उसकी गर्लफ्रेंड को ट्रैक किया, लेकिन बक्करवाला तक नहीं पहुंचा जा सका।
साथियों का पता लगातार पुलिस ने रखी नजर
अब पुलिस ने बक्करवाला के साथियों राजकुमार राजू और जयदेव सिंह का पता लगाकर उन पर नजर रखनी शुरू की। पुलिस को जानकारी मिली कि बक्करवाला उत्तराखंड या अलीगढ़ से इन दोनों के पास दिल्ली आता है। इसके बाद इन दोनों में से किसी एक को साथ लेकर बक्करवाला कार लूटकर गाड़ी ले जाता है। 13 दिसंबर की रात यूपी के रामपुर शहर में रहने वाले सुधीर माथुर अपने रिश्तेदार की शादी में शामिल होने अपनी फॉक्सवैगन वेंटो में साकेत के शेराटन होटल में आए थे। वह अंदर चले गए, जबकि ड्राइवर छत्रपाल कार को होटल और इरकॉन बिल्डिंग के बीच में खड़ी कर अंदर सो गया। रात 12 बजे बक्करवाला ने अपने साथी समेत पिस्तौल दिखाकर छत्रपाल को काबू कर कार लूट ली। वही कार अब उसके कब्जे से बरामद हुई है। उसने इसकी नंबर प्लेट भी नहीं बदली थी। जून से अब तक उसने 14 वारदातों का खुलासा किया है, जिनमें गुड़गांव से पजेरो की लूट, हापुड़ में चार लाख की लूट और यमुनानगर में पांच लाख रुपये की लूट की वारदात भी शामिल हैं।
सुबह कार धोने वक्त लूटता था
दिलचस्प यह है कि बक्करवाला पहली बार जिस पुलिसकर्मी की कस्टडी से छूटकर भागा था, सोमवार सुबह गिरफ्तारी करने वाली टीम में वह भी शामिल था। साल 2004 में पश्चिम विहार में स्पेशल सेल के एसआई नीरज कुमार की कस्टडी में वह कार के तार जोड़ स्टार्ट कर भाग गया था। एडिशनल डीसीपी भीष्म सिंह, इंस्पेक्टर विवेक त्यागी की टीम में नीरज कुमार भी अब उसकी गिरफ्तारी में शामिल थे। बक्करवाला देर रात के अलावा सुबह-सवेरे कार की धुलाई के दौरान ड्राइवरों और नौकरों को पिस्तौल दिखाकर भी कार लूटता था। वह कार मालिकों से लूटपाट करने से बचता था, क्योंकि इससे उसे विरोध का खतरा होता था।
कार चोर माखन का शागिर्द था
बक्करवाला ने कुख्यात कार चोर माखन की शागिर्दी में क्राइम की शुरुआत की थी। पहली बार कार चोरी के केस में 1998 में गिरफ्तार हुआ था। जमानत पर बाहर आने के बाद वह बड़े पैमाने पर कार चोरी करने लगा। दूसरी बार उसे 2003 में गिरफ्तार किया गया, लेकिन आठ महीने में वह पश्चिम विहार में स्पेशल सेल से छूटकर भाग गया था। तीसरी बार उसे क्राइम ब्रांच ने 2005 में गिरफ्तार किया, लेकिन उसे एक साल बाद जमानत मिल गई। चौथी बार उसे 2007 में गिरफ्तार किया गया, लेकिन जुलाई 2008 में वह अपने साथी प्रवीण की मदद लेकर द्वारका से गुड़गांव पुलिस की कस्टडी से भाग गया। अब 10 लाख रुपये से महंगी गाड़ी चोरी कर बक्करवाला बेचता था और उससे कम रेट की कार बेचने की जिम्मेदारी प्रवीण की थी। 5वीं बार उसे 12 जुलाई 2009 को स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया, लेकिन पिछले साल 20 जून को वह गुड़गांव पुलिस की कस्टडी से फरार हो गया था। अब उसे छठी बार गिरफ्तार किया गया है। देखना है कि इस बार वह कब तक पुलिस की गिरफ्त में रहेगा।
पिछले साल 20 जून को सुशांत लोक से पुलिस कस्टडी से फरार होने के बाद बक्करवाला की मूवमेंट उत्तराखंड के हल्द्वानी, रुद्रपुर, ऊधमपुर, नैनीताल और अलीगढ़ में थी। हल्द्वानी और रुद्रपुर में उसने रहने के लिए घर लिए हुए थे। पुलिस ने शुरुआत में इन्हीं घरों की तलाश की, लेकिन बक्करवाला शातिर निकला। वह अपने घर पहुंचने से 20-25 किलोमीटर पहले ही अपना सेलफोन स्विच ऑफ कर देता था। स्पेशल सेल उसके ठिकाने तक नहीं पहुंच सकी।
अंबाला में धरा गया था पिछली बार
पिछली बार बक्करवाला की गिरफ्तारी 12 जुलाई, 2009 को अंबाला में हुई थी। तब स्पेशल सेल की नॉर्दर्न रेंज की टीम ने उस तक पहुंचने के लिए अंबाला में रहने वाली उसकी गर्लफ्रेंड को ट्रैक कर सुराग लिया था। फरार होने के बाद इस बार बक्करवाला ने अलीगढ़ में एक ग्रैजुएट लड़की से दोस्ती की। अंबाला की तरह इस बार भी पुलिस ने उसकी गर्लफ्रेंड को ट्रैक किया, लेकिन बक्करवाला तक नहीं पहुंचा जा सका।
साथियों का पता लगातार पुलिस ने रखी नजर
अब पुलिस ने बक्करवाला के साथियों राजकुमार राजू और जयदेव सिंह का पता लगाकर उन पर नजर रखनी शुरू की। पुलिस को जानकारी मिली कि बक्करवाला उत्तराखंड या अलीगढ़ से इन दोनों के पास दिल्ली आता है। इसके बाद इन दोनों में से किसी एक को साथ लेकर बक्करवाला कार लूटकर गाड़ी ले जाता है। 13 दिसंबर की रात यूपी के रामपुर शहर में रहने वाले सुधीर माथुर अपने रिश्तेदार की शादी में शामिल होने अपनी फॉक्सवैगन वेंटो में साकेत के शेराटन होटल में आए थे। वह अंदर चले गए, जबकि ड्राइवर छत्रपाल कार को होटल और इरकॉन बिल्डिंग के बीच में खड़ी कर अंदर सो गया। रात 12 बजे बक्करवाला ने अपने साथी समेत पिस्तौल दिखाकर छत्रपाल को काबू कर कार लूट ली। वही कार अब उसके कब्जे से बरामद हुई है। उसने इसकी नंबर प्लेट भी नहीं बदली थी। जून से अब तक उसने 14 वारदातों का खुलासा किया है, जिनमें गुड़गांव से पजेरो की लूट, हापुड़ में चार लाख की लूट और यमुनानगर में पांच लाख रुपये की लूट की वारदात भी शामिल हैं।
सुबह कार धोने वक्त लूटता था
दिलचस्प यह है कि बक्करवाला पहली बार जिस पुलिसकर्मी की कस्टडी से छूटकर भागा था, सोमवार सुबह गिरफ्तारी करने वाली टीम में वह भी शामिल था। साल 2004 में पश्चिम विहार में स्पेशल सेल के एसआई नीरज कुमार की कस्टडी में वह कार के तार जोड़ स्टार्ट कर भाग गया था। एडिशनल डीसीपी भीष्म सिंह, इंस्पेक्टर विवेक त्यागी की टीम में नीरज कुमार भी अब उसकी गिरफ्तारी में शामिल थे। बक्करवाला देर रात के अलावा सुबह-सवेरे कार की धुलाई के दौरान ड्राइवरों और नौकरों को पिस्तौल दिखाकर भी कार लूटता था। वह कार मालिकों से लूटपाट करने से बचता था, क्योंकि इससे उसे विरोध का खतरा होता था।
कार चोर माखन का शागिर्द था
बक्करवाला ने कुख्यात कार चोर माखन की शागिर्दी में क्राइम की शुरुआत की थी। पहली बार कार चोरी के केस में 1998 में गिरफ्तार हुआ था। जमानत पर बाहर आने के बाद वह बड़े पैमाने पर कार चोरी करने लगा। दूसरी बार उसे 2003 में गिरफ्तार किया गया, लेकिन आठ महीने में वह पश्चिम विहार में स्पेशल सेल से छूटकर भाग गया था। तीसरी बार उसे क्राइम ब्रांच ने 2005 में गिरफ्तार किया, लेकिन उसे एक साल बाद जमानत मिल गई। चौथी बार उसे 2007 में गिरफ्तार किया गया, लेकिन जुलाई 2008 में वह अपने साथी प्रवीण की मदद लेकर द्वारका से गुड़गांव पुलिस की कस्टडी से भाग गया। अब 10 लाख रुपये से महंगी गाड़ी चोरी कर बक्करवाला बेचता था और उससे कम रेट की कार बेचने की जिम्मेदारी प्रवीण की थी। 5वीं बार उसे 12 जुलाई 2009 को स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया, लेकिन पिछले साल 20 जून को वह गुड़गांव पुलिस की कस्टडी से फरार हो गया था। अब उसे छठी बार गिरफ्तार किया गया है। देखना है कि इस बार वह कब तक पुलिस की गिरफ्त में रहेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें