बाड़मेर ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी और लंदन में सूचीबद्ध वेदांता रिसोर्सेज के बीच बेशक 8.48 अरब डॉलर का केयर्न इंडिया का सौदा पूरा हो गया लेकिन तेल मंत्रालय सौदे की मंजूरी के लिए एक बार फिर मंत्रिमंडल के पास गया है। गृह मंत्रालय ने वेदांता समूह के देश विदेश में विभिन्न मामलों में नियमों के उल्लंघन पर सवाल खड़ा किया है।
गृहमंत्रालय ने केयर्न इंडिया में बहुमत हिस्सेदारी खरीदने वाली वेदांता रिसोर्सेज को सुरक्षा मामले में मंजूरी देते हुए इस खनन समूह के आठ मामलों का उल्लेख किया है जिनमें भुगतान में चूक करने, मानवाधिकारों का उल्लंघन और पर्यावरण को नुकसान जैसे मामले शामिल है। गृह मंत्रालय ने गत 25 नवंबर को सुरक्षा मंजूरी देते हुए इन आठ मुद्दों को उठाया था।
सूत्रों के अनुसार तेल मंत्रालय ने इस मामले में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) के समक्ष इन मुद्दों को रखा था। इसमें कहा गया, गृहमंत्रालय ने जिन मुद्दों का उल्लेख किया है उससे सुरक्षा मामलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
सूत्रों का कहना है कि वित्त और कानून मंत्रालय ने इस सौदे पर कोई आपत्ति नहीं होने के रुप में अपनी मंजूरी पहले दे दी थी। बहरहाल, कापरेरेट कार्य मंत्रालय और पयार्वरण एवं योजना आयोग की तरफ से उनकी टिप्पणियां अभी तक नहीं मिलीं हैं। उनका कहना है कि मामला इस महीने के आखिर में फिर से सीसीईए के समक्ष आयेगा।
केयर्न और वेदांता ने भारत सरकार की शर्तों को मानते हुए पिछले महीने ही सौदे को पूरा कर लिया। सीसीईए के ताजा केबिनेट नोट में कहा गया है कि शेयर हस्तांतरण से जुड़ी सभी शर्तों और मंजूरियां प्राप्त कर ली गई है। इनमें से आखिरी मंजूरी एक दिसंबर को ओएनजीसी से मिली है।
सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी की केयर्न इंडिया की भारत स्थित 10 परिसंपत्तियों में से आठ में हिस्सेदारी है। केयर्न इंडिया के राजस्थान ब्लॉक में रायल्टी भुगतान को लागत से वसूलने और क्षेत्र में भागीदारी के अनुरुप कच्चे तेल पर सेस का भुगतान करने पर राजी होने के बाद ओएनजीसी ने सौदे पर अनापत्ति दे दी है।
सरकार ने केयर्न वेदांता सौदे को मंजूरी देने से पहले राजस्थान तेल क्षेत्र में तेल उत्पादन पर दी जानी वाली रॉयल्टी और उपकर को क्षेत्र की लागत में शामिल किये जाने की शर्त रखी थी।
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