बुधवार, 4 जनवरी 2012

19 साल बाद पकड़ाया अश्लील तस्वीरों से ब्लैकमेल करने वाला!



अजमेर.बहुचर्चित अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में बीस साल से फरार अभियुक्त और इंटरपोल को वांछित सलीम चिश्ती को पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के दल ने मंगलवार को दरगाह इलाके में उसी के घर से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी चिश्ती 30 मई 1992 को मामला दर्ज होने के बाद से ही फरार था।

 

बांग्लादेश और मुंबई के अलावा उसने कई शहरों में फरारी काटी। चोरी-छिपे छद्म वेश में उसके अजमेर आने की सूचनाओं पर जिला पुलिस ने कई बार उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया, लेकिन वह पुलिस को बरसों से गच्चा दे रहा था। इंटरपोल भी उसकी तलाश में जुटी थी, राजस्थान पुलिस ने आरोपी को मोस्ट वांटेड करार देते हुए उसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था।



जाल बिछाकर पकड़ा



एसओजी के कार्यवाहक एसपी सत्येंद्र सिंह ने बताया कि कांस्टेबल सुमेर सिंह को मुखबिर से इत्तला मिली थी कि मोस्ट वांटेड सलीम चिश्ती पुत्र सैयद आले अहमद चिश्ती झालरा स्थित अहमद मंजिल स्थित अपने मकान में मौजूद है।



मंगलवार को डीएसपी गोविंद देवड़ा, सीआई महिपाल चौधरी, कांस्टेबल जगमाल सिंह, बंशीलाल, भगवान सिंह और बहादुर सिंह की टीम ने जिला पुलिस के सहयोग से घेराबंदी कर सलीम चिश्ती के मकान की घेराबंदी की और उसे गिरफ्तार कर लिया। उससे पूछताछ की जा रही है।




मामला एक नजर



युवतियों के अश्लील फोटो खींच कर उन्हें ब्लैकमेल करने के मामले में 30 मई 1992 को तत्कालीन पुलिस उप अधीक्षक हरिप्रसाद शर्मा ने गंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। शर्मा ने रिपोर्ट में बताया कि मामले की शिकायत पर जांच की गई। इसमें चार फोटोग्राफ बरामद किए गए।



इसमें युवतियां कुछ युवकों के साथ नग्न और आपत्तिजनक हालत में पाई गई। फोटोग्राफ नसीम उर्फ टार्जन, परवेज एवं कैलाश सोनी के थे। एक फोटोग्राफ की फोटोस्टेट कॉपी भी मिली। इसमें सोहेल, नसीम उर्फ टार्जन व मोइजुल्ला उर्फ पुत्तन को अर्धनग्न युवतियों के साथ पाया गया।



जांच में सामने आया कि इन युवकों के अलावा इस गिरोह में इशरत और अन्य लोग भी थे। फोटोग्राफ को कलर लैब में मालिक हरीश और टैक्नीशियन पुरुषोत्तम उर्फ बबली ने डवलप किया था।


इन लोगों ने फोटोग्राफ की अतिरिक्त कापियां बनाकर युवक व युवतियों को ब्लैकमेल किया था। आरोपियों ने युवतियों को ब्लैकमेल कर यौनशोषण किया व उनके साथ मारपीट की। इस रिपोर्ट के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया था।

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