जैसलमेर पालिका आयुक्त सहित 18 के खिलाफ मामला दर्ज
बाड़मेर कच्ची बस्ती में गलत तरीके से चहेतों को भूखंड आबंटन के मामले में जैसलमेर नगरपालिका के तत्कालीन आयुक्त सहित एक एईएन, तीन जेईएन, नायब तहसीलदार, दो बाबू व एक पटवारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मुख्यालय जयपुर ने मामला दर्ज कर जांच बाड़मेर चौकी को सुपुर्द की है।
इस मामले में 8 लाभार्थियों को भी आरोपी बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2004 में हुए कच्ची बस्तियों के सर्वे के दौरान अपने आठ चहेतों को नियम विरुद्ध भूखंड आबंटन किए गए थे।
इसकी शिकायत वर्ष 2009 में हुई। बाड़मेर ब्यूरो चौकी द्वारा शिकायत का सत्यापन करने के बाद एसीबी मुख्यालय पर मामला दर्ज किया गया है। एसीबी बाड़मेर के एडिशनल एसपी जेएन मीना ने बताया कि शिकायतकर्ता शंकरलाल पुत्र शिवदत्त व्यास निवासी राजेंद्र प्रसाद कॉलोनी जैसलमेर ने इस्तगासे के जरिए परिवाद पेश किया था।
नगरपालिका के आयुक्त सहित अधिकारियों-कर्मचारियों ने मिलीभगत से अपने चहेतों को अपात्र होते हुए लाभ पहुंचाने की नीयत से कच्ची बस्ती में भूखंड आबंटित किए। इस पर मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीआईजी जोधपुर ने बाड़मेर ब्यूरो चौकी को सौंपी।
ब्यूरो की प्राथमिक जांच में आरोप सही पाए जाने पर मुख्यालय ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इस मामले में तत्कालीन आयुक्त छगनलाल गोयल, एईएन राजकुमार, जेईएन जयसिंह परिहार, अनिल माथुर व प्रहलाद लाल गुप्ता, नायब तहसीलदार प्रभु दान, कनिष्ठ लिपिक मोहनराम व लक्ष्मी नारायण, भू-अभिलेख निरीक्षक ओमप्रकाश सोनी एवं पटवारी नारायणदास वैष्णव आरोपी हैं।
इसके अलावा आठों लाभार्थी महेश कुमार, चंद्र प्रकाश, विजय कुमार, कमल किशोर, रमेश कुमार, ओम प्रकाश, जितेंद्र कुमार व किशन गोपाल भी इस मामले में आरोपी हंै। मुख्यालय ने मामला दर्ज कर जांच बाड़मेर ब्यूरो चौकी को सौंपी है।
तहसीलदार का रीडर घूस लेते गिरफ्तार
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सीकर तहसीलदार जयसिंह शेखावत के रीडर विष्णु दत्त शर्मा को दो हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। रीडर ने एक दलित परिवार के व्यक्ति की जमीन के नामांतरण के लिए ये रिश्वत मांगी थी। एसीबी को मामले में तहसीलदार की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। इसलिए उसकी भूमिका की भी जांच की जाएगी।
एसीबी ने रीडर से रिश्वत में लिए गए पैसे भी बरामद कर लिए हैं। शिकायत के सत्यापन के बाद एसीबी ने मंगलवार को परिवादी को पैसे देने भेजा। पैसे लेते ही एसीबी इंसपेक्टर उमेश निठारवाल के नेतृत्व में गई टीम ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
एसीबी एएसपी डॉ मूलसिंह राणा ने बताया कि परिवादी सिंहासन निवासी मनोहर लाल बलाई ने शिकायत दर्ज कराई की नवलगढ़ निवासी उसके जीजा शंकर लाल ने करीब 35 साल पहले सिंहासन के दौलाराम बलाई से दो बीघा जमीन खरीदी थी। जिसका नामांतरण नहीं हुआ था।
कुछ दिन पहले ही एसडीएम ने तहसीलदार को नामांतरण के आदेश दिए थे। इस पर दोनों पक्ष तहसीलदार के सामने पेश हुए और नामांतरण पर सहमति जताई। लेकिन उसका नामांतरण नहीं किया गया और रीडर विष्णु दत्त ने ढाई हजार की रिश्वत की मांग की।
उसके बाद दो हजार रुपए में सौदा तय हुआ। शिकायत के सत्यापन के बाद एसीबी ने मंगलवार को परिवादी को पैसे देने भेजा। पैसे लेते ही एसीबी इंसपेक्टर उमेश निठारवाल के नेतृत्व में गई टीम ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। लक्ष्मीनारायण सैनी, लक्ष्मण राम व भंवरसिंह के नेतृत्व में टीम ने उसके घर की भी तलाशी ली। आरोपी को बुधवार को जयपुर में एसीबी कोर्ट में पेश किया जाएगा।
तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध
एसीबी के एएसपी ने बताया कि मामले में तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध मानकर जांच के दायरे में लाया जा रहा है। इसका कारण ये है भी है कि जब दोनों पक्ष पेश हो गए और उसके बाद भी नामांतरण नहीं हुआ।
एक और कारण जो एसीबी को नजर आ रहा है वो ये है कि नामांतरण का काम तहसीलदार को ही करना था जिसके लिए रीडर रिश्वत मांग रहा था। एसीबी दोनों पहलुओं पर तहसीलदार को जांच के दायरे में ला रही है।
मार्च में होना था रिटायर
रिश्वत के आरोप में पकड़ा गया रीडर विष्णु दत्त अपनी नौकरी भी लगभग पूरी कर चुका था। वह मार्च में ही रिटायर होने वाला था।
बाड़मेर कच्ची बस्ती में गलत तरीके से चहेतों को भूखंड आबंटन के मामले में जैसलमेर नगरपालिका के तत्कालीन आयुक्त सहित एक एईएन, तीन जेईएन, नायब तहसीलदार, दो बाबू व एक पटवारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मुख्यालय जयपुर ने मामला दर्ज कर जांच बाड़मेर चौकी को सुपुर्द की है।
इस मामले में 8 लाभार्थियों को भी आरोपी बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2004 में हुए कच्ची बस्तियों के सर्वे के दौरान अपने आठ चहेतों को नियम विरुद्ध भूखंड आबंटन किए गए थे।
इसकी शिकायत वर्ष 2009 में हुई। बाड़मेर ब्यूरो चौकी द्वारा शिकायत का सत्यापन करने के बाद एसीबी मुख्यालय पर मामला दर्ज किया गया है। एसीबी बाड़मेर के एडिशनल एसपी जेएन मीना ने बताया कि शिकायतकर्ता शंकरलाल पुत्र शिवदत्त व्यास निवासी राजेंद्र प्रसाद कॉलोनी जैसलमेर ने इस्तगासे के जरिए परिवाद पेश किया था।
नगरपालिका के आयुक्त सहित अधिकारियों-कर्मचारियों ने मिलीभगत से अपने चहेतों को अपात्र होते हुए लाभ पहुंचाने की नीयत से कच्ची बस्ती में भूखंड आबंटित किए। इस पर मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीआईजी जोधपुर ने बाड़मेर ब्यूरो चौकी को सौंपी।
ब्यूरो की प्राथमिक जांच में आरोप सही पाए जाने पर मुख्यालय ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इस मामले में तत्कालीन आयुक्त छगनलाल गोयल, एईएन राजकुमार, जेईएन जयसिंह परिहार, अनिल माथुर व प्रहलाद लाल गुप्ता, नायब तहसीलदार प्रभु दान, कनिष्ठ लिपिक मोहनराम व लक्ष्मी नारायण, भू-अभिलेख निरीक्षक ओमप्रकाश सोनी एवं पटवारी नारायणदास वैष्णव आरोपी हैं।
इसके अलावा आठों लाभार्थी महेश कुमार, चंद्र प्रकाश, विजय कुमार, कमल किशोर, रमेश कुमार, ओम प्रकाश, जितेंद्र कुमार व किशन गोपाल भी इस मामले में आरोपी हंै। मुख्यालय ने मामला दर्ज कर जांच बाड़मेर ब्यूरो चौकी को सौंपी है।
तहसीलदार का रीडर घूस लेते गिरफ्तार
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सीकर तहसीलदार जयसिंह शेखावत के रीडर विष्णु दत्त शर्मा को दो हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। रीडर ने एक दलित परिवार के व्यक्ति की जमीन के नामांतरण के लिए ये रिश्वत मांगी थी। एसीबी को मामले में तहसीलदार की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। इसलिए उसकी भूमिका की भी जांच की जाएगी।
एसीबी ने रीडर से रिश्वत में लिए गए पैसे भी बरामद कर लिए हैं। शिकायत के सत्यापन के बाद एसीबी ने मंगलवार को परिवादी को पैसे देने भेजा। पैसे लेते ही एसीबी इंसपेक्टर उमेश निठारवाल के नेतृत्व में गई टीम ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
एसीबी एएसपी डॉ मूलसिंह राणा ने बताया कि परिवादी सिंहासन निवासी मनोहर लाल बलाई ने शिकायत दर्ज कराई की नवलगढ़ निवासी उसके जीजा शंकर लाल ने करीब 35 साल पहले सिंहासन के दौलाराम बलाई से दो बीघा जमीन खरीदी थी। जिसका नामांतरण नहीं हुआ था।
कुछ दिन पहले ही एसडीएम ने तहसीलदार को नामांतरण के आदेश दिए थे। इस पर दोनों पक्ष तहसीलदार के सामने पेश हुए और नामांतरण पर सहमति जताई। लेकिन उसका नामांतरण नहीं किया गया और रीडर विष्णु दत्त ने ढाई हजार की रिश्वत की मांग की।
उसके बाद दो हजार रुपए में सौदा तय हुआ। शिकायत के सत्यापन के बाद एसीबी ने मंगलवार को परिवादी को पैसे देने भेजा। पैसे लेते ही एसीबी इंसपेक्टर उमेश निठारवाल के नेतृत्व में गई टीम ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। लक्ष्मीनारायण सैनी, लक्ष्मण राम व भंवरसिंह के नेतृत्व में टीम ने उसके घर की भी तलाशी ली। आरोपी को बुधवार को जयपुर में एसीबी कोर्ट में पेश किया जाएगा।
तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध
एसीबी के एएसपी ने बताया कि मामले में तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध मानकर जांच के दायरे में लाया जा रहा है। इसका कारण ये है भी है कि जब दोनों पक्ष पेश हो गए और उसके बाद भी नामांतरण नहीं हुआ।
एक और कारण जो एसीबी को नजर आ रहा है वो ये है कि नामांतरण का काम तहसीलदार को ही करना था जिसके लिए रीडर रिश्वत मांग रहा था। एसीबी दोनों पहलुओं पर तहसीलदार को जांच के दायरे में ला रही है।
मार्च में होना था रिटायर
रिश्वत के आरोप में पकड़ा गया रीडर विष्णु दत्त अपनी नौकरी भी लगभग पूरी कर चुका था। वह मार्च में ही रिटायर होने वाला था।
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