नहीं लगेगा भगवद गीता पर बैन
मास्को। हिंदू धार्मिक ग्रंथ भगवद गीता के अनुवाद किताब पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को साइबेरिया कोर्ट ने खारिज कर दिया है। बुधवार को कोर्ट ने इस मामले में दी गई याचिका पर फैसला सुनाते हुए गीता के अनुवाद किए गए ग्रंथ को उग्रपंथी साहित्य नहीं कहा जा सकता। ज्ञात है कि गीता को अपवादी पाठ के तौर पर बैन लगाने के लिए याचिका दायर की गई थी।
साइबेरियन सिटी कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि हरे कृष्णा मूवमेंट की तरफ से हिंदू धार्मिक ग्रंथ गीता का अनुवाद सामाजिक रूप से कलह पैदा नहीं करता है। यह एडोल्फ हिटलर की किताब की तरह नहीं है। कोर्ट ने फैसला हरे कृष्णा मूवमेंट के पक्ष में दिया।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में भारत के विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने सुनवाई से पहले रूसी राजदूत एलेक्जेंडर कदाकिन से इस विवाद से संबंधित मुद्दों पर बातचीत की। इस मुद्दे को उठाते हुए कृष्णा ने इसकी संवेदनशीला से भी अवगत कराया। इस मामले पर भारत में काफी विरोध हो रहा था।
गौरतलब है कि है कि हिंदू धार्मिक ग्रंथ भगवद गीता पर प्रतिबंध लगाने के लिए रूढिवादी ईसाई ने याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि भगवद गीता से अनुवाद किए गए किताब "भगवद गीता एज इट इज" सामाजिक तौर पर उग्रवादी है। यह किताब हिटलर की तरह विवादस्पद है।
मास्को। हिंदू धार्मिक ग्रंथ भगवद गीता के अनुवाद किताब पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को साइबेरिया कोर्ट ने खारिज कर दिया है। बुधवार को कोर्ट ने इस मामले में दी गई याचिका पर फैसला सुनाते हुए गीता के अनुवाद किए गए ग्रंथ को उग्रपंथी साहित्य नहीं कहा जा सकता। ज्ञात है कि गीता को अपवादी पाठ के तौर पर बैन लगाने के लिए याचिका दायर की गई थी।
साइबेरियन सिटी कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि हरे कृष्णा मूवमेंट की तरफ से हिंदू धार्मिक ग्रंथ गीता का अनुवाद सामाजिक रूप से कलह पैदा नहीं करता है। यह एडोल्फ हिटलर की किताब की तरह नहीं है। कोर्ट ने फैसला हरे कृष्णा मूवमेंट के पक्ष में दिया।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में भारत के विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने सुनवाई से पहले रूसी राजदूत एलेक्जेंडर कदाकिन से इस विवाद से संबंधित मुद्दों पर बातचीत की। इस मुद्दे को उठाते हुए कृष्णा ने इसकी संवेदनशीला से भी अवगत कराया। इस मामले पर भारत में काफी विरोध हो रहा था।
गौरतलब है कि है कि हिंदू धार्मिक ग्रंथ भगवद गीता पर प्रतिबंध लगाने के लिए रूढिवादी ईसाई ने याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि भगवद गीता से अनुवाद किए गए किताब "भगवद गीता एज इट इज" सामाजिक तौर पर उग्रवादी है। यह किताब हिटलर की तरह विवादस्पद है।
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