बीजिंग. दक्षिण चीन सागर में वर्चस्व को लेकर जारी विवाद के बीच चीन ने अपनी नौसेना को किसी भी जंग के लिए पूरी तरह तैयार रहने को कहा है। राष्ट्रपति हू जिंताओ ने कहा है कि चीन की नौसेना को जंग के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। जिंताओ के इस बयान पर अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने कहा है कि चीन को अपनी सुरक्षा करने का हक है।
बीजिंग में बुधवार को अमेरिका और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की सालाना बैठक भी हो रही है। हालांकि इस बैठक का मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि दोनों देशों के बीच किसी तरह की गलतफहमी नहीं है लेकिन इस बैठक से ऐन पहले जिंताओ ने सेना से कहा है कि उन्हें जंग के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा।
हू ने सैन्य अधिकारियों की बैठक में कहा कि नौसेना को अपनी क्षमताओं में तेजी से विकास करना होगा और राष्ट्रीय सुरक्षा में और योगदान के मद्देनजर जंग के लिए तैयारियां बढ़ानी होंगी। हालांकि राष्ट्रपति की टिप्पणी के आधिकारिक अनुवाद में 'युद्ध' शब्द का इस्तेमाल हुआ था लेकिन और जगह अनुवादों में 'सैन्य लड़ाई' और 'सैन्य संघर्ष' शब्द इस्तेमाल किए गए हैं। चीनी राष्ट्रपति के इस बयान को जानकार बेवजूद का मान रहे हैं और संभव है कि यह टिप्पणी दक्षिण चीन सागर को लेकर अमेरिका और चीन के बीच जारी तनाव को देखते हुए की गई हो।
चीन ने हाल में अपने लिए पहला एयरक्राफ्ट कॅरियर खरीदा है और अपनी नौसेना की महत्वाकांक्षाओं को लेकर हमेशा मुखर रहा है। हालांकि इसकी असली ताकत थल सेना ही है और नौसेना के मामले में अमेरिका की तुलना में यह कमजोर है। चीन की थल सेना दुनिया में सबसे बड़ी है और इसमें 30 लाख लोग शामिल हैं। चीन ने बीते महीने के आखिर में ऐलान किया कि वो दक्षिण चीन सागर में जल्द ही बड़ा युद्धाभ्यास करेगा। हाल में चीन की सेना ने एक युद्धाभ्यास भी किया। इस युद्धाभ्यास में चेंगदू मिलिट्री एरिया कमांड और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने हिस्सा लिया ।
गौरतलब है कि चीनी राष्ट्रपति का बयान ऐसे समय आया है जब दक्षिण चीन सागर में वर्चस्व को लेकर पड़ोसी देशों के साथ तनाव बढ़ रहा है। इस मसले पर हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की टिप्पणी के बाद चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़े हैं। चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने दक्षिण चीन सागर में ‘बाहरी देशों’ की दखल का कड़ा विरोध किया है।
खनिज संसाधनों से भरपूर इस इलाके पर चीन अपनी संप्रभुता का दावा करता रहा है जबकि चीन के पड़ोसी वियतनाम, फिलिपींस, ताईवान, मलेशिया और ब्रुनेई अपने आसपास के समुद्री क्षेत्र में अपनी संप्रभुता का दावा करते हैं। फिलिपींस और वियतनाम इस इलाके में चीन की जरूरत से ज्यादा दखल का कई बार विरोध कर चुके हैं। भारत इस सागर में वियतनाम के साथ तेल की खोज में जुटा है जिसे लेकर चीन सख्त ऐतराज जताता रहा है। दक्षिणी चीन सागर में लगातार बढ़ रहे चीनी प्रभाव के बीच 19 दिसंबर को वॉशिंगटन में भारत, अमेरिका और जापान की त्रिपक्षीय वार्ता होने जा रही है।
बीजिंग में बुधवार को अमेरिका और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की सालाना बैठक भी हो रही है। हालांकि इस बैठक का मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि दोनों देशों के बीच किसी तरह की गलतफहमी नहीं है लेकिन इस बैठक से ऐन पहले जिंताओ ने सेना से कहा है कि उन्हें जंग के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा।
हू ने सैन्य अधिकारियों की बैठक में कहा कि नौसेना को अपनी क्षमताओं में तेजी से विकास करना होगा और राष्ट्रीय सुरक्षा में और योगदान के मद्देनजर जंग के लिए तैयारियां बढ़ानी होंगी। हालांकि राष्ट्रपति की टिप्पणी के आधिकारिक अनुवाद में 'युद्ध' शब्द का इस्तेमाल हुआ था लेकिन और जगह अनुवादों में 'सैन्य लड़ाई' और 'सैन्य संघर्ष' शब्द इस्तेमाल किए गए हैं। चीनी राष्ट्रपति के इस बयान को जानकार बेवजूद का मान रहे हैं और संभव है कि यह टिप्पणी दक्षिण चीन सागर को लेकर अमेरिका और चीन के बीच जारी तनाव को देखते हुए की गई हो।
चीन ने हाल में अपने लिए पहला एयरक्राफ्ट कॅरियर खरीदा है और अपनी नौसेना की महत्वाकांक्षाओं को लेकर हमेशा मुखर रहा है। हालांकि इसकी असली ताकत थल सेना ही है और नौसेना के मामले में अमेरिका की तुलना में यह कमजोर है। चीन की थल सेना दुनिया में सबसे बड़ी है और इसमें 30 लाख लोग शामिल हैं। चीन ने बीते महीने के आखिर में ऐलान किया कि वो दक्षिण चीन सागर में जल्द ही बड़ा युद्धाभ्यास करेगा। हाल में चीन की सेना ने एक युद्धाभ्यास भी किया। इस युद्धाभ्यास में चेंगदू मिलिट्री एरिया कमांड और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने हिस्सा लिया ।
गौरतलब है कि चीनी राष्ट्रपति का बयान ऐसे समय आया है जब दक्षिण चीन सागर में वर्चस्व को लेकर पड़ोसी देशों के साथ तनाव बढ़ रहा है। इस मसले पर हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की टिप्पणी के बाद चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़े हैं। चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने दक्षिण चीन सागर में ‘बाहरी देशों’ की दखल का कड़ा विरोध किया है।
खनिज संसाधनों से भरपूर इस इलाके पर चीन अपनी संप्रभुता का दावा करता रहा है जबकि चीन के पड़ोसी वियतनाम, फिलिपींस, ताईवान, मलेशिया और ब्रुनेई अपने आसपास के समुद्री क्षेत्र में अपनी संप्रभुता का दावा करते हैं। फिलिपींस और वियतनाम इस इलाके में चीन की जरूरत से ज्यादा दखल का कई बार विरोध कर चुके हैं। भारत इस सागर में वियतनाम के साथ तेल की खोज में जुटा है जिसे लेकर चीन सख्त ऐतराज जताता रहा है। दक्षिणी चीन सागर में लगातार बढ़ रहे चीनी प्रभाव के बीच 19 दिसंबर को वॉशिंगटन में भारत, अमेरिका और जापान की त्रिपक्षीय वार्ता होने जा रही है।
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