रविवार, 4 दिसंबर 2011

वफ़ा करते रहे हम इबादत की तरह !

(१) वफ़ा करते रहे हम इबादत की तरह !
फिर इबादत खुद एक गुनाह हो गई !!
कितना सुहाना था सफर जब साथ थी तुम !
फिर क्या हुवा की मंजिल जुदा हो गई !!

(२) दिल के सारे अरमान ले जाते हैं !
हम से हमारी पहचान ले जाते हैं !!
बेपनाह न चाहना किसी को एय दोस्त !
क्योकि जान कहने वाले ही जान ले जाते हैं !!

(३) जीने के लिए जान जरुरी हैं !
हमारे लिए तो आप जरुरी हैं !!
मेरे चेहरे पे चाहे गम हो.....!
आपके चेहरे पे मुश्कान जरुरी हैं !!

(४) ये दोस्ती चिराग हैं जलाए रखना !
दोस्ती खुशबू हैं महकाए रखना....!!
हम रहे आपके दिल में हमेशा के लिए !
इतनी जगह दिल में हमारे लिए बनाए रखना !!

(५) सभ कुछ मिला सकून की दौलत नहीं मिली !
तुझसे मुलाक़ात की मोहलत नहीं मिली....!!
करने को और भी काम थे मगर !
हमको तेरी याद से फुरसत नहीं मिली !!

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