राष्ट्रपति डॉ. प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने एक और इतिहास रच दिया है
टैंक पर सवार होकर "रणभूमि"पहुंची राष्ट्रपति
बाड़मेर। देश के इतिहास में पहली बार महिला सुप्रीम कमांडर के रूप में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील सैन्य वेशभूषा में टैंक पर सवार होकर रणबांकुरों से सजी उस रणभूमि में पहुंच गई जहां इस सदी का सेना का सबसे बडा सैन्य अभ्यास सुदर्शन शक्ति चल रहा है। आकाश से हमलावर हेलीकॉप्टरों की गोलाबारी और टैंकों तथा तोपों की गर्जनाओं के बीच राष्ट्रपति ने सेना के रणबांकुरों द्वारा दुश्मन के ठिकानों पर भारत का परचम लहराते हुए देखा। इस अभ्यास में सेना की 21 कोर के 60हजार सैनिक, सैंकडों टैंक,बख्तरबंद वाहन और तोपों की हिस्सेदारी है।
राष्ट्रपति मी-17 हेलीकाप्टर से थार रेगिस्तान में उतरीं और उन्हें वहां से टी 90 टैंक के जरिए उन्हें मौके पर ले जाया गया जहां "दुश्मन की एक कंपनी" ने करीब 50 बंकरों के साथ कब्जा जमाया हुआ था। टैंक सैनिकों की काली वर्दी पहने पाटील ग्रैंड स्टैंड पहुंची जहां उन्हें सामने करीब 200 किलोमीटर में फैले युद्वाभ्यास के मोर्चे की जानकारी दी गई। इसके बाद उन्होंने मैकेनाइज्ड प्रभुत्व वाले हमले का नजारा देखा जिसमें हेलीकाप्टर से विशेष बलों को दुश्मन के ठीक सामने उतार दिया गया जिन्होंने घातक हमला करते हुए बंकरों पर चढाई कर दी।
इसके बाद बोफोर्स तोपों, स्मिर्च रोकेट लांचरों और पिनाका गनबैटल सिस्टम से आग उगलनी शुरू कर दी। थार का यह इलाका इसके बाद भयंकर गोलाबारी से गूंज उठा। यह संयोग की बात है कि भारत 1971 के युद्ध की 40वीं वर्षगांठ आज से दस दिन बाद ही पूरी करने वाला है और दुश्मन की उस समय हुई पराजय का खुमार भी साफ महसूस हो रहा था। भारतीय सेना ने वायु सेना की हवाई शक्ति के तालमेल से सुदर्शन शक्ति अभ्यास डिजिटल युद्ध के वातावरण में किया है।
इसमें सेना ने दुश्मन की भूमि में गहराई तक धंसकर वार करने की क्षमता को जांचा परखा और अपने नई उपकरणों की भी परख की है। विजयी भव अभ्यास के बाद यह हाल के समय में ऎसा दूसरा बड़ा अभ्यास है जिसमें भारत की सेना अपने त्वरित कार्रवाई युद्ध की कडी जांच परख कर रही है।यह भी विडम्बना ही है कि इस पूरे अभ्यास में भी कोई महिला हमलावर भूमिका में नहीं थी जिसकी प्रत्यक्षदर्शी सुप्रीम कमांडर थीं। पिछले नवंबर में ही सैन्य बलों ने महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के बारे में जो नीतिगत प्रारूप सरकार को सौंपा है उसमें भी महिलाओं को लड़ाकू भूमिका में उतारने का कोई उल्लेख नहीं है।
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CHANDAN SINGH BHATI
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