अग्रिम जमानत याचिका खारिज
बाड़मेर ग्राम पंचायत कवास की सरपंच राजकुमारी व उसके पति रमेश गोलिया की अग्रिम जमानत याचिका अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश चंद्रशेखर शर्मा ने गुरुवार को खारिज कर दी। जमानत याचिका खारिज हो जाने के बाद भी सरपंच व सरपंच पति की गिरफ्तारी नहीं करने पर एडवोकेट सुनिल बीएल रामावत ने पुलिस पर आरोपियों से मिलीभगत का आरोप लगाया। एडवोकेट रामावत ने बताया कि कवास सरपंच राजकुमारी व सरपंच पति रमेश गोलिया ने वर्ष 2010 में बिना पौधरोपण व खेल मैदान बनाए सरकारी राशि हड़प ली थी। सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई कार्यकर्ता महेंद्रसिंह पुत्र कुंभाराम चौधरी निवासी कवास ने जानकारी लेकर कवास थाने में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि घोटाले के सबूत होने के बावजूद इस मामले में पुलिस ने एफआर पेश कर दी। इस पर न्यायालय की शरण ली तो न्यायालय ने प्रसंज्ञान लेकर आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट से तलब किया। इसके बावजूद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अभियुक्त गण आज भी पंचायत का कार्य सुचारू रूप से कर रहे हैं। इधर मुल्जिमान ने अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश बाड़मेर के समक्ष अग्रिम जमानत का प्रार्थना पत्र पेश करवाया। परिवादी के वकील सुनिल बीएल रामावत व भवानीसिंह चौधरी ने तर्क प्रस्तुत किए, जिस पर न्यायाधीश ने 1दिसंबर2011 को अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके उपरांत पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है, जिससे स्पष्ट होता है कि इन लोगों से पुलिस की मिलीभगत है।
बाड़मेर ग्राम पंचायत कवास की सरपंच राजकुमारी व उसके पति रमेश गोलिया की अग्रिम जमानत याचिका अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश चंद्रशेखर शर्मा ने गुरुवार को खारिज कर दी। जमानत याचिका खारिज हो जाने के बाद भी सरपंच व सरपंच पति की गिरफ्तारी नहीं करने पर एडवोकेट सुनिल बीएल रामावत ने पुलिस पर आरोपियों से मिलीभगत का आरोप लगाया। एडवोकेट रामावत ने बताया कि कवास सरपंच राजकुमारी व सरपंच पति रमेश गोलिया ने वर्ष 2010 में बिना पौधरोपण व खेल मैदान बनाए सरकारी राशि हड़प ली थी। सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई कार्यकर्ता महेंद्रसिंह पुत्र कुंभाराम चौधरी निवासी कवास ने जानकारी लेकर कवास थाने में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि घोटाले के सबूत होने के बावजूद इस मामले में पुलिस ने एफआर पेश कर दी। इस पर न्यायालय की शरण ली तो न्यायालय ने प्रसंज्ञान लेकर आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट से तलब किया। इसके बावजूद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अभियुक्त गण आज भी पंचायत का कार्य सुचारू रूप से कर रहे हैं। इधर मुल्जिमान ने अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश बाड़मेर के समक्ष अग्रिम जमानत का प्रार्थना पत्र पेश करवाया। परिवादी के वकील सुनिल बीएल रामावत व भवानीसिंह चौधरी ने तर्क प्रस्तुत किए, जिस पर न्यायाधीश ने 1दिसंबर2011 को अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके उपरांत पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है, जिससे स्पष्ट होता है कि इन लोगों से पुलिस की मिलीभगत है।
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