लाहौर।। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में तकरीबन एक दशक पहले एक ग्राम पंचायत के आदेश पर हुए गैंगरेप के खिलाफ आवाज उठाने वालीं मुख्तार माई के घर बेटे ने जन्म लिया है।
लाहौर से 350 किलोमीटर दूर मुल्तान शहर में एक प्राइवेट क्लिनिक में रविवार की शाम उन्होंने बेटे को जन्म दिया। मुल्तान से लगे जिले मुजफ्फरनगर के एक पुलिस अधिकारी से 2009 में 40 वर्षीय माई ने निकाह किया था। माई के भाई असद अब्बास ने बताया, 'जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ नसीम अख्तर की क्लिनिक में रविवार को शाम करीब साढ़े चार बजे बच्चे ने जन्म लिया।'
अब्बास ने कहा कि पूरा परिवार खुश है। काफी समय बाद माई के परिवार को कोई अच्छी खबर मिली है। खबर के बाद माई के परिवार को पाकिस्तान भर से बधाई संदेश मिल रहे हैं। क्लिनिक के अधिकारियों ने बताया कि समय से दो हफ्ते पहले ऑपरेशन से बच्चे का जन्म हुआ।
माई के साथ पंचायत के आदेश पर 2002 में गैंगरेप हुआ था। उन्हें यह सजा उनके छोटे भाई के गैर बिरादरी की महिला के साथ अवैध संबंधों के लिए दी गई। मीरवाला गांव में घटना के वक्त माई के भाई की उम्र केवल 12 साल थी। झूठी शान की खातिर अपराध में जहां अन्य महिलाएं खामोश रहती थीं वहीं माई और उनके परिवार ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। जून 2002 में इस्लामी कानून और आतंक रोधी कानून के तहत 14 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उसी साल पंजाब के एक लोअर कोर्ट ने उनमें छह को मौत की सजा सुनाई।
मार्च 2005 में आरोपियों की अपील पर लाहौर हाई कोर्ट की मुल्तान पीठ ने लोअर कोर्ट के फैसले को पलटते हुए पांच को बरी कर दिया और एक मुख्य अभियुक्त की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी। इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
लाहौर से 350 किलोमीटर दूर मुल्तान शहर में एक प्राइवेट क्लिनिक में रविवार की शाम उन्होंने बेटे को जन्म दिया। मुल्तान से लगे जिले मुजफ्फरनगर के एक पुलिस अधिकारी से 2009 में 40 वर्षीय माई ने निकाह किया था। माई के भाई असद अब्बास ने बताया, 'जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ नसीम अख्तर की क्लिनिक में रविवार को शाम करीब साढ़े चार बजे बच्चे ने जन्म लिया।'
अब्बास ने कहा कि पूरा परिवार खुश है। काफी समय बाद माई के परिवार को कोई अच्छी खबर मिली है। खबर के बाद माई के परिवार को पाकिस्तान भर से बधाई संदेश मिल रहे हैं। क्लिनिक के अधिकारियों ने बताया कि समय से दो हफ्ते पहले ऑपरेशन से बच्चे का जन्म हुआ।
माई के साथ पंचायत के आदेश पर 2002 में गैंगरेप हुआ था। उन्हें यह सजा उनके छोटे भाई के गैर बिरादरी की महिला के साथ अवैध संबंधों के लिए दी गई। मीरवाला गांव में घटना के वक्त माई के भाई की उम्र केवल 12 साल थी। झूठी शान की खातिर अपराध में जहां अन्य महिलाएं खामोश रहती थीं वहीं माई और उनके परिवार ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। जून 2002 में इस्लामी कानून और आतंक रोधी कानून के तहत 14 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उसी साल पंजाब के एक लोअर कोर्ट ने उनमें छह को मौत की सजा सुनाई।
मार्च 2005 में आरोपियों की अपील पर लाहौर हाई कोर्ट की मुल्तान पीठ ने लोअर कोर्ट के फैसले को पलटते हुए पांच को बरी कर दिया और एक मुख्य अभियुक्त की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी। इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
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