रविवार, 4 दिसंबर 2011

मातमी धुन के साथ निकला अलम बरदार का जुलूस



मातमी धुन के साथ निकला अलम बरदार का जुलूस





मंडार कस्बे में शनिवार की शाम हजरत अब्बास अलम बरदार की याद में कस्बे में जुलूस निकाला गया। जुलूस कस्बे के इमामबाड़े से मातमी धुन के साथ रवाना होकर हुसैनी चौक पहुंचा, जहां मुस्लिम युवकों ने हैरतअंगेज अखाड़े का आयोजन किया। वहां से बोहरावास, महावीर स्टोर, हनुमान मंदिर के पास होकर मुख्य मार्गों से होता हुआ पुन: इमामबाड़ा पहुंचा। जुलूस में सैकड़ों की संख्या में सम्मिलित मुस्लिम समाज के लोगों ने हुसैन जिंदाबाद के नारे लगाते हुए चल रहे थे।

अकीदतमंदों ने लोगों को पिलाई शरबत : अलमबरदार के जुलूस को लेकर कस्बे में कई मुस्लिम परिवार की ओर से शरबत बनाकर लोगों को पिलाया गया। कस्बे में सातवीं मोहर्रम को लेकर कई घरों में लोगों ने इबादत कर हुसैन की याद को ताजा किया।

जगह-जगह हुआ अखाड़े का आयोजन : जुलूस के दौरान कस्बे के कई स्थान पर मुस्लिम समाज के युवाओं ने अखाड़े का आयोजन किया। इस दौरान युवाओं ने जंजीर, तलवार, बड़ी सुइयों से हैरतअंगेज करतब भी दिखाए।
जुलूस में पुलिस प्रशासन की और से माकूल बंदोबस्त किया गया था और शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस कस्बे में होता हुआ इमामबाड़ा पहुंचा।

हक की राह में हुए कुर्बान

मोहर्रम को लेकर आयोजित मजलिस में मौलाना ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने अपने पूरे परिवार को खुदा की राह में कुर्बान कर दिया, लेकिन आखिरी वक्त तक इस्लाम व नमाज का दामन नहीं छोड़ा। इसलिए आज पूरा देश हुसैन की याद में मोहर्रम मनाता है। प्रत्येक मोमीन को हुसैन की शहादत को इस तरह से मनाना चाहिए कि अपना दिल पाक साफ हो जाए।


रात में मेहंदी का जुलूस

मोहर्रम को लेकर शनिवार रात को हजरत इमाम हुसैन व उनके परिवार की याद में कस्बे के मुस्लिम समाज के घरों से मन्नत की मेहंदी को मातमी धुन के साथ इमामबाड़ा लाया गया। रात 9 बजे के बाद हर गली-मोहल्लों से हुसैन के नारो की गूंज व मातमी धुन के साथ मेहंदी को रंग-बिरंगी रोशनी से सजा कर इमामबाड़ा तक लेकर पहुंचे, जहां पर लोगों ने हजरत इमाम हुसैन की बारगाह में दुआएं मांगी। इस बार मुस्लिम समाज के साथ अन्य धर्म के लोगों ने भी मन्नत की मेहंदी को चढ़ाया। इस बार कस्बे में 100 से ज्यादा मेहंदी ढोल ताशों के साथ जुलूस के रूप में इमामबाड़े तक लाई गई।

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