आग उगलती बोफोर्स तोपें जब गरजीं तो कांप उठी थार की धरती!
बाड़मेर .भारतीय सेना के अग्रणी अर्जुन टैंक, माइटी अकबर हेलिकॉप्टर और आग उगलती बोफोर्स तोपें जब थार में गरजीं तो धरती भी कांप उठी। इन सबके साथ सेना के बहादुर जवान मौत बनकर ‘दुश्मन’ पर टूट पड़े और कुछ ही देर में में दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों के रूप में बनाए गए पचास से अधिक बंकरों को नेस्तनाबूद कर दिया।
इस तरह भारतीय थल सेना और वायुसेना ने रात के अंधेरे में दुश्मन के काल्पनिक ठिकाने पर कब्जा कर तिरंगा फहरा दिया। बाड़मेर से चालीस किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में स्थित बागुंडी गांव के रेत के टीलों पर इस साहसिक अभियान को तीनों सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति प्रतिभा देवी¨सह पाटील ने सोमवार को देखा और इसकी सराहना की।
भारतीय सेना की दक्षिणी कमान के नेतृत्व में हो रहे युद्धाभ्यास ‘सुदर्शन शक्ति’ के तहत सेना के जांबाजों ने अचूक निशाने व समय की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया। सोमवार दोपहर साढ़े बारह बजे युद्धाभ्यास की शुरुआत सेना के हल्के हेलिकॉप्टर ध्रुव के साथ हुई, जो कुछ ही पलों में दुश्मन की नजरों को धोखा देकर उसके क्षेत्र में घुस कर कमांडो व वाहन उतारता है।
इसके बाद सेना के चेतक हेलिकॉप्टर जवानों को युद्ध के मैदान में उतारते हैं। इसके बाद मैदान में टैंक व बोफोर्स तोपों की गर्जन शुरू होती है। जमीन पर अर्जुन टैंक और इसी दौरान ऊपर से जब तेज गति से माइटी अकबर हेलिकॉप्टर निशाना बनाते हुए निकलते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे दोनों में होड़ सी मची है। सेना के दोनों प्रमुख अंग थल सेना व वायुसेना का बेहतर सामंजस्य सुदर्शन शक्ति में नजर आया।
इससे पहले राष्ट्रपति, थलसेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह व रक्षामंत्री एके एंटोनी सेना के टी-90 टैंक पर रेतीले धोरे पार कर युद्ध स्थल पर नियत समय से करीब एक घंटा देरी से पहुंचे। दक्षिण कमान के आर्मी कमांडर एके सिंह ने बताया कि भारतीय सेना का एकीकृत युद्धाभ्यास देश की रक्षा करने के लिए सेना की गतिविधियों व विकास को परखना है, किसी देश को जवाब देना नहीं है।
सीमाओं की रक्षा के लिए उठा सकते हैं कोई भी कदम : पाटील
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने कहा है कि एक राष्ट्र के रूप में हम शांति के प्रति वचनबद्ध हैं, लेकिन हम अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए कोई कदम उठाने में नहीं हिचकिचाएंगे। राष्ट्रपति ने युद्धाभ्यास देखने के बाद सैनिक सम्मेलन में यह बात कही।
उन्होंने कहा, ‘अपने बहादुर जवानों से सज्जित हमारी सशस्त्र सेनाएं राष्ट्रहितों की रक्षा करने के हमारे दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करती हैं। कोई भी राष्ट्र अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखे बिना समृद्ध नहीं हो सकता। जब भी देश पर विपदा आई है, सेनाएं उम्मीदों पर खरी उतरी हैं।
उन्होंने हमेशा पराक्रम और समर्पण के साथ हमारी सीमाओं पर चौकसी रखी है।’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘आज देश बहुआयामी चुनौतियों का सामना कर रहा है। सेना को हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना होगा। हमें जरूरत पड़ने पर दुश्मनों को माकूल जवाब देने के लिए निरंतर प्रशिक्षण के जरिए कौशल में वृद्धि करनी है।’
एकीकृत युद्ध प्रणाली मजबूत करने पर जोर
भारतीय सेना एकीकृत युद्ध प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दे रही है। इस युद्धाभ्यास में पिछले लंबे समय से सेना में विकसित की गई नई तकनीकों को आजमाया जा रहा है। सेना का खास जोर इस बात पर है कि हर एक्टिविटी में टाइम रेस्पॉन्स कितना सटीक है। इसके लिए मैदान में जवानों के साथ-साथ, हेलिकॉप्टर, टैंक, राकेट लांचर, तोपों व लड़ाकू विमानों को परखा जा रहा है। लेकिन भारतीय सेना की किसी देश के साथ प्रतिस्पर्धा या लड़ाई से पहले किसी तरह की तैयारी नहीं है।
पत्रकारों से बातचीत में दक्षिणी कमान के आर्मी कमांडर एके सिंह ने कहा कि हमारी रणनीति समय के साथ बदलती है। 21वीं सदी में हम कितने सक्षम हैं इसे देखने के लिए हम सभी तरह के ऑपरेशन करते है। इस युद्धाभ्यास में जो प्रणालियां आजमाई जा रही हैं, उनके परिणामों को सेना में लागू करने के लिए रिपोर्ट चीफ को भेजी जाएगी।
सुदर्शनचक्र कॉर्प के लेफ्टिनेंट जनरल संजीव लांगरी ने कहा कि हमारी सेना का ढांचा देश की सुरक्षा के प्रति ही कटिबद्ध है।
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