जयपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को हर जिले में वकीलों के लिए ग्रुप हाउसिंग स्कीम को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी देने की घोषणा की। गहलोत ने हाईकोर्ट में पार्किंग व चेंबर्स के विस्तार भवन के शिलान्यास के मौके पर कहा कि जयपुर व जोधपुर में बार काउंसिल के अतिथि भवन के निर्माण के लिए सरकार जमीन निशुल्क देगी। साथ ही मुख्यमंत्री ने अपने राहत कोष से अधिवक्ता कल्याण कोष में 25 लाख रुपए देने की घोषणा की।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दलबीर भंडारी, न्यायाधीश आर.एम.लोढ़ा व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने देश की अदालतों में मुकदमों के अंबार में चिंता जताते हुए कहा कि मध्यस्थता से ही मुकदमों की संख्या को कम किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आर.एम.लोढ़ा ने कहा कि आज व्यक्ति को सस्ता व सुलभ न्याय नहीं मिल पा रहा है। वकील चाहता है कि उसका केस लंबा चले और जब तक न्याय मिलता है तब तक उसकी जिंदगी का सब कुछ खत्म हो जाता है। हम अभी भी देश में एडीआर को लागू नहीं कर पा रहे हैं। मैं कारपोरेट मुकदमों की बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन मध्यस्थता से पारिवारिक व अन्य छोटे मामलों को पारस्परिक सहमति से निपटाया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखा जाए कि मध्यस्थता किसी विशेषज्ञ व प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा की जाए।
न्यायाधीश दलबीर भंडारी ने अमेरिका का हवाला देते हुए कहा कि वहां पर 94 प्रतिशत मुकदमे मध्यस्थता से ही तय होते हैं क्योंकि यहां पर पक्षकार हर स्तर पर मौजूद रहता है। उन्होंने कहा कि देश की अधीनस्थ अदालतों में पौने तीन करोड़ मुकदमे लंबित हैं जबकि हाईकोर्ट में 42 लाख मुकदमे लंबित हैं। इनमें से सवा करोड़ मुकदमे चेक बाउंस के ही हैं जो मध्यस्थता के जरिए निपटाए जा सकते हैं।
प्रोजेक्ट एक नजर में:
लागत : सोलह करोड़ रुपए
निर्माण कार्य होगा : दो बेसमेंट और तीन मंजिला भवन। बेसमेंट में पार्किग व तीन मंजिला भवन में 216 चेंबर्स बनेंगे।
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