गुरुवार, 3 नवंबर 2011

दलित छात्रों के साथ स्कूलों होता हैं भेदभाव,पोशाहार के लिए अलग बरतन







दलित छात्रों के साथ स्कूलों होता हैं भेदभाव,पोशाहार के लिए अलग बरतन

बाडमेर भारत को आजाद हुऐ भले ही साठ द
क से ज्यादा समय हो गया मगर दलित वर्ग दाज भी स्वर्णो की चौखटों से आगे ब नहीं पाया।सरकारी विद्यालयों में आज भी दलित छात्रों कें साथ सरओम भेदभाव होता हैं पोशाहार खाने के लिऐ आज भी उन्हे स्वर्ण छात्रों से अलग बिठाकर भीेजन दिया जाता हैं।दलित छात्रों को पोशाहार खाने के लिए अलग से बरतन अपने घरों से लाने पड रहे हैं।ये दास्तान कडवी हकीकत हैं,जो बाडमेर सहित राजस्थान भर के विद्यालयों में दो हराई जा रही हैं। एक दिन पूर्व जब बाडमेर जिले के ग्रामीण अंचलों की दर्जन भर से दधिक विद्यालयों में पहूचेॅ।तो िक्षा विभाग की सारी पोल खुल कर सामने आ गई।सो दस बजे भादरेस ग्राम पंचायत के एक प्राथमिक विद्यालय में पहुॅचें तों पोशाहार वितरण चल रहा था।पोशाहार पकाने वाली महिला बरामदे में बैठे छात्रों को जो स्वर्ण जाति के थेएउन्हे अलग से अपने हाथों से खाना परोस रही थी वही बरामदे के नीचे रेत पर 18 छात्र हाथों में कटोरीयॉ लिऐ अपनी बारी का इन्तजार कर रहे थेएपोशाहार पकाने वाली बाई ने स्वर्णो को पोशाहार देने के बाद दलित छात्रों को अपना अपना पोशाहार ले जाने के लिए आवाज दी।दलित छात्र उठे तथा अपने अपने बरतन पोशाहार लेने के लिऐ लाईन में लगा दिए।बाई एक एक कर दलित छात्रो के बरतनों में पोशाहार डालने लगी।दलित छात्र पोशाहार लेकर रेत पर बैठ क रमजे से खाने लगे।रेत पर बैठ कर पोशाहार खा रहे छात्र सुरताराम मेघवाल को जब बाकी बचचों से अलग खाने का कारण पूछा तो उसने बताया कि बरामदें में उॅची जात वाले छात्र बैइकर पोशाहार खाते हैंएवो हमारे को साथ नही बैठने देतेएइसिलिऐ नीचे बैठकर खातें हैं।उसने बताया कि हम बरतन अपने घरो से अलग से लाते हैं।जबकि दूसरे छात्रों को बरतन स्कूल से ही देतें हैं।सवर्ण जाति के छात्र जवाहर सिंह नें बताया कि सकूल में मेघवाल छात्र भी पतें हैं ,मेघवालों को साथ हम नहीं बिठातें इसिलिऐ स्कूलों में अलग से बैठतें हैं।विद्यालय के अघ्यापक ने नाम ना छापने की भार्त पर बताया कि दलित छात्र स्वयं स्वर्ण जाति के छात्रों के साथ बैइ कर खाने से परहेज करते हैं।विद्यालय ने समान व्यवस्था कर रखी हैं।भेदभाव गांवों में परम्परागत रूप से पी दर पी चल रहा हैं। बहरहाल सरकारी विद्यालयों में पोशाहार पकाने वाली महिलाऐं भी दलित वर्ग की नही के बरासबर हें।क्योकि दलित महिला के हाथों से बना पोशाहार भी स्वर्ण जाति के छात्र नही खातें।आजादी के साठ दशक बाद भी हिन्दूस्तान की तस्वीर से स्वर्ण और दलित के मध्य की खाइ्र नही हटाई जा सकी।जिला िक्षा अधिकारी नरसिंगाराम मेधवाल ने बताया कि विद्यालयें में पोशाहार वितरण की समान व्यवस्था चलती हैं।दलित छात्रों के साथ भेदभाव नहीं होता।
मानवता के विपरीत

शिक्षा के मंदिर में जब पढ़ाई में कोई भेदभाव नहीं होता तो पास-पास बैठकर भोजन करने में ऐसा करना मानवता के विपरीत है। भारतीय संविधान ने भी सभी को समानता का दर्जा दिया है, शिक्षा के मंदिरों में ऐसा कृत्य बच्चों में हीन भावना पैदा करती है। कुछ ऐसी ही शिकायतों पर शिक्षा विभाग गंभीर नजर आ रहा है। ये शिकायत की है उन बच्चों के परिजनों ने, जिनके साथ स्कूल में ऐसा वाकया हुआ है। शिक्षा विभाग ने स्कूल में बच्चों के साथ भेदभाव को गंभीरता से लेते हुए परिपत्र जारी कर संस्था प्रधानों को भेदभाव रोकने के लिए पाबंद किया है।

ये थी शिकायत: परिजनों ने शिकायत की थी स्कूल में उनके बच्चों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उन्हें पोषाहार के समय अलग बिठाया जाता है और उनके खाने के बर्तन भी अलग रखे जाते हैं।




अब एक साथ बैठकर करेंगे भोजन

स्कूलों में मध्यान्ह के समय बच्चों को मिलने वाले पोषाहार में सभी बच्चों को एक साथ भोजन करने के निर्देश दिए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक की ओर से जारी किए गए परिपत्र में संस्था प्रधानों और शिक्षकों को स्पष्ट हिदायत दी गई है कि बच्चों को सामूहिक रूप से बिठाकर भोजन का वितरण किया जाए। साथ ही बच्चों के खाने-पीने के बर्तन भी एक साथ रखें।

कानूनी कार्रवाई की चेतावनी

डीईओ ने सभी संस्था प्रधानों और शिक्षकों को स्पष्ट हिदायत दी है कि अगर किसी भी स्कूल में बच्चों के साथ भेदभाव पाया गया तो संबंधित के खिलाफ न सिर्फ विभागीय कार्रवाई की जाएगी बल्कि भारतीय संविधान के अनुरूप कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।

कितना गलत है ये

नन्हे-नन्हे बच्चों के साथ भेदभाव न सिर्फ अमानवीय है बल्कि हीन भावना का परिचायक है। इससे बच्चे के मस्तिष्क में कुंठा और हीनता का भाव पैदा होता है। शिक्षा के पुनीत कार्य में लगे कथित कार्मिकों का यह कृत्य न सिर्फ आपराधिक है बल्कि देश की भावी पीढ़ी नन्हे बच्चों को समाज में बांटना घोर निंदनीय है। संविधान ने भी ऐसे लोगों को दंड का भागी माना है।

कार्रवाई करेंगे

॥भेदभाव की शिकायतों पर अभियान चलाकर समय-समय पर स्कूलों की जांच की जाएगी। अगर शिकायत सही पाई गई तो संबंधित संस्था प्रधान और अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ञ्जञ्ज

डूंगरदास खींची, एडीईओ प्रारंभिक, बाड़मेर

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