बुधवार, 2 नवंबर 2011

राड़बर में मिला मृत तेंदुआ


शिवगंज ग्राम राड़बर की आबादी के निकट गजानंद मंदिर की ओरण भूमि पर मंगलवार को मृत तेंदुआ मिला। सुबह करीब आठ बजे ग्रामीणों ने तेंदुए का शव पड़ा देखा। पूर्व सरपंच रामसिंह राजपुरोहित ने वन विभाग के अधिकारियों व पालड़ी एम पुलिस को इसकी जानकारी दी। तेंदुए के मुंह से खून निकला हुआ था। शव करीब चौबीस घंटा पुराना होना बताया है एवं उसके शव पर कहीं भी घाव के निशान नहीं है।

इसकी जानकारी मिलते ही तहसीलदार नंदकिशोर राजौरा, रेंजर भंवरसिंह, पालड़ी एम थानाधिकारी बुद्धाराम, वनपाल वीराराम मीणा व गार्ड भैराराम एवं अन्य संबंधित अधिकारी मौके पर पहुंचे एवं तेंदुए के शव एवं घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया। बाद में वन विभाग के अधिकारियों ने पोस्टमार्टम के लिए शव को कब्जे में लिया एवं दोपहर करीब 12.30 बजे शव को सिरोही ले गए। जहां डॉक्टरों ने शव का पोस्टमार्टम किया, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही उसकी मृत्यु के कारण का सही पता लग पाएगा।

तीन तेंदुओं की मौत संदेह के घेरे में

राड़बर क्षेत्र में एक तेंदुए एवं इसके करीब दो वर्ष पूर्व ग्राम चूली के निकट दो तेंदुओं की हुई मौत संदेह के घेरे में हैं। लगातार इन गांवों में तीन तेंदुओं की मौत होने से ग्रामीण काफी भयभीत एवं अचंभित है। चूली में एक तेंदुआ तो घायल देखे जाने के बाद उसकी मौत हुई थी। आबादी क्षेत्र में उसे घायल अवस्था में देखा गया एवं बाद में उसे पहाड़ी क्षेत्र स्थित एक गुफा में वह मरा हुआ मिला था। उसके सिर पर गहरा घाव था। वह घाव कब से और कैसे आया? इस पर वन अधिकारियों ने यह जवाब दिया था कि वह बीमार होने एवं पत्थरों से टकराने के कारण घाव हुआ है, लेकिन यह सवाल उठता है कि अगर वह गंभीर बीमार था और अंतिम सांसें गिन रहा था तो वह गांव में उस दिन कैसे पहुंचा तथा गांव से दौड़ता हुआ जंगल की ओर कैसे भागा? इस घटना के तीन दिन भी नहीं हुए थे और चूली के समीप मंदिर से करीब 200 फीट की दूरी पर एक ओर तेंदूआ मरा हुआ मिला था।

उस तेंदुए को मरे हुए करीब दस दिन हो गए थे। तेज धूप से उसकी खाल भी पुरी तरह सुख गई थी एवं जानवरों ने उसे नौच कर बिखेर दिया था। मौके पर तेंदुए की खाल, पैर, नाखून, दांत, रीड की हड्डी आदि पड़े हुए पाए गए थे।

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