शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

धनी बनने के ख्वाब में 'एसआई' का बेटा, प्रेमिका संग खौफनाक...

जयपुर.एक अनोखा चोर गिरोह..सरगना रिटायर्ड एएसआई का बेटा और दूसरे नंबर पर उसकी प्रेमिका। चोरी के लिए प्रेमिका के साथ कार से पॉश इलाकों की रैकी करता।

पुलिस पूछताछ करती तो उसे पत्नी बताता। चोरी में वह ज्वैलरी पर ही ध्यान देता और बाद में उसे गिरवी रखकर गोल्ड लोन ले लेता। पुलिस ने गुरुवार को इन दोनों के साथ इनके तीन साथियों को भी गिरफ्तार किया है।


अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर अनिल पालीवाल के अनुसार गिरफ्तार मुख्य आरोपी प्रमोद शर्मा (28) निवासी गायत्री कॉलोनी, सांगानेर निवासी है। अन्य आरोपियों में गांव नेवटा, मुहाना निवासी मुकेश चौधरी(19), जेडीए कॉलोनी, गोविंदपुरा सांगानेर निवासी राजू उर्फ राजा (21), जोयतावाला सांगानेर निवासी लक्ष्मीकांत उर्फ जुगनू(21) व गोपी नगर सांगानेर निवासी गुड्डी सांसी उर्फ किस्मत(30) है।


गत 28 अक्टूबर को आरोपियों ने सांगानेर में आसींद नगर निवासी चंद्रकांत अग्रवाल के मकान को सूना पाकर नकबजनी की वारदात की थी। जिसमें लाखों रुपए के जेवर व नकदी ले गए थे। इसके बाद एसीपी सांगानेर राजेश मील व थानाप्रभारी सुबोध शर्मा के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई थी।

पड़ताल में कांस्टेबल रणवीर व भंवरलाल की सूचना पर संदिग्ध कार की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने आरोपियों को धर दबोचा। पूछताछ में गत मई में गायत्री कॉलोनी, सांगानेर निवासी लोकेश खत्री के मकान से लाखों रुपए के जेवर व नकदी चुराने तथा मानसरोवर, शिप्रापथ इलाकों में नकबजनी की करीब 15 वारदातें करना कबूली है।


बचने के लिए ‘किस्मत’ का साथ

सरगना प्रमोद शर्मा सांगानेर में कबाड़ी का काम करता है। वह धंधे की आड़ में नकबजनी करने लगा। वह गिरोह के अन्य सदस्यों से चोरी का माल खरीदता है। रात में वह तीनों साथियों के साथ कार से रिहायशी इलाकों में रैकी करता।

इस दौरान वह अपनी प्रेमिका किस्मत को साथ में रखता, ताकि किसी को उन पर शक न हो। वे वाहन चैकिंग के दौरान पुलिस को भी कार में पत्नी व परिवार बताकर गच्चा देने में कामयाब रहे।

जल्दी धनवान बनने की चाहत में बना चोर, पकड़ा नहीं गया तो बढ़ा हौसला

आरोपी प्रमोद के पिता रिटायर्ड एएसआई है। वह शानो शौकत व आराम पसंद जिंदगी जीने तथा शीघ्र धनवान बनने के लिए नकबजनी के धंधे में उतरा। प्रारंभ में कबाड़ का व्यवसाय शरू कर लोहे व कबाड़ी के सामान की चोरी करना शुरू कर दिया। लेकिन, कभी पकड़ में नहीं आया।





इसके बाद वह बड़ी वारदातें करने लगा। पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपी मुकेश चौधरी व राजू गवारिया के खिलाफ भी वाहन चोरी व नकबजनी के काफी मुकदमे दर्ज हैं।





क्योंकि बैंक बिल नहीं देखते





गोल्ड लोन के लिए बैंक बिल नहीं देखते हैं। वे केवल अंडरटेकिंग लेते हैं कि सोना लोन लेने वाले व्यक्ति का ही है। इसका मुख्य कारण, अधिकतर लोगों के पास सोना पुश्तैनी होता है। ऐसे में बिल होने का सवाल ही नहीं होता।





(स्टेंट बैंक समूह और मुथूट गोल्ड के अधिकारियों से बातचीत पर आधारित)





सोने के जेवर ही चुराता था





एसीपी राजेश मील ने बताया कि नकबजनी में हाथ लगी सोने की ज्वैलरी व नकदी से प्रमोद ने सोना खरीदा। इसके बाद कुछ गोल्ड फाइनेंस कंपनियों में सोने को गिरवी रखकर लाखों रुपए का लोन ले लिया। प्रमोद सोने का पारखी है। वह मकानों में मिली आर्टिफिशियल ज्वैलरी को वहीं छोड़ आता था। वह सोने के जेवर ही बटोरता था।

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