इधर तस्लीमा के परिजन यही सोच रहे थे कि अब यह निकाह नहीं हो पाएगा। आमतौर पर ऐसी स्थिति में तो युवक शादी के लिए तैयार भी नहीं होता। लेकिन युनुस ने निकाह का फैसला बरकरार रखा। युनुस के परिजनों ने भी उसकी इच्छा का मान रखा और शादी के लिए तय किए गए 26 नवंबर के दिन बारात एलजी अस्पताल पहुंच गई। अस्पताल के वार्ड में सगे-संबंधियों सहित अस्पताल के स्टाफ की उपस्थित में मौलवी ने इनका निकाह पढ़ा। जैसे ही मौलवी के पूछने पर युनुस ने कहा.. ‘मुझे निकाह कुबूल है’, अस्पताल में मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं।
मैं तस्लीमा से सच्च प्रेम करता हूं, मुसीबत में मैं उसका साथ नहीं दूंगा तो कौन देगा?
मैंने तस्लीमा से शादी का वादा किया था। फिर मैं अपने वादे से मुकर कैसे सकता हूं। मैं उससे सच्च प्रेम करता हूं, मुसीबत में मैं उसका साथ नहीं दूंगा तो कौन देगा? -युनुस पटेल (दूल्हा)
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