सोमवार, 28 नवंबर 2011

दो साल में खा गया साढ़े पांच किलो सिक्के

दो साल में खा गया साढ़े पांच किलो सिक्के

कोरबा। कोरकोमा गांव का 25 वर्षीय आदिवासी युवक कलेश्वर पिछले दो सालों से सिक्के खा रहा था। इस बात का खुलासा तब हुआ जब पेट दर्द के बाद डॉक्टरों ने उसके पेट का ऑपरेशन किया। युवक के पेट से एक-दो नहीं, बल्कि 421 सिक्के निकले। एक-दो और पांच रूपए के इन सिक्कों का कुल वजन साढ़े पांच किलो है।

सिक्कों के अलावा पेट से लोहे की 196 नग जिलेट (मछली के जाल में लगने वाली),15 नग नट बोल्ट और तीन नग चाबी भी निकाली गई। पेट दर्द से परेशान कलेश्वर को परिजनों ने शनिवार को सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने जब उसके पेट की सोनोग्राफी और एक्स-रे कराया तो आमाशय में गड़बड़ी पाई गई।


इसके बाद ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। ऑपरेशन में जब उसके आमाशय में बड़ी मात्रा में सिक्के और लोहे की अन्य वस्तुएं मिलीं तो डॉक्टर हैरान रह गए। करीब साढ़े पांच किलोग्राम सिक्के और लोहे की अन्य चीजों को निकालने में डॉक्टरों को दो घंटे का समय लगा। अब युवक स्वस्थ है।
आमाशय हो गया था ब्लॉक : सिक्के आदि खाने के आदत से युवक के परिजन अंजान थे। परिजनों ने कभी उसे सिक्केया लोहे की वस्तुएं खाते नहीं देखा। युवक ने भी अपनी इस आदत को जिक्र कभी परिजनों से नहीं किया।


लम्बे समय से इन चीजों को खाने से युवक का आमाशय धीरे-धीरे ब्लॉक होता गया। इससे उसका पाचन तंत्र बिगड़ गय। इसकी वजह से वह बहुत ही कम खाना खाता था। पिछले आठ दिनों से उसे उल्टी हो रही थी। इसकी वजह से उसे चिकित्सालय में भर्ती कराया गया।

मनोरोग से पीडित


युवक "मिनिमा" नामक मनोरोग से पीडित है। इसलिए उसे सिक्के और लोहे की अन्य वस्तुएं खाने की लत लग चुकी है। युवक का अब मनोरोग विशेषज्ञों से भी उपचार कराया जाएगा। डॉ. एस.एन. यादवसर्जन , सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च सेंटर, कोरबा

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