रविवार, 30 अक्टूबर 2011

धोरों के बीच लोक संगीत के साथ डिनर

धोरों के बीच लोक संगीत के साथ डिनर


जैसलमेर  स्वर्णनगरी में इन दिनों गुजराती सैलानियों की रेलमपेल लगी हुई है। प्रतिदिन 10 से 15 हजार गुजराती पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। परिजनों के साथ निजी व किराए के वाहनों में आने वाले ये सैलानी दिन भर शहर भ्रमण के बाद शाम को धोरों पर पहुंचकर लोक संगीत की धुनों के बीच डिनर का लुत्फ उठाकर दिन भर की थकान मिटा रहे हैं। पर्यटन व्यवसायी बताते हैं कि यहां आने वाले गुजराती सैलानी डेढ़ से दो दिन रुकते हैं। सुबह व दोपहर तक यहां पहुंचकर कुछ एक पर्यटन स्थलों का भ्रमण करते हैं। वहीं अगले दिन शहर सहित आसपास के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करते हुए शाम को सम के मखमली धोरों पर पहुंचते हैं। जहां कैमल सफारी का लुत्फ उठाया जाता है। दो दिन की इस भाग दौड़ के भ्रमण की थकान वे धोरों के बीच बने रिसोर्ट में डांस डिनर व कैम्प फायर से मिटाते हैं।

सांझ होते ही धोरों पर भीड़

शाम होते ही सम व खुहड़ी के मखमली धोरों पर सैलानियों का जमावड़ा लग जाता है। ऊंट सवारी का आनंद उठाने के साथ साथ सूर्यास्त के अद्भुत नजारे को देखने के लिए हर कोई बेताब नजर आता है। करीब दो-तीन घंटे धोरों पर मस्ती के बाद सैलानियों के दल बुकिंग के अनुसार अपने रिसोर्ट पहुंचते हैं जहां उनके लिए भव्य डिनर पार्टी का इंतजाम होता है। लोक कलाकारों के दल उनके लिए शानदार प्रस्तुतियां देकर उनका मनोरंजन करते हैं और वे इस दौरान स्नेक्स व सॉफ्ट ड्रिंक का लुत्फ उठाते हैं। वर्तमान में सम व खुहड़ी में गुजराती सैलानियों के लिए राजस्थानी व्यंजन भी बनाए जा रहे हैं जिन्हें डिनर में परोसा जाता है।
जैसलमेर में देखने लायक कई स्थान है। छोटे से टूर प्लान में एक दो दिन में ही पूरा भ्रमण करना पड़ता है। साथ ही साथ एक पर्यटन स्थल को देखे बिना नहीं चलता। ऐसे में पूरा दिन थकावट भरा रहता है। मगर शाम के समय धोरों पर डांस व डिनर का लुत्फ पूरी थकान मिटा देता है।
अविनाश पटेल, गुजराती सैलानी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें