रविवार, 2 अक्तूबर 2011

रिसर्च में भी मांग ली अस्मत

रिसर्च में भी मांग ली अस्मत

जबलपुर। मेडिकल की पढ़ाई में पास होने के लिए अस्मत मांगने के प्रकरण की आंच अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि रिसर्च वर्क (पीएचडी) में महिला वैज्ञानिक की अस्मत दांव पर लगने का मामला सामने आ गया।

अस्मत के सौदागरों के तार पहले रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से जुड़े जबकि इस बार किस्मत के बदले अस्मत मांगने वाला शख्स डॉ. विजय बहादुर उपाध्याय शहर के ही दूसरे प्रमुख शिक्षा केन्द्र जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में समन्वित फसल प्रणाली योजना का प्रोजेक्ट हैड है।

अपने ओहदे का दुरूपयोग कर डॉ. उपाध्याय ने सहकर्मी महिला वैज्ञानिक निशा सप्रे मेहरा को बहलाने-फुसलाने की कोशिश की। जब वे सफल नहीं हुए तो पीएचडी में सफलता दिलाने के बदले शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डाला। डॉ. उपाध्याय की हरकतों से डेढ़ साल से परेशान महिला वैज्ञानिक ने आखिरकार मामले को उजागर कर दिया।

परिवार से मिली हिम्मत
 निशा ने बताया कि करीब डेढ़ साल से मैं उपाध्याय की हरकतों से परेशान हूं। वर्ष 2009 से जो बात इशारों और टिप्पणी में शुरू हुई वो 12-13, अप्रेल 2011 को खुलकर सामने आ गई। डॉ उपाध्याय ने सप्रे से स्पष्ट कहा- मेरी शर्त मान लो, पीएचडी हो जाएगी।

विभाग प्रमुख की फरमाइश को ठुकराने के बाद महिला वैज्ञानिक निशा को प्रताडित करने का दौर शुरू हो गया। लोक-लाज और पारिवारिक इज्जत की खातिर निशा पिछले डेढ़ साल से अश्लील इशारों और टिप्पणियों में प्रोफेसर की फब्तियां बर्दाश्त करती रही। विश्वविद्यालय प्रबंधन से मदद नहीं मिलने के बाद उसने परिवार वालों को ये बताया कि उपाध्याय मुझसे अनैतिक संबंधों की मांग कर रहे हैैं। परिवार के हिम्मत बंधाने के बाद निशा ने पुलिस अधीक्षक को मामले की शिकायत की।

जांच के बजाय साक्ष्य मांगे
निशा ने एग्र्रोनॉमी विभाग के प्रमुख डॉ गिरीश झा और महिला उत्पीड़न प्रकोष्ठ की डॉ सतरूपा राव को 20 जुलाई को गोपनीय शिकायत की। 21 जुलाई को विवि प्रबंधन ने डॉ उपाध्याय का गंजबासौदा तबादला कर दिया। तबादला आदेश में कारण गंजबासौदा के प्रोफेसर का स्वास्थ्य खराब होना बताया गया।

मामले की जांच के लिए विवि ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित की। समिति में टीकमगढ़ कृषि कॉलेज के डीन डॉ पी के मिश्रा और डॉ सतरूपा राव को शामिल किया गया। सप्रे के अनुसार समिति की वैधानिकता ही संदेह के घेरे में है। जांच समिति ने उसके आरोपों के संबंध में जांच करने के बजाय उससे साक्ष्यों की मांग की। करीब 70 दिनों में जांच समिति किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी।

पुलिस ने मांगी जांच रिपोर्ट
पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस मामले में विश्वविद्यालय द्वारा जांच की जा रही है। पुलिस ने विवि की जांच रिपोर्ट तलब की है। जांच रिपोर्ट में मिले तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाने की संभावना है। एसपी संतोष सिंह ने बताया कि मामले की जांच सीएसपी गोहलपुर से कराई जाएगी। शिकायत सही पाए जाने पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।


पुलिस ने मांगी जांच रिपोर्ट
पुलिस सूत्रों की माने तो इस मामले में विश्वविद्यालय द्वारा जांच की जा रही है। पुलिस ने विवि की जांच रिपोर्ट तलब की है। जांच रिपोर्ट में मिले तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाने की संभावना है। एसपी संतोष सिंह ने बताया कि मामले की जांच सीएसपी गोहलपुर से कराई जाएगी। शिकायत सही पाए जाने पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।


महिला वैज्ञानिक निशा सप्रे की शिकायत पर जांच समिति गठित की गई है। सामान्यत: एक सदस्यीय जांच समिति बनाई जाती है। महिला का मामला देखते हुए महिला उत्पीड़न प्रकोष्ठ की डॉ सतरूपा राव को भी समिति में शामिल किया गया। समिति जांच में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी क्योंकि महिला वैज्ञानिक ने समिति के सामने पक्ष नहीं रखा।
बी बी मिश्रा, कुलसचिव जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि

महिला वैज्ञानिक की शिकायत के बाद डॉ उपाध्याय का तत्काल तबादला कर दिया गया था। मामले के लिए समिति गठित की गई है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। निशा ने जांच समिति के संबंध में विवि प्रबंधन को कोई शिकायत नहीं की है। प्रो गौतम कल्लू, कुलपति कृषि विवि

मैंने जांच समिति के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत कर दिया है। लापरवाही बरतने पर निशा सप्रे को कई बार मैंने मौखिक रूप से समझाया। समय पर कार्यस्थल नहीं पहुंचने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। इसके बावजूद उनके रवैये में कोई सुधार नहीं आया तो विभाग प्रमुख डॉ गिरीश झा से शिकायत की। इससे नाराज होकर सप्रे ने मनगढ़ंत आरोप लगा दिए।
डॉ विजय बहादुर उपाध्याय भूतपूर्व योजना प्रमुख एग्रोनॉमी

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