इसके बाद दंपती ने सिटी पैलेस में वस्त्रागार, शस्त्रागार, सूरज निवास, चंद्र महल का भ्रमण किया। झरोखे से गोविंददेवजी के दर्शन किए। सिटी पैलेस भ्रमण के दौरान भूटान नरेश जयपुर राजपरिवार के शस्त्र देख अभिभूत हो गए। यहां पर उन्होंने एक मिनट का मौन रख महाराजा भवानी सिंह को श्रृंद्धाजलि दी।
इसके पश्चात शाही दंपती जंतर मंतर पहुंचे, जिन्हें वल्र्ड हेरिटेज गाइड यूनियन के अध्यक्ष बृजमोहन खत्री ने लघु सम्राट यंत्र (धूप घड़ी), ध्रुव दर्शक पट्टिका और उत्तरी गोलार्ध और दक्षिण गोलार्ध के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुराने समय में यंत्रों का अभाव होने पर समय की गणना और रात को ध्रुव तारा देखने के लिए इन यंत्रों को काम लिया जाता था। इससे भूटान दंपती बड़े प्रभावित हुए।
जंतर मंतर के बाद शाही दंपती आमेर महल पहुंचे। यहां उन्होंने शीश महल और शिलामाता के दर्शन किए। शीश महल का लाइव डेमो दिया गया, जिसमें उन्हें बताया गया कि सर्दियों में महाराजा रात्रि विश्राम शीश महल में करते थे, क्योंकि यह कांच का बना हुआ है। इससे यह जल्दी गर्म हो जाता है। इससे सर्दी नहीं लगती। शाही दंपती के लिए हाथी सवारी की व्यवस्था भी की गई, लेकिन दंपती ने सवारी करने से मना कर दिया।
शाही दपंती के साथ कुल 23 लोग इस यात्रा में शामिल हैं। इसमें उनके मंत्रिमंडल के सदस्य और रिश्तेदार शामिल थे। इसके बाद भूटान नरेश विशेष रेल से दोपहर 2 बजे जोधपुर के लिए रवाना हो गए
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