मुख्यमंत्री आए और गए, पर नहीं पहुंची दवाएं
जालोर मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने भले ही खुद आकर रानीवाड़ा में निशुल्क दवा योजना का शुभारंभ कर दिया हो, लेकिन यह महत्वाकांक्षी योजना जिले भर में औपचारिकताओं से भरी साबित हो रही है। खुद मुख्यमंत्री योजना की शुरूआत कर चले गए, लेकिन अभी तक किसी भी अस्पताल में पूरी दवाइयां नहीं पहुंच पाई हैं। इनमें भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की तो पूरी तरह से अनदेखी की गई है। इन सभी केंद्रों पर मात्र 36 प्रकार की दवाइयां पहुंची हैं। इस बीच अस्पतालों में डॉक्टर्स के रिक्त पदों के कारण भी योजना का कोई विशेष लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। जिला अस्पताल समेत पूरे जिले में डॉक्टरों के पद रिक्त हैं। ऐसे में लोगों के सामने मजबूरी है कि वे या तो निजी अस्पतालों में इलाज करवाते हैं या वहां मौजूद किसी कंपाउंडर को दिखाते है। जिसकी लिखी दवाइयां अस्पताल में निशुल्क नहीं मिलेंगी।
दो दिन से काट रहा चक्कर : आहोर के समीप खारा निवासी दिलीप कुमार ने रविवार को अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया। डाक्टर ने उसे तीन दवाइयां लिखी। दिलीप कुमार को अस्पताल में मात्र एक दवा मिली। शेषत्नपेज 15
जबकि दो अन्य दवाइयों के लिए वह दो दिन से चक्कर काटता रहा। सोमवार शाम को उसने बाजार से यह दवा खरीदी। इधर, योजना के दूसरे दिन ही अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी रही। यहां कुल पांच डॉक्टर हैं। जिनमें से दो की सीएम के कार्यक्रम में ड्यूटी लगा दी गई और एक अवकाश पर था।
कहां कितनी पहुंची दवाएं
योजना शुरू होने के दूसरे दिन भी कहीं पर सारी दवाइयां नहीं पहुंची। जालोर में 99, भीनमाल में 81, रानीवाड़ा, सांचौर व सायला में 76, आहोर में 79 और जसवंतपुरा, हाड़ेचा व सियाणा में 75 दवाइयां पहुंची। इसी प्रकार सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मात्र 36 प्रकार की दवाइयां पहुंचाई गई हैं।
अस्पताल में चिकित्सकों का टोटा, मरीज परेशान
भीनमाल. राज्य सरकार द्वारा राजकीय अस्पतालों में नि:शुल्क दवाई वितरण के दूसरे दिन स्थानीय अस्पताल में चिकित्सकों की अनुपस्थिति और दवाइयों के अभाव में मरीजों को खासी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरन कई मरीजों को निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ी। सवेरे करीब सवा नौ बजे राजकीय अस्पताल में डॉ. जीएस देवल, डॉ. एमएम जांगिड़, डॉ. प्रेमराज परमार, डॉ. अक्षय बोहरा के कक्ष खाली पड़े थे। एक कक्ष में बैठे डा. नेमीचंद जैन व डा. सोहन राज मेहता के कक्ष में मरीजों की भीड़ उमड़ी हुई थी। जिन्हें संभालना भी उनके लिए भारी बना हुआ था। इस दौरान चिकित्सा प्रभारी डा. एमएम जांगिड़ व डा. अक्षय बोहरा मुख्यमंत्री रानीवाड़ा आगमन के दौरान ड्यूटी पर कार्यरत थे। डा. प्रेमराज परमार अवकाश पर थे। जबकि ब्लॉक सीएमएचओ का कार्यभार देख रहे डा. गजेन्द्रसिंह देवल पोस्टमार्टम व अन्य सरकारी कार्यों में व्यस्त थे।
जल्द ही उपलब्ध होंगी सभी दवाएं
जिले के विभिन्न अस्पतालों में वितरण केंद्रों पर मांग के अनुसार दवाएं भिजवा दी गई हैं। वैसे पीएचसी लेवल पर विशेषज्ञों की कमी होने के कारण गंभीर रोगों से संबंधित दवाएं वहां नहीं भेजी गई हैं। जिला अस्पताल व ब्लॉक लेवल के अलावा बड़े स्थान पर संभावित मरीजों की संख्या के आधार पर दवाएं भेजी गई हैं। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आगामी 15 अक्टूबर तक अस्पतालों में सारी दवाएं पहुंच जाएंगी।
डॉ. अनिल जुनैदिया, जिला योजना प्रभारी
जालोर मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने भले ही खुद आकर रानीवाड़ा में निशुल्क दवा योजना का शुभारंभ कर दिया हो, लेकिन यह महत्वाकांक्षी योजना जिले भर में औपचारिकताओं से भरी साबित हो रही है। खुद मुख्यमंत्री योजना की शुरूआत कर चले गए, लेकिन अभी तक किसी भी अस्पताल में पूरी दवाइयां नहीं पहुंच पाई हैं। इनमें भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की तो पूरी तरह से अनदेखी की गई है। इन सभी केंद्रों पर मात्र 36 प्रकार की दवाइयां पहुंची हैं। इस बीच अस्पतालों में डॉक्टर्स के रिक्त पदों के कारण भी योजना का कोई विशेष लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। जिला अस्पताल समेत पूरे जिले में डॉक्टरों के पद रिक्त हैं। ऐसे में लोगों के सामने मजबूरी है कि वे या तो निजी अस्पतालों में इलाज करवाते हैं या वहां मौजूद किसी कंपाउंडर को दिखाते है। जिसकी लिखी दवाइयां अस्पताल में निशुल्क नहीं मिलेंगी।
दो दिन से काट रहा चक्कर : आहोर के समीप खारा निवासी दिलीप कुमार ने रविवार को अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया। डाक्टर ने उसे तीन दवाइयां लिखी। दिलीप कुमार को अस्पताल में मात्र एक दवा मिली। शेषत्नपेज 15
जबकि दो अन्य दवाइयों के लिए वह दो दिन से चक्कर काटता रहा। सोमवार शाम को उसने बाजार से यह दवा खरीदी। इधर, योजना के दूसरे दिन ही अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी रही। यहां कुल पांच डॉक्टर हैं। जिनमें से दो की सीएम के कार्यक्रम में ड्यूटी लगा दी गई और एक अवकाश पर था।
कहां कितनी पहुंची दवाएं
योजना शुरू होने के दूसरे दिन भी कहीं पर सारी दवाइयां नहीं पहुंची। जालोर में 99, भीनमाल में 81, रानीवाड़ा, सांचौर व सायला में 76, आहोर में 79 और जसवंतपुरा, हाड़ेचा व सियाणा में 75 दवाइयां पहुंची। इसी प्रकार सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मात्र 36 प्रकार की दवाइयां पहुंचाई गई हैं।
अस्पताल में चिकित्सकों का टोटा, मरीज परेशान
भीनमाल. राज्य सरकार द्वारा राजकीय अस्पतालों में नि:शुल्क दवाई वितरण के दूसरे दिन स्थानीय अस्पताल में चिकित्सकों की अनुपस्थिति और दवाइयों के अभाव में मरीजों को खासी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरन कई मरीजों को निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ी। सवेरे करीब सवा नौ बजे राजकीय अस्पताल में डॉ. जीएस देवल, डॉ. एमएम जांगिड़, डॉ. प्रेमराज परमार, डॉ. अक्षय बोहरा के कक्ष खाली पड़े थे। एक कक्ष में बैठे डा. नेमीचंद जैन व डा. सोहन राज मेहता के कक्ष में मरीजों की भीड़ उमड़ी हुई थी। जिन्हें संभालना भी उनके लिए भारी बना हुआ था। इस दौरान चिकित्सा प्रभारी डा. एमएम जांगिड़ व डा. अक्षय बोहरा मुख्यमंत्री रानीवाड़ा आगमन के दौरान ड्यूटी पर कार्यरत थे। डा. प्रेमराज परमार अवकाश पर थे। जबकि ब्लॉक सीएमएचओ का कार्यभार देख रहे डा. गजेन्द्रसिंह देवल पोस्टमार्टम व अन्य सरकारी कार्यों में व्यस्त थे।
जल्द ही उपलब्ध होंगी सभी दवाएं
जिले के विभिन्न अस्पतालों में वितरण केंद्रों पर मांग के अनुसार दवाएं भिजवा दी गई हैं। वैसे पीएचसी लेवल पर विशेषज्ञों की कमी होने के कारण गंभीर रोगों से संबंधित दवाएं वहां नहीं भेजी गई हैं। जिला अस्पताल व ब्लॉक लेवल के अलावा बड़े स्थान पर संभावित मरीजों की संख्या के आधार पर दवाएं भेजी गई हैं। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आगामी 15 अक्टूबर तक अस्पतालों में सारी दवाएं पहुंच जाएंगी।
डॉ. अनिल जुनैदिया, जिला योजना प्रभारी
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