रविवार, 30 अक्तूबर 2011

शिवगंज में सीताफल की बहार


शिवगंज में सीताफल की बहार

अच्छे दाम मिलने से आदिवासियों में खुशी की लहर

.शिवगंज शहर में आदिवासी पहाड़ी क्षेत्र से सीताफल की आवक शुरू हो गई है। गोरिया, भीमाना, नाणा, कलदरी, ऊपली फली, निचलागढ़ आदि गांवों-ढाणियों में रहने वाले आदिवासी गरासिया व गमेती भील जाति के लोग सीताफल को लेकर शहर पहुंच रहे हैं। अच्छे दाम मिलने से आदिवासियों में खुशी की लहर छा गई है।

आदिवासी व पहाड़ी क्षेत्रों में उत्पादन होने वाले सीताफल की होलसेल खरीदी के लिए शिवगंज को प्रमुख माना गया है। शहर के गोल बिल्डिंग, गांधी चौक, राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक स्कूल व सुभाष सर्किल के समीप बैठे देखे जा सकते हैं। जल्दी ही खराब हो जाने वाले इन फलों को परिवहन के दौरान सुरक्षित रखने के लिए छाबलियों में भरकर लाया जाता है। बांस की खपच्चियों से बनी एक छाबली में कम से कम 25 से 40 किलो सीताफल आसानी से भरे जा सकते हैं। छाबली में सीताफल को रखने के बाद उस पर कपड़ा बांध दिया जाता है, ताकि परिवहन के दौरान इन्हें सुरक्षित रखा जा सके।



अधिक आवक से दाम गिरे

इस वर्ष पिछले साल के मुकाबले सीताफल के भाव तेज होने से आदिवासी लोग जो इस कारोबार से जुड़े हुए है, उनको अधिक मुनाफा हो रहा है। इससे उनमें खुशी की लहर है। इस बार अच्छी बारिश होने से पहाड़ी क्षेत्रों में सीताफल की पैदावार भी बंपर हुई है। सीताफल की आवक अधिक होने से इसके दाम भी पिछले साल के ही चल रहे है। सीताफल बाजार में 20 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से बिक रहे है। वैसे प्रारंभ में इसके दाम 30 से 35 रुपए तक थे, लेकिन आवक बढ़ते ही इनके भाव में गिरावट आ गई।

जंगली जानवरों का रहता है खतरा

डाकघर के बाहर सड़क पर सीताफल की बिक्री कर रहे सोमाराम गरासिया ने बताया कि सीताफल लेने के लिए दूर-दराज पहाड़ी क्षेत्र में जाना पड़ता है। वहां जंगली जानवरों का हमेशा ही खतरा रहता है। इसके लिए तीर-कमान आदि शस्त्र लेकर जाते है, ताकि बचाव किया जा सकें। शिवगंज में सब्जी एवं फल की थोक मंडी है, जहां सिरोही, पाली एवं जालोर जिले से सब्जी एवं फल विक्रेता यहां इसकी खरीदारी के लिए पहुंचते है, लेकिन सीताफल की बिक्री के लिए आदिवासी इस थोक मंडी में जाकर वे अपनी अलग से मंडी लगाकर इसे बेचते है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें