खेडा अफगान (मुजफ्फरनगर)।। मनुष्य यदि किसी काम को करने की ठान ले तो मुश्किलें भी उसके लिए राह बनाने लगती हैं। मुजफ्फरनगर जिले के युवक सुनील ने इसे एक बार फिर साबित किया है।
ग्रामीण परिवेश में पलने वाले सुनील ने हवा से बिजली उत्पन्न करने वाले प्रोजेक्टर से पंखा, रेडियो और ट्यूब जलाकर लोगों को हैरत में डाल दिया है। थाना नकुड़ के ग्राम खेड़ा अफगान के मजरा याकूबपुर निवासी मोकम सिंह के पांच पुत्र हैं। पूरा परिवार मजदूरी पर आश्रित है। मोकम सिंह का एक पुत्र सुनील (22) घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण सात तक ही पढ़ पाया। लेकिन उसने वर्ष 2003 से बिजली उत्पन्न करने वाले यंत्र बनाने का सपना अपने मन में संजो रखा था।
चार साल के अथक प्रयास के बाद उसकी मेहनत रंग लायी और 2007 में उसने अपने सपने को साकार कर दिखाया। उसने हवा से बिजली उत्पन्न करने वाले ऐसे यंत्र का आविष्कार कर दिया जिसे देख कर लोग दांतो तले अंगुली दबाने पर मजबूर हो गए। सुनील ने मात्र 50 रुपये की लागत से घर पर ही ऐसा यंत्र तैयार किया जिससे चार वॉल्ट डीसी का करंट उत्पन्न होता है। उसके इस कार्य की सराहना करते हुए बहुजन समाज पार्टी के पूर्व समन्वयक और परिवहन मंत्री डॉ. मेघराज सिंह जरावरे ने वर्ष 2008 उसे सम्मानित किया। जब उसके इस कार्य की सूचना बिजली निगम को लगी तो सुपरिंटेंडिंग इंजिनियर शेष कुमार बघेल ने भी उसकी इस खोज को देखने की इच्छा व्यक्त की।
सुनील ने बताया कि उसका लक्ष्य इस परियोजना तक सीमित नहीं है। उसका अगला लक्ष्य मोटरसाइकिल के इंजन से हेलिकॉप्टर बनाने का है। उसने अपने द्वारा तैयार हेलिकॉप्टर के कलपुर्जों को पत्रकारों को दिखाया जिसे देखकर सभी दंग रह गए। सुनील ने बताया कि उसके इस काम की सराहना तो सभी ने की, लेकिन सरकार अथवा किसी ने भी उसकी आर्थिक सहायता नहीं की। उसने कहा कि यदि सरकार उसे साधन उप्लब्ध कराए तो वह हवा से बिजली उत्पन्न करने वाली एक बड़ी परियोजना तैयार कर सकता है।
सुनील के पिता मोकम ने बताया कि आर्थिक दशा खराब होने की वजह से उन्होंने उसके कार्य को हमेशा पागलपन समझा, लेकिन अब पूरा परिवार उसके साथ है।
ग्रामीण परिवेश में पलने वाले सुनील ने हवा से बिजली उत्पन्न करने वाले प्रोजेक्टर से पंखा, रेडियो और ट्यूब जलाकर लोगों को हैरत में डाल दिया है। थाना नकुड़ के ग्राम खेड़ा अफगान के मजरा याकूबपुर निवासी मोकम सिंह के पांच पुत्र हैं। पूरा परिवार मजदूरी पर आश्रित है। मोकम सिंह का एक पुत्र सुनील (22) घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण सात तक ही पढ़ पाया। लेकिन उसने वर्ष 2003 से बिजली उत्पन्न करने वाले यंत्र बनाने का सपना अपने मन में संजो रखा था।
चार साल के अथक प्रयास के बाद उसकी मेहनत रंग लायी और 2007 में उसने अपने सपने को साकार कर दिखाया। उसने हवा से बिजली उत्पन्न करने वाले ऐसे यंत्र का आविष्कार कर दिया जिसे देख कर लोग दांतो तले अंगुली दबाने पर मजबूर हो गए। सुनील ने मात्र 50 रुपये की लागत से घर पर ही ऐसा यंत्र तैयार किया जिससे चार वॉल्ट डीसी का करंट उत्पन्न होता है। उसके इस कार्य की सराहना करते हुए बहुजन समाज पार्टी के पूर्व समन्वयक और परिवहन मंत्री डॉ. मेघराज सिंह जरावरे ने वर्ष 2008 उसे सम्मानित किया। जब उसके इस कार्य की सूचना बिजली निगम को लगी तो सुपरिंटेंडिंग इंजिनियर शेष कुमार बघेल ने भी उसकी इस खोज को देखने की इच्छा व्यक्त की।
सुनील ने बताया कि उसका लक्ष्य इस परियोजना तक सीमित नहीं है। उसका अगला लक्ष्य मोटरसाइकिल के इंजन से हेलिकॉप्टर बनाने का है। उसने अपने द्वारा तैयार हेलिकॉप्टर के कलपुर्जों को पत्रकारों को दिखाया जिसे देखकर सभी दंग रह गए। सुनील ने बताया कि उसके इस काम की सराहना तो सभी ने की, लेकिन सरकार अथवा किसी ने भी उसकी आर्थिक सहायता नहीं की। उसने कहा कि यदि सरकार उसे साधन उप्लब्ध कराए तो वह हवा से बिजली उत्पन्न करने वाली एक बड़ी परियोजना तैयार कर सकता है।
सुनील के पिता मोकम ने बताया कि आर्थिक दशा खराब होने की वजह से उन्होंने उसके कार्य को हमेशा पागलपन समझा, लेकिन अब पूरा परिवार उसके साथ है।
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