शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

पाक ने आईएसआई को दी क्लीनचिट

पाक ने आईएसआई को दी क्लीनचिट 
 

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के राजनीतिक एवं सैन्य नेतृत्व ने एकजुट स्वर से आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के साथ उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ सम्बन्ध के अमेरिकी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है तथा हर तरह से सेना का समर्थन करके उसकी हौसला अफजाई की है।

लगभग 60 राजनीतिक तथा धार्मिक संगठनों की आईएसआई तथा सेना प्रमुख के साथ चली लगभग नौ घंटे की बैठक के बाद जारी घोषणा पत्र में देश की सुरक्षा नीति में व्यापक बदलाव करते हुए तहरीके तालिबान पाकिस्तान समेत सभी आतंकी संगठनों से बातचीत करने का भी फैसला किया गया।

घोषणापत्र में कहा गया कि पाकिस्तान को कबीलाई क्षेत्रों में अपने लोगों से बातचीत का रास्ता खोलने के लिए एक प्रणाली स्थापित करनी चाहिए। अमेरिकी ने अफगानिस्तान में उसके ठिकानो पर हमलों के लिए आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि आईएसआई उसकी मदद कर रही है।

अमरीका को दी पलट चेतावनी

अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने तक की धमकी दे दी थी तथा जवाब में पाकिस्तान ने भी आंखें दिखाते हुए कहा था कि हक्कानी नेटवर्क अमेरिका ने खड़ा किया था। आतंकवाद के खिलाफ युद्ध अमेरिका के पुराने सहयोगी पाकिस्तान के बीच रिश्तों में आई तल्खी पर विचार करने के लिए गुरूवार रात इस्लामाबाद में नौ घंटे तक चली सर्वदलीय बैठक में अमेरिकी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया।

प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की अध्यक्षता और सेना प्रमुख जनरल अशफाक कयानी तथा आईएसआई प्रमुख जनरल अहमद शुजात पाशा की मौजूदगी में हुई मैराथन बैठक के बाद पारित 13 सूत्री घोषणापत्र में अमेरिका का नाम लिए बगैर कहा गया कि देश पर हाल मेंं लगाए गए सभी आरोप निराधार और दोनों के बीच परस्पर साझेदारी के आरोप अपमानजनक हैं।

हालांकि बैठक की शुरूआत में प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश के सुरक्षा प्रतिष्ठनों पर अमेरिकी अधिकारियों के हाल के आरोप वाहियात हैं और आरोप-प्रत्यारोप नुकसानदायक साबित होंगे। पाकिस्तान की सीमा और राष्ट्रीय हितों का सम्मान किया जाना चाहिए। पाशा ने देश के कबीलाई क्षेत्रों में सीधी कार्रवाई की संभावना से इनकार किया। घोषणा पत्र के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक संसदीय समिति के गठन का भी फैसला किया गया।

गरमागरमी के बीच दिखाई एकजुटता

बैठक सम्पन्न होने के बाद मौलाना सैमुल हक ने कहा कि देश के नेतृत्व ने अमेरिकी आरोपों को खारिज कर दिया है और सेना के साथ एक जुटता दिखाई है। बैठक के दौरान पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के प्रमुख नवाज शरीफ और कयानी के बीच गरमागरमी भी हुई। शरीफ ने सैन्य प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि सवाल किया कि उसे देश की सुरक्षा स्थिति तथा अमेरिकी आरोपों के बारे में देश को सही जानकारी देनी चाहिए।

उन्होंने जनरल पाशा से सवाल करते हुए कहा कि धुंआ होने से साफ है कि आग भी होगी। दोनों के बीच गरमागरमी बढ़ने पर पर कयानी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आपके सभी सवालों का जवाब दे दिया जाएगा। तहरीक इंसाफ के प्रमुख इमरान खान ने राजनीतिक नेतृत्व में विश्वास में लिए बगैर सैन्य विकल्प के इस्तेमाल पर नाराजगी जताई। बरेलवी समुदाय के संगठनों का समूह सुन्नी इžोहाद काउंसिल के प्रमुख साहिबजादा फज्ल करीम ने कहा कि वह आतंककारियों से बातचीत के खिलाफ हैं लेकिन राष्ट्रीय एकता के लिए उन्होंने इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी।

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