गुरुवार, 29 सितंबर 2011

जमीन हमारी मां, जान दे देंगे जमीन नहीं देंगे

जमीन हमारी मां, जान दे देंगे जमीन नहीं देंगे


बाड़मेर  हम किसान है और जमीन हमारी मां है। मरते दम तक हम जमीन का सौदा नहीं करेंगे। यह कहना है थुंबली के ग्रामीणों का। गांव में तीसरी बार भूमि अवाप्ति और नागणेच्यां माता मंदिर, श्मशान तथा ओरण-गोचर भूमि को भी अवाप्त करने का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने बुधवार को मंदिर के सामने धरना दिया। इसके बाद ग्रामीण आरएसएमएम की माइंस पहुंचे तथा अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।

धरना स्थल पर ग्रामीण गिरधरसिंह कोटड़ा ने कहा कि यह जमीन हमारी है। हमारे पुरखों ने इस जमीन को सींचा है। हमने अपनी जिंदगी यहां निकाल दी, मरते दम तक इसे अवाप्त नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर कंपनी से जमीन का सौदा नहीं करेंगे। कैप्टन हीरसिंह भाटी ने कहा कि जमीन का एक टुकड़ा भी अवाप्त नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि मंदिर हमारा पवित्र स्थान है। आर्थिक फायदे के लिए हमारी आस्था से खिलवाड़ किया गया तो हम आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक हमें न्याय नहीं मिलता तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
उन्होंने मातृ शक्ति को भी आगे आकर आंदोलन में बराबरी की भागीदारी निभाने का आह्वान किया। भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष जालूराम बेनीवाल ने कहा कि भारत में सभी आजादी और मौज-मस्ती की जिंदगी जीते है लेकिन किसान आज भी आजाद नहीं है।

भूमि अवाप्ति का कानून अंग्रेजों ने देश की गरीब जनता को लूटने के लिए बनाया था और वर्तमान सरकार भी उसी कानून का इस्तेमाल कर किसानों को लूट रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक साल पहले भूमि अवाप्ति का नया कानून बनाने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक नहीं कानून नहीं बना है। जिसके चलते किसानों के साथ अन्याय हो रहा है। धरना स्थल पर कोटड़ा सरपंच ईश्वरसिंह व वीरसिंह सहित सैकड़ों महिला-पुरुष और बच्चे मौजूद थे।

ज्ञापन सौंपा जताया विरोध:

धरने के बाद ग्रामीणों का प्रतिनिधि मंडल थुंबली स्थित आरएसएमएम की माइंस पहुंचा, जहां ग्रामीणों ने अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई। साथ ही ज्ञापन सौंप देव स्थानों और ओरण-गोचर भूमि को अवाप्ति से मुक्त रखने की मांग की।

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