बुधवार, 14 सितंबर 2011

जालोर में नदी में नहाते दस जने बहे

जालोर में नदी में नहाते दस जने बहे

जालोर। राजस्थान के जालोर जिले में जीवन दायिनी कही जाने वाली जवाई नदी मंगलवार को जीवन भक्षक साबित हुई। जिले मे दो अलग-अलग घटनाओ मे जवाई नदी मे नहाने गए दस लोग बहाव तेज होने के कारण डूब गए। जिनमे से देर शाम तक बचाव कर्मियो ने तीन लोगो को जीवित बाहर निकाल लिया।

जिनमें से दो बच्चों की मौत हो गई। जिनका सायला के राजकीय चिकित्सालय में पोस्टमार्टम किया गया। वहीं पुलिस और प्रशासनिक अमले के साथ ग्रामीण देर रात तक राहत कार्यो मे लगे रहे। देर रात बालोतरा से तैराकों का दल डांगरा पहुंचा। वहीं जोधपुर से तैराकों का दल केशवना पहुंचा। देर रात तक बचाव व राहत कार्यो का सिलसिला जारी था। नदी पर अंधेरा होने से बचावकर्मियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।

प्रशासन के खिलाफ रोष


केशवना में घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के लोग घटनास्थल पर पहुंचे। लेकिन प्रशासन के पास बचाव सम्बन्घित कोई उपकरण नहीं होने और ढिलाई के चलते ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। जिसके बाद ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचे विधायक रामलाल मेघवाल, एसडीएम प्रदीप बालाच, डीएसपी देवकिशन शर्मा और सायला थानाधिकारी बाघसिंह का घेराव कर नारेबाजी शुरू कर दी। ऎसे में प्रशासनिक अधिकारियो ने जोधपुर और सिरोही से तैराको को मौके पर बुलाया।

हेल्पलाइन से नहीं मिली हेल्प


घटना के करीब छह घंटे बाद भी प्रशासन की ओर से कोई जवाबदेह नहीं दिखा। जिलेवासियो को जैसे घटना की जानकारी मिलती गई, हलचल बढ़ती गई। लोगो ने जब हेल्पलाइन से घटना की जानकारी लेनी चाही, लेकिन वहां से भी कोई संतोष्ाजनक जवाब नहीं मिला। ऎसे लोग देर रात तक समाचार पत्रों के दफ्तरो मे फोन कर घटना की जानकारी जुटाते रहे।

गम मे बदली खुशियां


एक दिन पहले ही जवाई नदी मे पानी आने पर ग्रामीणों ने खुशी जताते हुए इसका पूजन किया था, लेकिन ग्रामीणों ने कभी नहीं सोचा था, कि यही जीवनायिनी इनके लिए गम भी लेकर आएगी। दोनों गांवो मे डूबने की घटना की जानकारी जैसे ही आस-पास के ग्रामीणो को लगी काफी तादाद मे लोग एकत्रित हो गए। लापता हुए किशोरों के परिजनो की चित्कारें घटना स्थल पर गूंजने लगी। वहीं आस-पास के कई गांवों मे रात तक चूल्हे तक नहीं जले।


ग्रामीणों की जिंदादिली

राहत और बचाव कार्य के दौरान अंधेरा होने पर ग्रामीणो ने बैटरी और ट्रैक्टर की लाइट से बचाव कार्य जारी रखा। प्रशासन की लाचारी का आलम यह था कि बचाव कार्य के लिए उनके पास कोई उपकरण नहीं थे। ग्रामीणो की सूझबूझ और हिम्मत ही इन लोगो को बचाने के काम आई। वहीं ग्रामीण अंचल मे देर रात को लाइट की व्यवस्था भी प्रशासन की ओर से नहीं की गई। इस पूरे घटनाक्रम में प्रशासन की कोताही साफ देखी गई।

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