फतेहगढ़ दुर्ग का ऊपरी हिस्सा ढहा
बारिश से ऐतिहासिक धरोहरों को हो रहा है नुकसान
जैसलमेर फतेहगढ़ कस्बे के करीब ढाई सौ वर्ष पुराने कोर्ट का ऊपरी हिस्सा सोमवार की रात्रि में ढह गया। इस गढ़ के ऊपरी हिस्से को रानी महल कहा जाता है। रानी महल बारिश की वजह से ढह गया। जिले में इस बार हो रही भारी बारिश प्राचीन विरासतों पर भारी पड़ रही है। देखरेख के अभाव के चलते जर्जर अवस्था में पहुंची ऐतिहासिक धरोहरें के गिरने के कगार पर पहुंच चुकी है। कुछ दिन पूर्व सोनार दुर्ग की भी एक दीवार ढह गई थी और अब फतेहगढ़ दुर्ग का ऊपरी हिस्सा धाराशाही हो गया।
फतेहगढ़ कोर्ट में वर्तमान में पुलिस की अस्थाई चौकी चल रही है। दुर्ग का ऊपरी हिस्सा गिरने से यहां कार्यरत पुलिस कर्मी भयभीत है। गढ़ के जिन कमरों में इनका निवास है वह भी जर्जर अवस्था में है और इन कमरों की छतें टपक रही है। इस दुर्ग की मरम्मत के लिए करीब पांच-छह वर्ष पूर्व 10 लाख रुपए बीएडीपी के तहत तथा 7 लाख रुपए अकाल राहत व बाढ़ राहत योजना के तहत लगाए गए थे। सरपंच रेशमा ने बताया कि यदि प्रशासन इसकी मरम्मत के लिए बजट आवंटित करता है तो रिपेयरिंग करवा दी जाएगी। इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा ने बताया कि प्राचीन समय में ग्रामीण क्षेत्रों में बने किलों को कोर्ट कहा जाता था। जहां राजा के हाकिम निवास किया करते थे और वे कर वसूलने का कार्य करते थे। उन्होंने बताया कि जैसलमेर के महाराजा मूलराज ने फतेहगढ़ में कोर्ट बनवाया था। उसके बाद इस क्षेत्र का विकास पालीवाल जाति के लोगों ने किया।
बारिश से ऐतिहासिक धरोहरों को हो रहा है नुकसान
जैसलमेर फतेहगढ़ कस्बे के करीब ढाई सौ वर्ष पुराने कोर्ट का ऊपरी हिस्सा सोमवार की रात्रि में ढह गया। इस गढ़ के ऊपरी हिस्से को रानी महल कहा जाता है। रानी महल बारिश की वजह से ढह गया। जिले में इस बार हो रही भारी बारिश प्राचीन विरासतों पर भारी पड़ रही है। देखरेख के अभाव के चलते जर्जर अवस्था में पहुंची ऐतिहासिक धरोहरें के गिरने के कगार पर पहुंच चुकी है। कुछ दिन पूर्व सोनार दुर्ग की भी एक दीवार ढह गई थी और अब फतेहगढ़ दुर्ग का ऊपरी हिस्सा धाराशाही हो गया।
फतेहगढ़ कोर्ट में वर्तमान में पुलिस की अस्थाई चौकी चल रही है। दुर्ग का ऊपरी हिस्सा गिरने से यहां कार्यरत पुलिस कर्मी भयभीत है। गढ़ के जिन कमरों में इनका निवास है वह भी जर्जर अवस्था में है और इन कमरों की छतें टपक रही है। इस दुर्ग की मरम्मत के लिए करीब पांच-छह वर्ष पूर्व 10 लाख रुपए बीएडीपी के तहत तथा 7 लाख रुपए अकाल राहत व बाढ़ राहत योजना के तहत लगाए गए थे। सरपंच रेशमा ने बताया कि यदि प्रशासन इसकी मरम्मत के लिए बजट आवंटित करता है तो रिपेयरिंग करवा दी जाएगी। इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा ने बताया कि प्राचीन समय में ग्रामीण क्षेत्रों में बने किलों को कोर्ट कहा जाता था। जहां राजा के हाकिम निवास किया करते थे और वे कर वसूलने का कार्य करते थे। उन्होंने बताया कि जैसलमेर के महाराजा मूलराज ने फतेहगढ़ में कोर्ट बनवाया था। उसके बाद इस क्षेत्र का विकास पालीवाल जाति के लोगों ने किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें