अहमदाबाद. मैंने 2002 में सांप्रदायिक दंगे को रोकने में पूरी ताकत लगा दी। दंगों के दौरान ऐसा माहौल बन गया था कि मुझे कोई सुनने, समझने को तैयार नहीं था। राज्य पर जुल्म होते रहे हम सहते रहे। अक्षरधाम पर हमले के बाद गुजरात ने शांति और भाईचारे का संदेश दिया। दुनिया भर में गुजरात के विकास की चर्चा है। 2001 भूकंप के बाद तीन साल में ही राज्य पटरी पर लौट आया था। सच्चाई के इंतजार में लोगों के पत्थर झेलते रहे। लेकिन किसी को जवाब नहीं दिया। लोगों के पत्थरों को इकट्ठा करते रहे और उसकी सीढ़ी बनाकर गुजरात को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा दिया है। मोदी ने कहा राज्य में 1990 से पहले बदतर हालात थे। लेकिन आज राज्य खुशहाली के रास्ते पर है। गुजरात में लोग सुरक्षित हैं। यहां देश के हर राज्य के लोग काम करते हैं। यहां सबको रोजगार दिया है।
60 साल तक वोट बैंक की राजनीति होती रही। उससे जो नुकसान हुआ है वो हम सबने भुगता है। वोटबैंक की राजनीति ने देश को बर्बाद कर दिया है। मेरा सद्भावना मिशन वोटबैंक की राजनीति के अंत की शुरुआत है। वोट बैंक की राजनीति को मृत्यूदंड ही इस सद्भावना उपवास का उद्देश्य है। बिना तुष्टीकरण किए, सबको साथ लेकर चल रहा हूं। ऐसे टकराव में मैं बड़े दायित्व के साथ आज कहना चाहता हूं कि जैसे दुनिया गुजरात के विकास के मॉडल की चर्चा कर रही है। जैसे दुनिया गुजरात के गवर्नेंस के मॉडल की चर्चा कर रही है। वो दिन दूर नहीं है जब हिंदुस्तान और विश्व के लोगों को गुजरात के उस मॉडल की चर्चा करनी पड़ेगी जिसमें सब एक साथ सुख से सद्भावना से रह रहे हो।
गुजरात अनुभव के आधार पर कहता है कि सद्भावना, भाईचारे और एकता से ही हमने फल पाए हैं। गांव गांव घर-घर विकास के लिए सद्भावना नाम के अवसर का हम उपयोग करना चाहते हैं। हमारे देश में सालों से कौमी एकता के कार्यक्रम होते रहते हैं। सरकारे करती है। अरबों खरबों रुपये खर्च होते हैं। लेकिन उन कार्यक्रमों की कोई आलोचना नहीं होती। सरकार अधिकृत रूप से इस सद्भावना मिशन को आगे बढ़ाएगी। हम दुनिया के सामने इस मॉडल को रखना चाहते हैं।
सबकी भलाई के सपने पूरे करने का प्रयास कर सकता है। मेरे तीन दिन के उपवास किसी के खिलाफ नहीं है। और मैं भी नहीं चाहता हूं कि कोई किसी के खिलाफ कुछ कहे। न यह मेरा एजेंडा पहले था न आज है और न कभी होगा। गुजरात ने यातनाएं झेली है। पीड़ा झेली है। जो परिवार यातना से गुजरे उन परिवारों के प्रति मेरे दिल में दर्द तब भी था दर्द आज भी है। संवेदना तब भी थी और संवेदना आज भी है। यही संवेदना मुझे 6 करोड़ गुजरातियों के लिए जान देने तक के लिए उत्साहित करती है। यही संवेदना मुझे शक्ति है। गुजरात देश की बहुत बड़ी सेवा कर सकता है। हम जहां हैं वहीं से जो कर रहे हैं उसी रास्ते से कहीं इधर-उधर गए बिना भारत मां की सर्वाधिक सेवा की है और आगे भी करते रहेंगे।
हमारा मंत्र है भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास। अगर हिंदुस्तान के सब राज्य दस दस कदम चले तो देश तो देश तीन सौ कदम आगे निकल जाएगा। अगर राज्य पचास कदम आगे चलें तो देश 1500 कदम आगे निकल जाएगा। हमारा दायित्व है कि भारत माता विश्व में अग्रणी बने। हमारा दायित्तव है कि हम जहां भी काम करे अच्छा करे। अच्छा करने के माहौल को लेकर ही हम चलना चाहते हैं। भारत की स्वतंत्र न्यायव्यवस्था है। भारत की उत्तम न्याय प्रणाली है। सबकों न्याय मिले यह सबका सपना है। और इसी के लिए एक राज्य के नाते हमारा जो विश्वास। जून के महीने में गुजरात में 45 डिग्री तापमान होता है। हम गांव गांव जाते हैं और कहते हैं कि अपने बच्चों को स्कूल भेजो। हमने सपना देखा है कि गुजरात का हर बच्चा स्कूल जाए। क्या यह सबसे बड़ी सद्भावना नहीं है। क्या यह सबसे बड़ा सेक्यूलरिज्म नहीं है।
शरीर का एक अंग दुर्बल है तो शरीर को स्वस्थ नहीं कह सकते। अगर मेरे गुजरात के 6 करोड़ नागरिकों में से यदि कोई एक तबका दुर्बल है तो मेरा गुजरात स्वस्थ नहीं हो सकता। हम किसी को पीछे रहने देना नहीं चाहते। अगर हम आगे निकल गए हैं तो पीछे छूटों का रुककर इंतजार करने के लिए हम तैयार है। सद्भावना सबसे बड़ी शक्ति है। हम मानवता को लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। विकास हमारा एकमात्र मंत्र है। उस मंत्र को लेकर हम आगे बढ़ना चाहते हैं। गुजरात को किसी के उपदेश की आवश्यकता नहीं है।
गुजरात ने सिद्ध करके दिया है कि शांति एकता और भाईचारे से कैसे आगे बढ़ा जा सकता है। समय की मांग है कि देश और दुनिया देखे की संकटों के मार्ग से निकलकर के 6 करोड़ गुजरातियों का पुरुषार्थ कैसे रंग लाया है।
आज हम विकास में जहां जहां पहुंचे हैं वहां रुकना हमे मंजूर नहीं है। हमे इससे भी आगे बढ़ना है। इसके लिए सद्भावना नाम का अवसर हमारे लिए बहुत बड़ी शक्ती है। आओ, भाइयों हम मिलजुलकर आगे बड़े, गुजरात को आगे बढ़ाए, गरीब से गरीब की मुसीबत को आसान करे। आजादी के 60 साल बाद हम ये कैसे इंतजार कर सकते हैं कि कोई देवता आएगा। हम इंतजार नहीं कर सकते। इसलिए ही हमने सद्भावना नाम का यह यज्ञ शुरु किया है।
मेरे राज्य ने सभी गरीबों को अधिकार दे दिए हैं। कहीं कोई भेद नहीं है। मूल भूत व्यवस्थाओं के तहत विकास की यात्रा को आगे बढ़ाना है। मैं यह सद्भावना मिशन लेकर के बैठा है।
मेरी शिक्षा दीक्षा जो हुई है, मैं जिन संस्कारों में पला हूं उनके कारण मैंने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया। पहले तो लोगों को पता नहीं था कि मेरा जन्मदिन क्या है। अब जब से लोगों को पता चला है तो साल में सिर्फ एक ही यह दिन होता है जब मैं अपना फोन नहीं उठाता हूं। मैं कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाता हूं। आज भी मनाने का प्रश्न नहीं उठता है। मेरे लिए यह अनूकूल समय था इसलिए मैंने यह कालखंड चुना है इसका मेरे जन्मदिन से कोई लेना देना नहीं है। मैं नहीं चाहता था कि मैं सिर्फ एक रूटीन में अपने मन की बातें बताता रहूं जो पहले भी बताता रहता था। लेकिन समय की मांग थी कि हमने जो पिछले कुछ वर्षों में सफलता प्राप्त की है उसमें एकता भाईचारें और शांति का बहुत बड़ा योगदान है।
मैं बार बार यह बताना चाहता हूं कि हम विकास सिर्फ इसलिए ही कर पाए क्योंकि हमने शांति एकता और भाईचारे के रास्ते को चुना। यदि हम बार बार इस बात को दोहराते रहेंगे तो विकास की गति तेज होगी। मेरा मन करता था कि यदि मैं उपवास करता हूं तो मेरे शब्द की ताकत बढ़ सकती है। जिन लोगों तक मुझे पहुंचना है उन तक पहुंचने के लिए मेरी वाणी से ज्यादा मेरे उपवास का सामर्थ्य ज्यादा होगा।
इसी इरादे से, किसी के प्रति कोई कटुता न रखते हुए मैंने उपवास रखा है। हम सार्वजनिक जीवन में हैं। कटुता, बदला, द्वेष यह लोकतंत्र के हिस्से नहीं हो सकते। लोकतंत्र सबकों साथ लेकर चलने की पहली शर्त है। 120 करोड़ लोगों का देश एक हो नेक हो तो कितने बड़े परिणाम दे सकता है यह गुजरात की प्रयोगशाला से पता चलता है। इसी के तहत ये सद्भभावना मिशन शुरु हुआ है। इस विकास को, इस इरादे को और गति देने के लिए हमने ये तीन दिवस के उपवास का रास्ता चुना है।
मैं फिर दोहराता हूं कि यह सारा प्रयास जोड़ने के लिए हैं, प्रेम का माहौल आगे बढ़ाने के लिए हैं, सद्भभावना पैदा करने के लिए हैं। गुजरात देश के लिए काम आए इसलिए हैं। आज बहुत बड़ी मात्रा में वरिष्ठ लोग आशिर्वाद देने आए हैं। मैं उनका आभारी हूं। मैं मानवता वादी शक्तियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हम मानवता के पेरामीटर से कभी नीचे नहीं उतरना चाहते। मानवता ही हमारा रास्ता है। मैं दोहराना चाहता हूं कि 6 करोड़ गुजरातियों का परिवार मेरा परिवार है। उनका दर्द मेरा दर्द है। उनका सुख मेरा सुख है। उनकी पीड़ा मेरी पीड़ा है। उनके सपने मेरे सपने है। उनके लिए जीवन खपाने की आकांक्षा है। मेरे शरीर के कण कण पर गुजरात का अधिकार है। मेरे समय का हर क्षण लोगों को समर्पित है। मुझे आशिर्वाद दे कि मैं दुनिया को दिखा सकूं कि संपूर्ण विकास समाज को तोड़े बिना भी किया जा सकता है। मैं दुनिया को दिखाना चाहता हूं कि सबको साथ लेकर भी आगे बढ़ा जा सकता है।
मैं बताना चाहता हूं कि सबको साथ लेकर आगे बढ़ा जा सकता है। ये खोखली बातें नहीं है। 6 करोड़ गुजरातियों ने दुनिया को यह करके दिखाया है। और हमने किसी पर भी उपकार नहीं किया। विकास करना हमारा कर्तव्य है।
मैंने आज तक कभी किसी से कुछ नहीं मांगा। लेकिन आज ईश्वर से मांग रहा हूं कि वो मुझे शक्ति दे की मैं सद्भावना को आगे बढ़ा सकूं। मुझे शक्ती दे कि मैं अपने गुजरात के हर व्यक्ति को खुशहाल कर सकूं। एक स्वस्थ समाज बना सकूं। मैं तीन दिन यहां बैठना चाहता हूं। और भी बहुत कुछ बोलना चाहता हूं, बाकी बातें उपवास के अंत में करूंगा। जय गर्वी गुजरात...।
60 साल तक वोट बैंक की राजनीति होती रही। उससे जो नुकसान हुआ है वो हम सबने भुगता है। वोटबैंक की राजनीति ने देश को बर्बाद कर दिया है। मेरा सद्भावना मिशन वोटबैंक की राजनीति के अंत की शुरुआत है। वोट बैंक की राजनीति को मृत्यूदंड ही इस सद्भावना उपवास का उद्देश्य है। बिना तुष्टीकरण किए, सबको साथ लेकर चल रहा हूं। ऐसे टकराव में मैं बड़े दायित्व के साथ आज कहना चाहता हूं कि जैसे दुनिया गुजरात के विकास के मॉडल की चर्चा कर रही है। जैसे दुनिया गुजरात के गवर्नेंस के मॉडल की चर्चा कर रही है। वो दिन दूर नहीं है जब हिंदुस्तान और विश्व के लोगों को गुजरात के उस मॉडल की चर्चा करनी पड़ेगी जिसमें सब एक साथ सुख से सद्भावना से रह रहे हो।
गुजरात अनुभव के आधार पर कहता है कि सद्भावना, भाईचारे और एकता से ही हमने फल पाए हैं। गांव गांव घर-घर विकास के लिए सद्भावना नाम के अवसर का हम उपयोग करना चाहते हैं। हमारे देश में सालों से कौमी एकता के कार्यक्रम होते रहते हैं। सरकारे करती है। अरबों खरबों रुपये खर्च होते हैं। लेकिन उन कार्यक्रमों की कोई आलोचना नहीं होती। सरकार अधिकृत रूप से इस सद्भावना मिशन को आगे बढ़ाएगी। हम दुनिया के सामने इस मॉडल को रखना चाहते हैं।
सबकी भलाई के सपने पूरे करने का प्रयास कर सकता है। मेरे तीन दिन के उपवास किसी के खिलाफ नहीं है। और मैं भी नहीं चाहता हूं कि कोई किसी के खिलाफ कुछ कहे। न यह मेरा एजेंडा पहले था न आज है और न कभी होगा। गुजरात ने यातनाएं झेली है। पीड़ा झेली है। जो परिवार यातना से गुजरे उन परिवारों के प्रति मेरे दिल में दर्द तब भी था दर्द आज भी है। संवेदना तब भी थी और संवेदना आज भी है। यही संवेदना मुझे 6 करोड़ गुजरातियों के लिए जान देने तक के लिए उत्साहित करती है। यही संवेदना मुझे शक्ति है। गुजरात देश की बहुत बड़ी सेवा कर सकता है। हम जहां हैं वहीं से जो कर रहे हैं उसी रास्ते से कहीं इधर-उधर गए बिना भारत मां की सर्वाधिक सेवा की है और आगे भी करते रहेंगे।
हमारा मंत्र है भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास। अगर हिंदुस्तान के सब राज्य दस दस कदम चले तो देश तो देश तीन सौ कदम आगे निकल जाएगा। अगर राज्य पचास कदम आगे चलें तो देश 1500 कदम आगे निकल जाएगा। हमारा दायित्व है कि भारत माता विश्व में अग्रणी बने। हमारा दायित्तव है कि हम जहां भी काम करे अच्छा करे। अच्छा करने के माहौल को लेकर ही हम चलना चाहते हैं। भारत की स्वतंत्र न्यायव्यवस्था है। भारत की उत्तम न्याय प्रणाली है। सबकों न्याय मिले यह सबका सपना है। और इसी के लिए एक राज्य के नाते हमारा जो विश्वास। जून के महीने में गुजरात में 45 डिग्री तापमान होता है। हम गांव गांव जाते हैं और कहते हैं कि अपने बच्चों को स्कूल भेजो। हमने सपना देखा है कि गुजरात का हर बच्चा स्कूल जाए। क्या यह सबसे बड़ी सद्भावना नहीं है। क्या यह सबसे बड़ा सेक्यूलरिज्म नहीं है।
शरीर का एक अंग दुर्बल है तो शरीर को स्वस्थ नहीं कह सकते। अगर मेरे गुजरात के 6 करोड़ नागरिकों में से यदि कोई एक तबका दुर्बल है तो मेरा गुजरात स्वस्थ नहीं हो सकता। हम किसी को पीछे रहने देना नहीं चाहते। अगर हम आगे निकल गए हैं तो पीछे छूटों का रुककर इंतजार करने के लिए हम तैयार है। सद्भावना सबसे बड़ी शक्ति है। हम मानवता को लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। विकास हमारा एकमात्र मंत्र है। उस मंत्र को लेकर हम आगे बढ़ना चाहते हैं। गुजरात को किसी के उपदेश की आवश्यकता नहीं है।
गुजरात ने सिद्ध करके दिया है कि शांति एकता और भाईचारे से कैसे आगे बढ़ा जा सकता है। समय की मांग है कि देश और दुनिया देखे की संकटों के मार्ग से निकलकर के 6 करोड़ गुजरातियों का पुरुषार्थ कैसे रंग लाया है।
आज हम विकास में जहां जहां पहुंचे हैं वहां रुकना हमे मंजूर नहीं है। हमे इससे भी आगे बढ़ना है। इसके लिए सद्भावना नाम का अवसर हमारे लिए बहुत बड़ी शक्ती है। आओ, भाइयों हम मिलजुलकर आगे बड़े, गुजरात को आगे बढ़ाए, गरीब से गरीब की मुसीबत को आसान करे। आजादी के 60 साल बाद हम ये कैसे इंतजार कर सकते हैं कि कोई देवता आएगा। हम इंतजार नहीं कर सकते। इसलिए ही हमने सद्भावना नाम का यह यज्ञ शुरु किया है।
मेरे राज्य ने सभी गरीबों को अधिकार दे दिए हैं। कहीं कोई भेद नहीं है। मूल भूत व्यवस्थाओं के तहत विकास की यात्रा को आगे बढ़ाना है। मैं यह सद्भावना मिशन लेकर के बैठा है।
मेरी शिक्षा दीक्षा जो हुई है, मैं जिन संस्कारों में पला हूं उनके कारण मैंने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया। पहले तो लोगों को पता नहीं था कि मेरा जन्मदिन क्या है। अब जब से लोगों को पता चला है तो साल में सिर्फ एक ही यह दिन होता है जब मैं अपना फोन नहीं उठाता हूं। मैं कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाता हूं। आज भी मनाने का प्रश्न नहीं उठता है। मेरे लिए यह अनूकूल समय था इसलिए मैंने यह कालखंड चुना है इसका मेरे जन्मदिन से कोई लेना देना नहीं है। मैं नहीं चाहता था कि मैं सिर्फ एक रूटीन में अपने मन की बातें बताता रहूं जो पहले भी बताता रहता था। लेकिन समय की मांग थी कि हमने जो पिछले कुछ वर्षों में सफलता प्राप्त की है उसमें एकता भाईचारें और शांति का बहुत बड़ा योगदान है।
मैं बार बार यह बताना चाहता हूं कि हम विकास सिर्फ इसलिए ही कर पाए क्योंकि हमने शांति एकता और भाईचारे के रास्ते को चुना। यदि हम बार बार इस बात को दोहराते रहेंगे तो विकास की गति तेज होगी। मेरा मन करता था कि यदि मैं उपवास करता हूं तो मेरे शब्द की ताकत बढ़ सकती है। जिन लोगों तक मुझे पहुंचना है उन तक पहुंचने के लिए मेरी वाणी से ज्यादा मेरे उपवास का सामर्थ्य ज्यादा होगा।
इसी इरादे से, किसी के प्रति कोई कटुता न रखते हुए मैंने उपवास रखा है। हम सार्वजनिक जीवन में हैं। कटुता, बदला, द्वेष यह लोकतंत्र के हिस्से नहीं हो सकते। लोकतंत्र सबकों साथ लेकर चलने की पहली शर्त है। 120 करोड़ लोगों का देश एक हो नेक हो तो कितने बड़े परिणाम दे सकता है यह गुजरात की प्रयोगशाला से पता चलता है। इसी के तहत ये सद्भभावना मिशन शुरु हुआ है। इस विकास को, इस इरादे को और गति देने के लिए हमने ये तीन दिवस के उपवास का रास्ता चुना है।
मैं फिर दोहराता हूं कि यह सारा प्रयास जोड़ने के लिए हैं, प्रेम का माहौल आगे बढ़ाने के लिए हैं, सद्भभावना पैदा करने के लिए हैं। गुजरात देश के लिए काम आए इसलिए हैं। आज बहुत बड़ी मात्रा में वरिष्ठ लोग आशिर्वाद देने आए हैं। मैं उनका आभारी हूं। मैं मानवता वादी शक्तियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हम मानवता के पेरामीटर से कभी नीचे नहीं उतरना चाहते। मानवता ही हमारा रास्ता है। मैं दोहराना चाहता हूं कि 6 करोड़ गुजरातियों का परिवार मेरा परिवार है। उनका दर्द मेरा दर्द है। उनका सुख मेरा सुख है। उनकी पीड़ा मेरी पीड़ा है। उनके सपने मेरे सपने है। उनके लिए जीवन खपाने की आकांक्षा है। मेरे शरीर के कण कण पर गुजरात का अधिकार है। मेरे समय का हर क्षण लोगों को समर्पित है। मुझे आशिर्वाद दे कि मैं दुनिया को दिखा सकूं कि संपूर्ण विकास समाज को तोड़े बिना भी किया जा सकता है। मैं दुनिया को दिखाना चाहता हूं कि सबको साथ लेकर भी आगे बढ़ा जा सकता है।
मैं बताना चाहता हूं कि सबको साथ लेकर आगे बढ़ा जा सकता है। ये खोखली बातें नहीं है। 6 करोड़ गुजरातियों ने दुनिया को यह करके दिखाया है। और हमने किसी पर भी उपकार नहीं किया। विकास करना हमारा कर्तव्य है।
मैंने आज तक कभी किसी से कुछ नहीं मांगा। लेकिन आज ईश्वर से मांग रहा हूं कि वो मुझे शक्ति दे की मैं सद्भावना को आगे बढ़ा सकूं। मुझे शक्ती दे कि मैं अपने गुजरात के हर व्यक्ति को खुशहाल कर सकूं। एक स्वस्थ समाज बना सकूं। मैं तीन दिन यहां बैठना चाहता हूं। और भी बहुत कुछ बोलना चाहता हूं, बाकी बातें उपवास के अंत में करूंगा। जय गर्वी गुजरात...।
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