एनटीआरो इस मामले में दो आंतरिक जांच कर चुका है। लेकिन अभी तक पुलिस या प्रधानमंत्री कार्यालय को इसकी जानकारी नहीं दी गई है। एनटीआरओ सीधे पीएमओ को रिपोर्ट करता है। पहली जांच एक वरिष्ठ महिला अधिकारी ने की। इसके बाद औपचारिक जांच का आदेश दिया गया। यह जांच एनटीआरओ के तकनीकी प्रमुख वीके मित्तल कर रहे हैं। लेकिन मित्तल ने जांच का जिम्मा मिलने के कुछ समय बाद से सुप्रीम कोर्ट की शरण में हैं। मित्तल ने एजेंसी के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कुप्रबंधन और वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए हैं। मित्तल ने मीडिया को जानकारी दी है कि उन्होंने तत्कालीन एनटीआरओ प्रमुख केवीएसएस प्रसाद राव को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
मित्तल ने अपनी रिपोर्ट में उचित कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की थी। स्पाईकैम को सेक्रेट सर्विस फंड से खरीदा गया था। मित्तल का कहना है कि उन्होंने मामले की जांच करने वाली महिला अधिकारी से भी मदद ली थी। महिला अधिकारी ने उन महिलाओं से बात की थी, जो इस घटना की शिकार हुई हैं। लेकिन मैंने देखा कि कैमरे की फीड जिस कंप्यूटर में आ रही थी, उसके हार्ड डिस्क के साथ छेड़छाड़ की गई थी और उसे खराब कर दिया गया था।
इस कंप्यूटर पर एनटीआरओ में तैनात वायुसेना का पूर्व अधिकारी काम करता था। जब यह अधिकारी छुट्टी पर चला गया, इसी दौरान रक्षा मंत्रालय से एक महिला अधिकारी एनटीआरओ में काम करने आई। इस महिला अधिकारी ने कंप्यूटर में दर्ज आपत्तिजनक वीडियो देख लिया और उन महिलाओं को सूचना दे दी, जो उस वीडियो में थीं। सूत्रों के मुताबिक पुरुष अधिकारी खुद भी कैमरे को सही करते हुए वीडियो में दर्ज है।
आरोपी अधिकरी के घर पर सर्विलांस की गई और उसके रिकॉर्ड को खंगाला गया। इसके बाद आरोपी अधिकारी को एनटीआरओ छोड़ने के आदेश दे दिया गया। महिलाओं को भी उनके मूल संगठनों में भेज दिया गया। एक मीडिया हाउस ने इस मामले में शिकार बनी एक महिला से संपर्क साधा, लेकिन महिला ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
एनटीआरओ में सलाहकार रहे पूर्व आईपीएस अफसर अनिल चौधरी भी इस मामले की जांच का हिस्सा रहे हैं। चौधरी का कहना है कि चूंकि इस मामले से नैतिकता जुड़ी हुई है। इसलिए हमने आरोपी शख्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। हमने पुलिस में शिकायत दर्ज करने की बजाय मामले से खुद निपटने का फैसला किया था।
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