ग्राम पंचायतों के लिए 561 करोड़ स्वीकृत
जयपुर। राजस्थान सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों के विकास व उत्थान के लिए 561 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए है। जयपुर में "द हंगर प्रोजेक्ट" के तहत आयोजित दो दिवसीय महिला पंच-सरपंच सम्मेलन में गुरूवार को उप सचिव पंचायती राज डी.पी. गुप्ता ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव की बयार बह रही है और अब महिला पंच-सरपंचों में अधिकांश महिलाएं आत्मविश्वास से लबरेज नजर आने लगी हैं।
डीपी गुप्ता ने कहा कि सरकार द्वारा ग्राम विकास के लिए बने कानूनों और प्रावधानों की जानकारी महिला जनप्रतिनिधियों को होनी चाहिए, सरकार ग्राम स्तर की समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन इसके लिए पहल ग्राम पंचायत स्तर पर ही करनी होगी।
इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान की समन्वयक प्रो. अनिता ने कहा कि महिलाएं अगर सामूहिक तौर पर आगे आएंगी तभी महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा और भ्रूण हत्या, बाल विवाह जैसे मुद्दों में कमी आएगी। पंचायती राज मंत्री के सलाहकार पी.आर. शर्मा ने कहा कि ऎसे सम्मेलनों के माध्यम से सरकार को जमीनी स्तर पर होने वाली वास्तविक प्रगति की तथ्यात्मक जानकारी मिलती है। जी.एस. नरवानी ने कहा कि ग्राम स्तर पर अगर कोई कर्मचारी काम नहीं करता है तो उसकी बीडीओ से शिकायत की जा सकती है।
सम्मेलन में बुधवार को कई सत्रों में चली चर्चाओं में प्रदेश भर से आई महिला पंच-सरपंचों ने अपने काम में आने वाली चुनौतियों और संघर्ष से हासिल उपलब्धियों की खुलकर चर्चा की। आज भी सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों का व्यवहार महिला जनप्रतिनिधियों के सामने बहुत सी बाधाएं पैदा करता है। ग्राम सभा और वार्ड सभा में लिए गए निर्णयों की अनदेखी कर मनमर्जी से काम किए जाते हैं और लोगों की तकलीफें बरकरार रहती हैं। ग्राम पंचायतों में आज भी प्रभावशाली लोगों का दबदबा कायम है जो महिला जनप्रतिनिधियों को बिल्कुल काम नहीं करने देते और अक्सर कर्मठ महिलाओं के खिलाफ अनर्गल बकते रहते हैं। इसी तरह जाति, धर्म और दलीय राजनीति के कारण महिलाओं को परेशान किया जाता है और कई बार उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए जाते हैं। विकास योजनाओं की पूरी जानकारी नहीं दी जाती और सरकारी आदेषों की प्रतियां समस्त जनप्रतिनिधियों को नहीं भेजी जाती।
जयपुर। राजस्थान सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों के विकास व उत्थान के लिए 561 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए है। जयपुर में "द हंगर प्रोजेक्ट" के तहत आयोजित दो दिवसीय महिला पंच-सरपंच सम्मेलन में गुरूवार को उप सचिव पंचायती राज डी.पी. गुप्ता ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव की बयार बह रही है और अब महिला पंच-सरपंचों में अधिकांश महिलाएं आत्मविश्वास से लबरेज नजर आने लगी हैं।
डीपी गुप्ता ने कहा कि सरकार द्वारा ग्राम विकास के लिए बने कानूनों और प्रावधानों की जानकारी महिला जनप्रतिनिधियों को होनी चाहिए, सरकार ग्राम स्तर की समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन इसके लिए पहल ग्राम पंचायत स्तर पर ही करनी होगी।
इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान की समन्वयक प्रो. अनिता ने कहा कि महिलाएं अगर सामूहिक तौर पर आगे आएंगी तभी महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा और भ्रूण हत्या, बाल विवाह जैसे मुद्दों में कमी आएगी। पंचायती राज मंत्री के सलाहकार पी.आर. शर्मा ने कहा कि ऎसे सम्मेलनों के माध्यम से सरकार को जमीनी स्तर पर होने वाली वास्तविक प्रगति की तथ्यात्मक जानकारी मिलती है। जी.एस. नरवानी ने कहा कि ग्राम स्तर पर अगर कोई कर्मचारी काम नहीं करता है तो उसकी बीडीओ से शिकायत की जा सकती है।
सम्मेलन में बुधवार को कई सत्रों में चली चर्चाओं में प्रदेश भर से आई महिला पंच-सरपंचों ने अपने काम में आने वाली चुनौतियों और संघर्ष से हासिल उपलब्धियों की खुलकर चर्चा की। आज भी सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों का व्यवहार महिला जनप्रतिनिधियों के सामने बहुत सी बाधाएं पैदा करता है। ग्राम सभा और वार्ड सभा में लिए गए निर्णयों की अनदेखी कर मनमर्जी से काम किए जाते हैं और लोगों की तकलीफें बरकरार रहती हैं। ग्राम पंचायतों में आज भी प्रभावशाली लोगों का दबदबा कायम है जो महिला जनप्रतिनिधियों को बिल्कुल काम नहीं करने देते और अक्सर कर्मठ महिलाओं के खिलाफ अनर्गल बकते रहते हैं। इसी तरह जाति, धर्म और दलीय राजनीति के कारण महिलाओं को परेशान किया जाता है और कई बार उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए जाते हैं। विकास योजनाओं की पूरी जानकारी नहीं दी जाती और सरकारी आदेषों की प्रतियां समस्त जनप्रतिनिधियों को नहीं भेजी जाती।
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