जयपुर । इंदिरा गांधी नहर से पश्चिमी एवं उत्तर पश्चिमी राजस्थान के 8 जिलों के लगभग पौने 2 करोड निवासियों को पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। काफी क्षेत्र में वर्तमान में भी पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। सीमा सुरक्षा बल तथा भारतीय सेना को भी इस नहर परियोजना से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। यह नहर अन्तर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा में भी सहयोगी साबित हो रही है। सूरतगढ, रामगढ, गिराल तथा गुडा की उर्जा परियोजनाओं हेतु भी इंदिरा गांधी नहर से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना उत्तर पश्चिमी राजस्थान की जीवन रेखा है। इस नहर ने दूरस्थ हिमाचल के पानी को इस मरू क्षेत्र में पहुंचाकर क्षेत्र की कायाकल्प कर दी है। वर्तमान में परियोजना के द्वितीय चरण में शेष कार्य तथा जिस क्षेत्र में नहरें निर्मित हो चुकी है वहां सिंचाई, पेयजल उपलब्ध कराने हेतु जल संचालन का कार्य किया जा रहा है।
मार्च,2011 तक प्रथम चरण में 5.46 लाख हैक्टेयर तथा द्वितीय चरण में 10.47 लाख हैक्टेयर कुल 15.93 लाख हैक्टेयर क्षेत्र सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जा चुका है। वर्ष 2011 12 में 2500 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र सिंचाई हेतु खोला जाना प्रस्तावित है।
माह मार्च 2011 तक द्वितीय चरण की 6 लिफट नहरों के 31 पम्पिंग स्टेशनों में से 25 पम्पिंग स्टेशनों का कार्य पूर्ण हो चुका है।
परियोजना में उपलब्ध जल के कुशलतम उपयोग हेतु द्वितीय चरण की 6 लिफट योजनाओं के 27449 हैक्टेयर क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई स्थापना के कार्य प्रगति पर है जिसमें से 3858 हैक्टेयर में सभी कार्य पूर्ण किये जाकर व जल उपयोक्ता संगठनों द्वारा विद्युत कनेक्शन ले कर फव्वारा पद्घति से सिंचाई आरंभ कर दी गई है। इसके अतिरिक्त 3.20 लाख हैक्टेयर अन्य क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई का प्रोजेक्ट ए.आई.वी.पी. अन्तर्गत स्वीकृति हेतु केन्द्र सरकार को भेजा गया है।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना में स्काडा सिस्टम स्थापित किया गया है। इस प्रणाली से इंदिरा गांधी मुख्य नहर, ब्रान्च नहर एवं सब ब्रान्च नहरों के 51 स्टेशनों में (पंजाब में स्थित नहर के भाग पर शेष रहे 2 स्टेशनों के अतिरिक्त) अल्ट्रासोनिक उपकरणों द्वारा प्रत्येक 15 मिनट के अन्तराल पर नहरों में पानी के प्रवाह का आकलन किया जाता है। परियोजना के अधिकारी/कर्मचारी अपने फील्ड स्टेशनों पर एवं काश्तकार विभागीय वेबसाईट पर इन उपकरणों द्वारा किये गये आकलन की निरन्तर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
परियोजना की मुख्य नहर के जल वितरण व रेगुलेशन तंत्र को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता सतर्कता के अधीन एक अलग संगठन गठित किया गया है स्काडा प्रणाली की स्थापना तथा अलग रेगुलेशन संगठन के गठन से परियोजना में अन्तिम छोर तक पानी पहुंचना सुनिश्चित हुआ है।
यह नहर पिछले लगभग 45 वर्षों से प्रभावित क्षेत्र में विकास के नये आयाम जोड रही है। नहर प्रणाली से करोडों रुपये का वार्षिक कृषि उत्पादन प्राप्त हो रहा है। निरन्तर सूखाग्रस्त क्षेत्र के लाखों निवासियों को पेयजल उपलब्ध होने लगा है।
नहरी क्षेत्र में भूमि की उर्वरा शक्ति बढने से जमीन के औसत बाजार मूल्य में अप्रत्याशित वृद्घि हुई है एवं किसानों की माली हालत में उत्तरोत्तर विकास हो रहा है। वृक्षारोपण, सडक, मण्डी निर्माण तथा अन्य आधारभूत सुविधाओं के विकास से सामाजिक एवं आर्थिक क्षत्र में उन्नति के नये मार्ग खुल हैं। मरू क्षेत्र में नहर आने के बाद इस क्षेत्र के आस पास भूमिगत जल में वृद्घि होने लगी है।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना उत्तर पश्चिमी राजस्थान की जीवन रेखा है। इस नहर ने दूरस्थ हिमाचल के पानी को इस मरू क्षेत्र में पहुंचाकर क्षेत्र की कायाकल्प कर दी है। वर्तमान में परियोजना के द्वितीय चरण में शेष कार्य तथा जिस क्षेत्र में नहरें निर्मित हो चुकी है वहां सिंचाई, पेयजल उपलब्ध कराने हेतु जल संचालन का कार्य किया जा रहा है।
मार्च,2011 तक प्रथम चरण में 5.46 लाख हैक्टेयर तथा द्वितीय चरण में 10.47 लाख हैक्टेयर कुल 15.93 लाख हैक्टेयर क्षेत्र सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जा चुका है। वर्ष 2011 12 में 2500 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र सिंचाई हेतु खोला जाना प्रस्तावित है।
माह मार्च 2011 तक द्वितीय चरण की 6 लिफट नहरों के 31 पम्पिंग स्टेशनों में से 25 पम्पिंग स्टेशनों का कार्य पूर्ण हो चुका है।
परियोजना में उपलब्ध जल के कुशलतम उपयोग हेतु द्वितीय चरण की 6 लिफट योजनाओं के 27449 हैक्टेयर क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई स्थापना के कार्य प्रगति पर है जिसमें से 3858 हैक्टेयर में सभी कार्य पूर्ण किये जाकर व जल उपयोक्ता संगठनों द्वारा विद्युत कनेक्शन ले कर फव्वारा पद्घति से सिंचाई आरंभ कर दी गई है। इसके अतिरिक्त 3.20 लाख हैक्टेयर अन्य क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई का प्रोजेक्ट ए.आई.वी.पी. अन्तर्गत स्वीकृति हेतु केन्द्र सरकार को भेजा गया है।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना में स्काडा सिस्टम स्थापित किया गया है। इस प्रणाली से इंदिरा गांधी मुख्य नहर, ब्रान्च नहर एवं सब ब्रान्च नहरों के 51 स्टेशनों में (पंजाब में स्थित नहर के भाग पर शेष रहे 2 स्टेशनों के अतिरिक्त) अल्ट्रासोनिक उपकरणों द्वारा प्रत्येक 15 मिनट के अन्तराल पर नहरों में पानी के प्रवाह का आकलन किया जाता है। परियोजना के अधिकारी/कर्मचारी अपने फील्ड स्टेशनों पर एवं काश्तकार विभागीय वेबसाईट पर इन उपकरणों द्वारा किये गये आकलन की निरन्तर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
परियोजना की मुख्य नहर के जल वितरण व रेगुलेशन तंत्र को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता सतर्कता के अधीन एक अलग संगठन गठित किया गया है स्काडा प्रणाली की स्थापना तथा अलग रेगुलेशन संगठन के गठन से परियोजना में अन्तिम छोर तक पानी पहुंचना सुनिश्चित हुआ है।
यह नहर पिछले लगभग 45 वर्षों से प्रभावित क्षेत्र में विकास के नये आयाम जोड रही है। नहर प्रणाली से करोडों रुपये का वार्षिक कृषि उत्पादन प्राप्त हो रहा है। निरन्तर सूखाग्रस्त क्षेत्र के लाखों निवासियों को पेयजल उपलब्ध होने लगा है।
नहरी क्षेत्र में भूमि की उर्वरा शक्ति बढने से जमीन के औसत बाजार मूल्य में अप्रत्याशित वृद्घि हुई है एवं किसानों की माली हालत में उत्तरोत्तर विकास हो रहा है। वृक्षारोपण, सडक, मण्डी निर्माण तथा अन्य आधारभूत सुविधाओं के विकास से सामाजिक एवं आर्थिक क्षत्र में उन्नति के नये मार्ग खुल हैं। मरू क्षेत्र में नहर आने के बाद इस क्षेत्र के आस पास भूमिगत जल में वृद्घि होने लगी है।
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