बुधवार, 24 अगस्त 2011

मध्य प्रदेश में इंसानियत का दाह संस्कार, शव को टायरों से जलाया



छतरपुर/भोपाल। अंतिम संस्कार के लिए चंदा किया.. लकड़ी कम पड़ गई तो मृतक की झोपड़ी के पिछवाड़े से ही कुछ और लकड़ियां जुटाई गईं.. फिर भी बात नहीं बनी तो पुराने टायरों का सहारा लिया गया.. पर बदनसीबी.. लाश फिर भी अधजली रह गई।



दूसरे दिन फिर कुछ लोग सक्रिय हुए और जैसे-तैसे लाश जलाई गई।उधर, कलेक्टर से लेकर मंत्री तक नियम-कायदे, कार्यक्षेत्र, जांच और व्यवस्था की दुहाई देते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते रहे। जिंदगी तो जिंदगी, इस गरीब की मौत भी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी मढ़ने और सिस्टम के फेर में उलझकर रह गई। संवेदनाओं की ये चिता जली छतरपुर में। सोमवार को नारायण बाग पहाड़ी में रहने वाले बुजुर्ग नरपतसिंह यादव का नौगांव के टीबी अस्पताल में निधन हो गया। उनका शव घर लाया गया, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए उनके घर और कोई पुरुष सदस्य नहीं था।

बेहद गरीबी में रहे नरपतसिंह के परिवार में सिर्फ उनकी 68 वर्षीय पत्नी सावित्री देवी हैं। उनके पास भी अंतिम संस्कार के लिए रुपए नहीं थे। ऐसे में मोहल्ले के लोगों ने चंदा जमा कर कुछ लकड़ियां जुटाईं, लेकिन वे कम पड़ गईं। ऐसे में लोगों ने पुराने टायरों को चिता में डाल दिया। इतना ही नहीं वे बुजुर्ग की झोपड़ी से ही लकड़ियां निकाल लाए।



अधजली रह गई लाश



नरपत सिंह की चिता को जलाकर लोग वापस आ गए। दूसरे दिन मंगलवार की सुबह जब कुछ लोग श्मशान गए तो उन्हें अधजली लाश नजर आई। सूचना पर सिघाड़ी नदी बचाओ समिति के जिलाध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल वहां पहुंच गए और उन्होंने नगर पालिका में फोन लगाया। इसके बाद पार्षद बृजेश राय, बाबीराजा और नपा के स्वीपर की मदद से शव को जलाया गया। "मुझे सुबह सिघाड़ी नदी बचाओ समिति के जिलाध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने फोन कर बुजुर्ग के बारे में सूचना दी थी। मैंने तुरंत नपा के कर्मचारी को वहा भेजा। उनकी पत्नी सावित्री देवी की पूरी मदद की जाएगी।"



अर्चना सिंह, नपा अध्यक्ष, छतरपुर

"मुझे किसी अनजान नंबर से रात में सूचना मिली थी। शासन की ओर से लावारिश शवों को दफनाने का प्रावधान है। हमने सूचना देने वाले को को निजी तौर पर आर्थिक मदद देने को कहा था। सुबह अधजली लाश की सूचना मिली तो तत्काल मानवीय आधार पर वहां जलाने की व्यवस्था कराई गई। यह व्यवस्था भी हमने अपने स्तर पर कराई है।"



डीडी तिवारी, सीएमओ

योजना पर होगा विचार"अभी तक अंतिम संस्कार में मदद देने के लिए कोई योजना नहीं है। अब मांग उठी है तो योजना बनाने पर विचार करेंगे।"



बाबूलाल गौर, नगरीय प्रशासन मंत्री

एसडीएम ने नहीं सुनी गुहार



सोमवार को नपा उपाध्यक्ष अशोक मिश्रा ने एसडीएम केपी महेश्वरी से मदद की गुहार लगाई। उपाध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह उनके कार्यक्षेत्र का मामला नहीं है। अब एसडीएम का कहना है कि मुझे सूचना दी गई थी। मैंने सक्षम अधिकारी नपा सीएमओ को सूचना दी थी।

नगरपालिका की जिम्मेदारी



"शासन की ओर से कर्मकार मंडल में पंजीकृत होने पर पीड़ित परिवार को अंत्येष्टि के लिए मदद का प्रावधान है। नगर पालिका को अपनी ओर से मृतक का अंतिम संस्कार कराना चाहिए था। मैं अभी बाहर हूं। मामले की जांच कराऊंगा।"



राहुल जैन, कलेक्टर, छतरपुर

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