मंगलवार, 2 अगस्त 2011

लहरिये से रंगा बाजार























लहरिये से रंगा बाजार 
 
तीज-त्यौहार नजदीक आने और सावन माह के शुरू होने के साथ ही महिलाओं में लहरिये के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा है। सुहागिनों को संवारने के लिए बाजार लहरियों से सज चुका है। शहर में इन दिनों साडियाें की दुकानों पर लहरिये की खूब बिक्री हो रही है। दुकानदारों ने बताया कि परम्परा के मुताबिक तीज त्योहार की तैयारी के लिए इन दिनों काफी संख्या में महिलाएं लहरिया खरीद रही है।

लहरिये की बढ़ती मांग के साथ उन्होंने कोलकता व सूरत से माल मंगवाया है। यहां पर महिलाओं में विशेष रूप से प्योर शिकोन, 60 ग्राम शिकोन तथा चामुंडी शिकोन के लहरिये की मांग बनी हुई है। बाजार में लहरिया तीन सौ रूपए से लेकर चार हजार रूपए तक बिक रहा है।

कारीगरी से निखरता रूप
 
कपड़ा व्यवसायी गोपालसिंह ने बताया कि लहरिये में हैण्डवर्क, पेचवर्क, सिकवेंस के रूप में कार्य कर इसे और अधिक सुंदर बनाया गया है। महिलाएं इसे अपनी रूचि के अनुसार खरीद कर ले जा रही है। सावन माह में कई महिलाएं शिव की आराधना भी लहरिये की साड़ी पहन कर ही कर रही है।
 

धार्मिक महत्व ने बढ़ाया क्रेज
लहरिया का धार्मिक व सामाजिक रीति रिवाजों में काफी महत्व है। नवविवाहित दुल्हन को उसके ससुराल पक्ष की ओर से शादी के बाद तीज के मौके पर लहरिया, श्ृंगार के सामान व मिठाइयां भेजी आती है। ऎसी मान्यता है कि लहरिये को पहन कर विवाहिताएं तीज-त्यौहार मनाती है।
 

सदाबहार मोठरा
बदलते परिवेश के साथ लहरिया अलग-अलग तरह का आ रहा है। लेकिन मोठरा ग्रामीण व शहरी महिलाओं के लिए सदा बहार है। मोठरा यहां पर प्योर शिकोन, आर्ट सिल्क में मिल रहा है। इसी प्रकार सतरंगी व पंचरंगी लहरिये भी सदाबहार लहरिये में आते हंै। जिन्हें भी महिलाएं बड़े चाव से पहनती है।
 


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