भूमि आबंटन के बाद गेंद केंद्र सरकार के पाले में |
दिल्ली में अटकी, मॉडल स्कूलें! |
जिले के छह ब्लॉकों में प्रस्तावित है मॉडल स्कूल .बाड़मेरशिक्षा के लिहाज से पिछड़े ब्लाकों में मॉडल स्कूलें खोलने की योजना दो साल बाद भी सिरे नहीं चढ़ पाई। इस योजना के तहत जिले के छह ब्लाकों में मॉडल स्कूल खोलने के प्रस्ताव तैयार करने के साथ भूमि आबंटन कर दी गई। इसके बाद प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेज दिए गए। जहां पर लंबे इंतजार के बाद मंजूरी नहीं मिलने से मॉडल स्कूलों का सपना हकीकत में नहीं बदल पाया। बेसब्री से हाइटेक शिक्षा का सपना देख रहे विद्यार्थियों को निराशा हाथ लगी। केन्द्र सरकार की ओर से शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े ब्लाकों में मॉडल स्कूल खोलने के लिए वर्ष 2009 में प्रस्ताव मांगे थे। इसके तहत शिक्षा विभाग की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ब्लॉक मुख्यालयों पर मॉडल स्कूल खोलने के प्रस्ताव तैयार किए गए। इस दौरान जिले के शिव ब्लॉक में देताणी, चौहटन में ब्लॉक मुख्यालय, बाड़मेर में रामसर, बायतु में साईयों का तला ग्राम पंचायत लूनाड़ा, बालोतरा में विद्यालय परिसर व सिवाना में ब्लॉक मुख्यालय पर मॉडल स्कूल खोलने के प्रस्ताव तैयार किए गए। ये प्रस्ताव विधायक व मंत्रियों की सिफारिश के आधार पर तैयार किए गए थे। शिक्षा विभाग ने इन्हें अंतिम रूप देते हुए भूमि आबंटन की प्रक्रिया शुरू की। जिला कलेक्टर ने छह ब्लाकों में से बालोतरा को छोड़ शेष ब्लाकों के मॉडल स्कूलों के लिए भूमि आबंटित करने के बाद ये प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिए गए। जहां पर स्कूल भवन के साथ सुविधाएं मुहैया करवाने को बजट जारी करना प्रस्तावित था। लेकिन केन्द्र सरकार से बजट जारी करने में लेटलतीफी के चलते मॉडल स्कूलों के प्रस्ताव भूमि आबंटन के बाद कागजी फाइलों में दफन होकर रह गए। करीब डेढ़ साल के बाद भी आगे की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। ऐसे में आधुनिक सुविधाओं से युक्त स्कूलों में अध्यापन करने के इच्छुक विद्यार्थियों को निराशा हाथ लगी है। |
रविवार, 24 जुलाई 2011
भूमि आबंटन के बाद गेंद केंद्र सरकार के पाले में दिल्ली में अटकी, मॉडल स्कूलें!
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