कर्ज में डूबे परिवार को गरीबी ने बना दिया बैल
अमरावती। कर्ज के बोझ तले दबे किसानों द्वारा आत्महत्या के बाद विद्रर्भ में गरीब किसान परिवार की अनोखी कहानी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक अमरावती जिले के सिरखेड गांव में गरीबी के कारण किशन राव दापुरकर का परिवार खेत जोतने के लिए बैलों की जगह हल चला रहा है।
दापुरकर के बेटों का कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। उनके पास किराए पर बैल खरीदने के लिए भी पैसे नहीं है। यह परिवार आठ एकड़ जमीन का मालिक है इसलिए गरीबी रेखा में शामिल नहीं है। पिछले दो साल से गांव में बारिश नहीं होने के कारण जमीन से न के बराबर पैदावार हुई है।
इसके अलावा गांव के लोग इस कदर कर्ज में डूब चुके हैं कि उनके पास बैल की जोड़ी खरीदने के लिए एक हजार रूपए प्रति दिन के लिए पैसे नहीं है।
उधर, मीडिया में दापुरकर परिवार की पीड़ा सामने आने के बाद जिला अधिकारी ने परिवार को मदद देने की बात कही है। एसडीओ मोरशी दिनकर काले का कहना है कि एसी/एटी के लिए बैल उपलब्ध करवाने के लिए उनके पास योजना है। लेकिन दापुरकर परिवार ओबीसी की श्रेणी में आता है।
अमरावती। कर्ज के बोझ तले दबे किसानों द्वारा आत्महत्या के बाद विद्रर्भ में गरीब किसान परिवार की अनोखी कहानी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक अमरावती जिले के सिरखेड गांव में गरीबी के कारण किशन राव दापुरकर का परिवार खेत जोतने के लिए बैलों की जगह हल चला रहा है।
दापुरकर के बेटों का कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। उनके पास किराए पर बैल खरीदने के लिए भी पैसे नहीं है। यह परिवार आठ एकड़ जमीन का मालिक है इसलिए गरीबी रेखा में शामिल नहीं है। पिछले दो साल से गांव में बारिश नहीं होने के कारण जमीन से न के बराबर पैदावार हुई है।
इसके अलावा गांव के लोग इस कदर कर्ज में डूब चुके हैं कि उनके पास बैल की जोड़ी खरीदने के लिए एक हजार रूपए प्रति दिन के लिए पैसे नहीं है।
उधर, मीडिया में दापुरकर परिवार की पीड़ा सामने आने के बाद जिला अधिकारी ने परिवार को मदद देने की बात कही है। एसडीओ मोरशी दिनकर काले का कहना है कि एसी/एटी के लिए बैल उपलब्ध करवाने के लिए उनके पास योजना है। लेकिन दापुरकर परिवार ओबीसी की श्रेणी में आता है।
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