जोधपुर. जबलपुर स्थित सैन्य आयुध डिपो से मिले हथियार व कारतूस तथा भूटान में भारतीय सेना के प्रशिक्षण के दौरान खरीदे गए हथियार बेचने के मामले में आरोपी 27 सैन्य अधिकारियों पर गाज गिरना तय है। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद समरी ऑफ एवीडेंस में भी इन अधिकारियों को सबूत के आधार पर हथियार के पुन: विक्रय नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया।
इस आधार पर देश के विभिन्न इलाकों में तैनात आरोपी कर्नल व लेफ्टिनेंट कर्नल स्तर के अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई शुरू हो गई है। गौरतलब है कि इन आरोपी अधिकारियों में से अधिकांश पर राजस्थान में सक्रिय हथियारों के सौदागरों को हथियार व गोला बारूद बेचने का आरोप है। चार साल पूर्व इस रैकेट का खुलासा होने पर दो लेफ्टिनेंट जनरल सहित 64 सैन्य अधिकारियों को अवैध रूप से हथियार बेचने का दोषी पाया गया था। ये दोनों लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर हो चुके हैं।
गंगानगर में दो सैन्य अधिकारियों के विशेषाधिकार के लिए खरीदे हथियार बार्डर एरिया के संदिग्ध व्यक्तियों को बेचने का खुलासा होने पर सेना की जांच में सैन्य अधिकारियों की लिप्तता उजागर हुई। इन अधिकारियों द्वारा सेना के जबलपुर स्थित आयुध डिपो से मिले हथियार व कारतूस बेचना पाया गया था। जयपुर स्थित सेना की दक्षिण पश्चिम कमान के नेतृत्व में हुई कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में दो लेफ्टिनेंट जनरल सहित 41 अधिकारियों पर हथियार बेचने के आरोप सही पाए गए। इस मामले के अलावा 2005 में भारतीय सेना के प्रशिक्षण दल में शामिल सैन्य अधिकारियों के वहां हथियार खरीदने और बाद में उसे राजस्थान और देश के अन्य प्रांतों में बेचने का मामला भी प्रकाश में आ गया।
इस मामले की जांच में भी उन तमाम अधिकारियों को पुन: विक्रय नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया। राजस्थान में सैन्य अधिकारियों के हथियार बेचने के मामले में तीन महीने पूर्व उच्चतम न्यायालय के रक्षा मंत्रालय की खिंचाई की थी। इस पर सेना ने दोनों मामलों में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में आरोपी पाए अधिकारियों के खिलाफ समरी ऑफ एवीडेंस की कार्रवाई शुरू की। उसमें सेना ने कोर्ट आफ इन्क्वायरी में अधिकारियों के खिलाफ सबूत पेश किए और अधिकारियों के बयान दर्ज किए।
समरी ऑफ एवीडेंस में दोनों मामलों में सेवारत 27 अधिकारियों को सेना के हथियार बेचने का दोषी पाया गया। इस पर सेना ने इन अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई का फैसला लिया। आरोपी अधिकारी जहां भी तैनात है, वहीं उसके खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई होगी। सैन्य अधिकारियों ने आयुध डिपो से आवंटित और निजी इस्तेमाल के हथियार भी संदिग्ध लोगों को बेच दिए थे।
जांच में यह साबित होने के बाद भी सेना ने उन सभी अधिकारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की थी। कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में उनके खिलाफ आरोप सही पाए गए थे। हालांकि समरी ऑफ एवीडेंस में कई अधिकारियों की लिप्तता साबित नहीं हुई और 27 अधिकारियों के खिलाफ आरोप साबित हो गए। ये अधिकारी अच्छी रैंक के हैं, लेकिन अब इन पर गाज गिरना तय है।
सेना के हथियार बेचने वाले 27 सैन्य अधिकारियों के खिलाफ समरी ऑफ एवीडेंस में महत्वपूर्ण सबूत मिलने पर उन्हें दोषी माना गया है। अब उनके खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई होगी। - कर्नल,एस ओमसिंह,जनसंपर्क अधिकारी,सेना।
इस आधार पर देश के विभिन्न इलाकों में तैनात आरोपी कर्नल व लेफ्टिनेंट कर्नल स्तर के अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई शुरू हो गई है। गौरतलब है कि इन आरोपी अधिकारियों में से अधिकांश पर राजस्थान में सक्रिय हथियारों के सौदागरों को हथियार व गोला बारूद बेचने का आरोप है। चार साल पूर्व इस रैकेट का खुलासा होने पर दो लेफ्टिनेंट जनरल सहित 64 सैन्य अधिकारियों को अवैध रूप से हथियार बेचने का दोषी पाया गया था। ये दोनों लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर हो चुके हैं।
गंगानगर में दो सैन्य अधिकारियों के विशेषाधिकार के लिए खरीदे हथियार बार्डर एरिया के संदिग्ध व्यक्तियों को बेचने का खुलासा होने पर सेना की जांच में सैन्य अधिकारियों की लिप्तता उजागर हुई। इन अधिकारियों द्वारा सेना के जबलपुर स्थित आयुध डिपो से मिले हथियार व कारतूस बेचना पाया गया था। जयपुर स्थित सेना की दक्षिण पश्चिम कमान के नेतृत्व में हुई कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में दो लेफ्टिनेंट जनरल सहित 41 अधिकारियों पर हथियार बेचने के आरोप सही पाए गए। इस मामले के अलावा 2005 में भारतीय सेना के प्रशिक्षण दल में शामिल सैन्य अधिकारियों के वहां हथियार खरीदने और बाद में उसे राजस्थान और देश के अन्य प्रांतों में बेचने का मामला भी प्रकाश में आ गया।
इस मामले की जांच में भी उन तमाम अधिकारियों को पुन: विक्रय नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया। राजस्थान में सैन्य अधिकारियों के हथियार बेचने के मामले में तीन महीने पूर्व उच्चतम न्यायालय के रक्षा मंत्रालय की खिंचाई की थी। इस पर सेना ने दोनों मामलों में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में आरोपी पाए अधिकारियों के खिलाफ समरी ऑफ एवीडेंस की कार्रवाई शुरू की। उसमें सेना ने कोर्ट आफ इन्क्वायरी में अधिकारियों के खिलाफ सबूत पेश किए और अधिकारियों के बयान दर्ज किए।
समरी ऑफ एवीडेंस में दोनों मामलों में सेवारत 27 अधिकारियों को सेना के हथियार बेचने का दोषी पाया गया। इस पर सेना ने इन अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई का फैसला लिया। आरोपी अधिकारी जहां भी तैनात है, वहीं उसके खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई होगी। सैन्य अधिकारियों ने आयुध डिपो से आवंटित और निजी इस्तेमाल के हथियार भी संदिग्ध लोगों को बेच दिए थे।
जांच में यह साबित होने के बाद भी सेना ने उन सभी अधिकारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की थी। कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में उनके खिलाफ आरोप सही पाए गए थे। हालांकि समरी ऑफ एवीडेंस में कई अधिकारियों की लिप्तता साबित नहीं हुई और 27 अधिकारियों के खिलाफ आरोप साबित हो गए। ये अधिकारी अच्छी रैंक के हैं, लेकिन अब इन पर गाज गिरना तय है।
सेना के हथियार बेचने वाले 27 सैन्य अधिकारियों के खिलाफ समरी ऑफ एवीडेंस में महत्वपूर्ण सबूत मिलने पर उन्हें दोषी माना गया है। अब उनके खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई होगी। - कर्नल,एस ओमसिंह,जनसंपर्क अधिकारी,सेना।
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