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रविवार, 1 सितंबर 2019

रामदेवरा (जैसलमेर) जयकारों के साथ बाबा रामदेव जी के भादवा मेले का हुआ आगाज

रामदेवरा (जैसलमेर) जयकारों के साथ बाबा रामदेव जी के भादवा मेले का हुआ आगाज

केबिनेट मंत्री, कलेक्टर, विधायक जैसलमेर एसपी और गादीपति राव ने की पूजा अर्चना
सभी व्यवस्थाएं पुख्ता

रामदेवरा (जैसलमेर) / राणीदान सिंह तंवर



सामाजिक समरसता के प्रतीक और लाखों लोगों के आराध्यदेव बाबा रामदेव जी के 635वें भादवा मेले का आज ब्रह्म मुहूर्त में आगाज हुआ और हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपने आराध्यदेव बाबा रामदेव जी की समाधि के दर्शनार्थ उमड़ पड़े।
इस अवसर पर बाबा रामदेव जी की समाधि पर केबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद, जिला कलेक्टर नमित मेहता, पुलिस अधीक्षक डॉ किरण कंग, गादीपति राव भोम सिंह तंवर, जैसलमेर विधायक रूपा राम धनदेव और पूर्व विधायक शैतान सिंह राठौड़ द्वारा अभिषेक किया गया और मंगला आरती की गई। इस दौरान सम्पूर्ण रामदेवरा कस्बा बाबा रामदेव जी के जयकारों से गूंज उठा।
श्रद्धालुओं ने अपने आराध्यदेव को प्रसन्न करने के लिए कई स्वरचित जयकारे लगाए।
इसके बाद जिला कलेक्टर और एसपी द्वारा मेला व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया और आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
इस अवसर पर मेलाधिकारी विकास राजपुरोहित, सहायक मेला अधिकारी नारायण सुथार, एम एस बिट्टा,पूर्व मंत्री गोपाराम मेघवाल, पुलिस उपाधीक्षक मोटाराम गोदारा, तहसीलदार रामसिंह जोधा, थानाधिकारी देवीसिंह,ग्रामसेवक चौथाराम सहित कई लोग उपस्थित थे।
गौरतलब है कि भादवा मेले में अनुमानित 50 लाख श्रद्धालुओं के भाग लेने का अनुमान है।
मेले में ग्राम पंचायत, प्रशासन और पुलिस द्वारा पुख्ता प्रबन्ध किए गए हैं। मेले में करीब 2,000 के लगभग पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं, इसके अलावा सफाई,चिकित्सा व प्रकाश व्यवस्था आदि की पुख्ता व्यवस्था की गई है।

मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

बाबा रामदेव के खिलाफ बाड़मेर मे इस्तगासा दायर

बाबा रामदेव के खिलाफ बाड़मेर मे  इस्तगासा दायर

दलित महिलाओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने का मामला

दलित संगठनों ने बयान की निंदा कर जताया रोष


बाड़मेर, 29 अप्रैल।

योग गुरू बाबा रामदेव द्वारा 25 अप्रैल को अपने एक बयान में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दलित बस्तियों में जाने को लेकर दलित महिलाओं के खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणी एवं आपत्ति जनक बयान को लेकर बाड़मेर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कार्यालय में इस्तगासा दायर हुआ हैं। मामले की अगली सुनवाई 5 मई को तय की गई हैं। वहीं बाबा रामदेव के बयान को लेकर मंगलवार को विभिन्न दलित संगठनों ने निंदा करते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही की मांग की।

मंगलवार को भारमलराम पुत्र महेन्द्राराम मेघवाल निवासी नेहरू नगर बाड़मेर ने मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट के समक्ष एक परिवाद प्रस्तुत करते हुए बताया कि योग गुरू बाबा रामदेव ने अपने एक बयान में कांग्रेस उपाध्यक्ष के दलित बस्तियों के दौरे को लेकर आपति जनक बयान जारी करते हुए दलित महिलाओं के प्रति अभद्र टिप्पणी की। बाबा रामदेव ने कहा था कि राहुल गांधी दलित गांवो मंे हनीमून मनाने जाते हैं। उनकी इस टिप्पणी से पूरे दलित समाज को आघात लगा हैं। उन्होंने इस बयान को लेकर बाबा रामदेव को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कार्यवाही कर कड़ी सजा दी जाए। भारमलराम के अधिवक्ता नवलकिशोर लीलावत ने बताया कि बाबा रामदेव का दलित महिलाओं को लेकर जारी बयान आईपीसी की धारा 295 एवं 365 के तहत आता हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित की गई हैं।

विभिन्न संगठनों ने रोष जतायाः

वहीं इस संबंध में विभिन्न संगठनों ने बाबा रामदेव के बयान की निंदा की हैं। मेघवाल समाज संस्थान के सचिव भोजाराम मेघवाल ने कहा कि बाबा रामदेव ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर इस तरह का बयान जारी किया हैं। वह राजनीति में शब्दों की मर्यादा भुल गए हैं। जो लोग बाबा को सिर पर चढ़ा सकते हैं वह इस तरह की गलत बयानबाजी करने वालो को उनकी सही स्थिति में भी पहुंचा सकते हैं। एनएसयूआई के अध्यक्ष तोगाराम ने कहा कि बाबा रामदेव का यह बयान साफ जाहिर करता हैं कि उनके दिल में दलितों के प्रति कैसे विचार हैं। इस तरह के बाबाओं को माहौल बिगाड़ने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार की ओर से त्वरित कार्यवाही नहीं की गई तो दलित समाज उग्र आंदोलन करने से नहीं हिचकेगा।

गुरुवार, 5 सितंबर 2013

आँध्यां ने आख्यां देवे म्हारा रामसापीर,जय रुनिचे रा धनिया

आँध्यां ने आख्यां देवे म्हारा रामसापीर




 ये .बाबा तेरी जय बोलेंगे ,खम्मा खम्मा अज्मल्जी रा कंवारा ,जय रुनिचे रा धनिया के उद्घोष के साथ मेले का आगाज़ हुआ .चक चौबंद पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्थाओ के बीच लखी मेले में राजस्थान ,गुजरात और अन्य प्रान्तों से श्रद्धालु पहुंचे .

बाबा रामदेव जिसके दर पर हिन्दू-मुसलमान दोनों ही श्रद्धा और आस्था से सिर नवाते हैं ऐसे देवता कम ही होंगे। परमाणु विस्फोट के कारण देश-वि,देश में हलचल मचा देने वाला पोकरण इन दिनों ऐसी ही श्रद्धा, आस्था और विश्वास की स्वर लहरियों से गूँजता हुआ साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता का प्रतीक बना हुआ है।
पोकरण से १३ किलोमीटर दूर रामदेवरा में हिन्दू, मुस्लिम एकता एवं पिछडे वर्ग के उत्थान के लिए पहल कर क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए प्रसिद्ध संत बाबा रामदेव की श्रद्धा में डूबे लगभग 15 लाख अनुयाई भक्ति सागर में गोते लगा रहे हैं। देश में ऐसे अनूठे मंदिर कम ही हैं जो हिन्दू मुसलमान दोनों की आस्था के केन्द्र बिन्दु हैं। बाबा रामदेव का मंदिर इस दृष्टि से भी अनुपम है कि वहां बाबा रामदेव की मूर्ति भी है और मजार भी। यह मंदिर इस नजरिये से भी सैकडों श्रद्धालुओं को आकृष्ट करता है कि बाबा के पवित्रा राम सरोवर में स्नान से अनेक चर्मरोगों से मुक्ति मिलती है। इन्हीं रामसा पीर का वर्णन लोकगीतों में ’’आँध्यां ने आख्यां देवे म्हारा रामसापीर‘‘ कह कर किया जाता है। श्रद्धालु केवल आसपास के इलाकों से ही नहीं आते वरन् गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से भी सैंकडों की संख्या में आते हैं। 

आधुनिक परिवहन सुविधाओं के बावजूद बीकानेर और जोधपुर जैसे इलाकों से १००-२०० किलोमीटर पैदल चल कर आने वाले भक्तजन भी आस्था की अलग ही कहानी कहते नजर आते हैं। प्रतिवर्ष भादवा शुक्ला द्वितीया से चलने वाला यह मेला भादवा शुक्ला एकादशी को सम्पन्न होता है। इस बार मेला 11 सितम्बर तक चलेगा। इन दिनों पैदल और वाहनों से सैंकडों यात्राी प्रतिदिन मेला स्थल पर पहुंच रहे हैं। बाबा रामदेव १४०९ विक्रम संवत की शुक्ल पंचमी को तोमर वंशीय अजमल जी और मैणादे के यहां जन्मे थे। किंवदन्ती है कि ये भगवान श्री कृष्ण का अवतार थे। श्रद्धालु इनके जन्म की कथा को कुछ यूँ बयान करते हैं। दिल्ली के शासक अनंगपाल के पुत्रा नहीं था। पृथ्वीराज चौहान उनकी पुत्राी का पुत्रा था। एक बार अनंगपाल तीर्थयात्राा को निकलते समय पृथ्वीराज चौहान को राजकाज सौंप गये। तीर्थयात्राा से लौटने के बाद पृथ्वीराज चौहान ने उन्हें राज्य पुनः सौंपने से इन्कार कर दिया। अनंगपाल और उनके समर्थक दुखी हो जैसलमेर की शिव तहसील में बस गये। इन्हीं अनंगपाल के वंशजों में अजमल और मेणादे थे। निसंतान अजमल दम्पत्ति श्री कृष्ण के अनन्य उपासक थे। एक बार कुछ किसान खेत में बीज बोने जा रहे थे कि उन्हें अजमल जी रास्ते में मिल गये। किसानों ने निसंतान अजमल को शकुन खराब होने की बात कह कर ताना दिया। दुखी अजमल जी ने भगवान श्री कृष्ण के दरबार में अपनी व्यथा प्रस्तुत की। भगवान श्री कृष्ण ने इस पर उन्हें आश्वस्त किया कि वे स्वयं उनके घर अवतार लेंगे। 

बाबा रामदेव के रूप में जन्में श्री कृष्ण पालने में खेलते अवतरित हुए और अपने चमत्कारों से लोगों की आस्था का केन्द्र बनते गये। लोक भावनाओं के अनुसार उन्होंने पीरों को उनके बर्तन मक्का मदीना से मंगवा कर चमत्कृत किया, भैरव राक्षस के आतंक से रामदेवरा के लोग को मुक्त कराया, बोयता महाजन के डूबते जहाज को बचाया। सगुना बाई के बच्चों को जीवित करना, अंधों को दृष्टि प्रदान करना और कोढयों को रोगमुक्त करना उनके अन्य चमत्कारों में से कुछ थे इसलिए आज भी लोग उनसे मनौतियाँ मांगते हैं और मनौती पूरी होने पर भेंट चढाते हैं। यहां माघ महिने में भी मेला भरता है जिसमें आस-पास के गांवों के लोग इकट्ठे होते हैं। रामदेवरा अथवा रूंणीचा धाम असल में रामदेव जी की कार्यस्थली रही है। यहीं उन्होंने रामसर तालाब खुदवाया, यहीं समाधि ली और अपने ३३ वर्ष के छोटे से जीवन में दीनदुखियों और पिछडे लोगों के कल्याण के लिए काम करके देवत्त्व प्राप्त किया। रामदेवरा किसी समय जोधपुर राज्य का गांव था जो जागीर में मंदिर को दे दिया गया था। इस गांव के ऐतिहासिक व प्रामाणिक तथ्य केवल यही तक ज्ञात हैं कि इसकी स्थापना रामदेवजी की जन्म तिथि और समाधि दिवस के मध्य काल में हुई होगी। वर्ष १९४९ से यह फलौदी तहसील का अंग बन गया और बाद में जैसलमेर जिले की पोकरण तहसील बन जाने पर उसमें शामिल कर दिया गया। रामदेव जी के विवाह की गाथा लोकगीतों में आती है पर संतान व अन्य तथ्यों की पुष्टि नहीं होती। इनका विवाह निहाल दे नामक महिला से हुआ था। 

डाली बाई और हरजी भाटी इनके अनन्य भक्तों में से थे। डालीबाई का मंदिर रूंणीचे में बाबा की समाधि के पास बना है। कहते हैं कि डालीबाई बाबा रामदेव को टोकरी में मिली थी। रामदेवजी के वर्तमान मंदिर का निर्माण १९३१ में बीकानेर के महाराजा श्री गंगासिंह जी ने करवाया था। इस पर उस समय ५७ हजार रुपये की लागत आई थी। भादवा शुक्ला द्वितीया से भादवा शुक्ला एकादशी तक भरने वाले इस मेले में सुदूर प्रदेशों के व्यापारी आकर हाट व दूकानें लगाते हैं। पैदल यात्रिायों के जत्थे हफ्तों पहले से बाबा की जय-जयकार करते हुए अथक परिश्रम और प्रयास से रूंणीचे पहुंचते हैं। लोकगीतों की गुंजन और भजन कीर्तनों की झनकार के साथ ऊँट लढ्ढे, बैलगाडयां और आधुनिक वाहन यात्रिायों को लाखों की संख्या में बाबा के दरबार तक पहुंचाते हैं। यहां कोई छोटा होता है न कोई बडा, सभी लोग आस्था, भक्ति और विश्वास से भरे, रामदेव जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचते हैं। यहां मंदिर में नारियल, पूजन सामग्री और प्रसाद की भेंट चढाई जाती है। मंदिर के बाहर और धर्मशालाओं में सैकडों यात्रियों के खाने-पीने का इंतजाम होता है। 

प्रशासन इस अवसर पर दूध व अन्य खाद्य सामग्री की व्यवस्था करता है। विभिन्न कार्यालय अपनी प्रदर्शनियां लगाते हैं। प्रचार साहित्य वितरित करते हैं और अनेक उपायों से मेलार्थियों को आकृष्ट करते हैं। मनोरंजन के अनेक साधन यहां उपलब्ध रहते हैं। श्रद्धासुमन अर्पित करने के साथ-साथ मेलार्थी अपना मनोरंजन भी करते हैं और आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी भी। निसंतान दम्पत्ति कामना से अनेक अनुष्ठान करते हैं तो मनौती पूरी होने वाले बच्चों का झडूला उतारते हैं और सवामणी करते हैं। रोगी रोगमुक्त होने की आशा करते हैं तो दुखी आत्माएं सुख प्राप्ति की कामना और यू एक लोक देवता में आस्था और विश्वास प्रकट करता हुआ यह मेला एकादशी को सम्पन्न हो जाता है

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन


25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन



रामदेवरा  बाबा रामदेव के रूणिचा धाम में आयोजित प्रथम भादवा रामदेवरा मेला हर्षोल्लास के साथ शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ। बाबा की अवतरण तिथि भादवा सुदी द्वितीया 19 अगस्त से भादवा शुक्ला एकादशी - 27 अगस्त सोमवार तक आयोजित मेले में इस बार 25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि इस मेले में ग्राम पंचायत रामदेवरा को 62 लाख 49 हजार 982 रुपए की आय अर्जित हुई है।उपखंड अधिकारी पोकरण एवं मेलाधिकार रामदेवरा मेला अशोक चौधरी ने बताया कि जिला प्रशासन एवं मेला प्रशासन द्वारा मेलार्थियों की सुरक्षा, शांति व्यवस्था एवं अन्य आधारभूत सुविधाओं को दृष्टिगत रखते हुए रामदेवरा मेला अवधि में प्रशासनिक व्यवस्थाएं जुटाई गई है। मेला व्यवस्थाओं के लिए अलग-अलग विभागों द्वारा इस वर्ष मेले से पूर्व पदयात्रियों तथा मेलार्थियों की भारी संख्या में आवक को दृष्टिगत रखते हुए औपचारिक मेला प्रारंभ होने से पूर्व ही आवश्यक व्यवस्थाएं जुटाई गई।देश के कोने कोने से लाखों पदयात्रियों के पहुंचने का अनुमान है। गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी रामदेवरा मेला में सावण शुक्ला बीज से ही पदयात्रियों के जत्थे रामदेवरा पहुंचने प्रारंभ हो गए थे। मेलाधिकार अशोक चौधरी के नेतृत्व में मेले के सफल आयोजन में जिला प्रशासन, मेला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, उप अधीक्षक पुलिस विपिन शर्मा, मेला व्यवस्थाओं के लिए मेलावधि के लिए नियुक्त आर.ए.एस. ओमप्रकाश विश्नोई ,नरेश बुनकर सहायक मेलाधिकारी त्रिलोकचंद, सहायक अभियंता पंचायत समिति सांकड़ा धन्ना राम विश्नोई, चिकित्सा अधिकारियों के साथ ग्रामपंचायत रामदेवरा, रामदेवरा के सरपंच भोमाराम, ग्रामसेवक ताराराम, जिला एवं उपखण्ड मुख्यालय से आए विभिन्न विभागों तथा ग्रामपंचायत रामदेवरा के पदाधिकारियों/कार्मिकों और स्काउट के बालचरों, सूचना केन्द्र प्रभारियों का विशेष योगदान रहा। मेले में इस बार कानून एवं शांति व्यवस्था को सुव्यवस्थित ढंग से संपादित करने में पुलिस प्रशासन एवं आर.ए.सी विभाग के अधिकारियों व कार्मिकों ने अपनी अहम् भूमिका अदा की। मेलाधिकारी चौधरी ने इन समस्त अधिकारी/कर्मचारी से आग्रह किया कि वे आगामी 16 सितम्बर से 26 सितम्बर तक आयोजित होने वाले अगले द्वितीय भादवा मेले में भी इसी तरह से अपनी उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करें।

ग्राम पंचायत रामदेवरा को 62 लाख 49 हजार 982 रुपए की आय