रविवार, 26 नवंबर 2017

बाड़मेर राजनीती *कांग्रेसियो की बोपरह।।बीजेपी ढूंढ रही नये चेहरे।*



बाड़मेर राजनीती *कांग्रेसियो की बोपरह।।बीजेपी ढूंढ रही नये चेहरे।*



*हालांकि विधानसभा चुनावों में अभी साल भर का वक़्त है।मगर सत्तासीन और विपक्ष अपने चुनावी चौसर के घोड़े चुनने में लगी है।इस बार दिलचस्प है है दोनों दल नये चेहरे ढूंढ रहे।कांग्रेस के लिए सचिन पायलट का होम वर्क पूरा हो चुका है।तो भाजपा अभी तक चेहरे तलाष नही कर पाई।।राजनीतिक गलियारों में चर्चा ए आम है कि कांग्रेस ने अपने नए चेहरों का पैनल तैयार कर लिया।पुराने चेहरों को बदलने का काम तेजी से हो रहा।सचिन ने जातीय समीकरण के हिसाब से मोहरे फिट करने में कामयाबी हासिल कर ली।इस कामयाबी में पूर्व मुख्यमंत्री ढ़ोक गहलोत के विश्वशनीय नेताओ की बलि चढ़ना तय है।हाल ही में अशोक गहलोत की तरफ से चर्चा में आये नये चेहरों की गोपनीय रिपोर्ट निजी स्तर पर मंगवाई है।गहलोत के पुराने साथी उनका साथ लगभग छोड़ सचिन से हाथ मिला चुके है।एक मात्र जनप्रतिनिधि अभी भी गहलोत के गुणगान कर रहे।।विधानसभा चुनाव पायलट के नेतृत्व में लड़े गए तो बाड़मेर से पूर्व राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी,राष्ट्रीय सचिव हरीश चौधरी और जैसलमेर से प्रदेश सचिव रूपाराम धनदे नई शक्ति के रूप में उभर कर सामने आएंगे।।ऐसे में गहलोत के मोहरों का क्या हश्र ह्योग ज्यादा सोचने की जरूरत नही।।इस वक्त अल्पसंख्यक नेताओ की बात करे तो बाड़मेर के दोनों राजनीतिक घराने सचिन में विश्वास व्यक्त कर चुके है तो जैसलमेर में फकीर परिवार अभी भी असमंज की स्थिति में है।सचिन के साथ खुलकर फकीर परिवार अभी नही गया जिसका खामियाजा भी भुगत रहे है।बहरहाल कांग्रेस सत्ता की सीढ़ियां सफलतापूर्व चढ़ने के लिए राजपूत समाज को प्रतिनिधित्व देकर बीजेपी पर बढ़त और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का प्रयास कर रहा।अमीन खान का राजपूतो को कांग्रेस में लाने का बयान इसी संदर्भ में देखा जा रहा हैं। इसी की परिणीति है कि गत दिनों एक युवा राजपूत की कई दशकों बाद कांग्रेस में जाट बाहुल्य क्षेत्र में हुई।।पिछला और आगे भी कई वर्षों तक एक राजपूत नेता का कांग्रेस में जाट बाहुल्य क्षेत्र में जाकर प्रवेश सम्भव नही लगता।मगर यह युवा नेता के लिए जरूर संतोष का विषय है कि उनका कांग्रेस में प्रवेश जाट बाहुल्य क्षेत्र में संगठन के जिला अध्यक्ष और दिग्गज जाट नेताओं की उपस्थिति में हुआ।कांग्रेस में राजपूत नेताओ का बाड़मेर में प्रवेश दिवास्वप्न सा था।राजपूतो को एक मात्र विधायक ने कभी कांग्रेस में आगे आने नही दिया।राजपूतो को अपना वोट बैंक में पिछलग्गू बनाये रखा।।जिसके चलते राजपूत समाज के कई होनहार युवाओ का राजनीतिक भविष्य चौपट हो गया।जाट नेताओं द्वारा युवा राजपूत पर भरोसा सारी कहानी बयां कर रहा है।सचिन की चौसर जम चुकी है।वही बीजेपी ने बिधान सभा चुनाव जीतने का नया फार्मूला तैयार किया हैं।इसपे आगे बात करेंगे।*

खुलासा: दाऊद इब्राहिम का इकलौता बेटा बना मौलाना, डिप्रेशन में डॉन

खुलासा: दाऊद इब्राहिम का इकलौता बेटा बना मौलाना, डिप्रेशन में डॉन


मुंबई धमाकों के आरोपी और भारत के मोस्ट मॉन्टेड अपराधी दाऊद इब्राहिम को लेकर बड़ी खबर आई है. दुनिया भर में दूसरे नंबर का सबसे अमीर अपराधी डिप्रेशन में चला गया है.


Dawood Ibrahim’s Only Became a Maulana, Shuns ‘Family Business

छोटे भाई से पूछताछ में हुआ खुलासा

दरअसल दाऊद इब्राहिम का इकलौता बेटा मोइन नवाज डी कासकर मौलाना बन गया है. दाउद के बेटे की उम्र 31 साल है, उसके फैमिली बिजनेस छोड़ मौलाना बनने का फैसला किया है. यही बुरी खबर दाऊद को डिप्रेशन में ले गई है, ये खुलासा दाऊद के छोटे भाई इकबाल इब्राहिम कासकर से पूछताछ के दौरान हुआ है. इकबाल कासकार को कुछ दिनों पहले मुबई की एंटी एक्सटॉर्शन सेल ने गिरफ्तार किया था. पूछताछ में ये भी पता चला कि परिवार में अशांति को लेकर दाऊद अंदर से टूट गया है.




दाऊद के परिवार की कहानी

दाऊद के कुल चार बच्चे हैं जिनमें तीन बेटियां और एक लड़का मोइन नवाज डी कासकर है. दाऊद की एक बेटी की कुछ साल पहले मलेरिया की वजह से मौत हो गई थी. उसकी एक बेटी की शादी पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियादाद के बेटे जुनैद से हुई थी.

दाऊद का बेटा मोईन ब्रिटेन में बिजनस मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा था, साल 2011 में पाकिस्तान लौट आया, इसकी शादी भी हो चुकी है. जानकारी के मुताबिक शुरुआत से ही मोईन की रुचि धार्मिक कार्यों में ज्यादा थी. उसके कुरान की सभी आयतें मुंहजुबानी याद कर ली थीं.




बेटे से करता है बहुत प्यार, डिप्रेशन में गया डॉन

इकबाल कासकर ने पूछताछ में बताया कि बेटे के ऐसे बर्ताव की वजह से दाऊद तनाव में था. कासकर के मुताबिक मोईन अब दाऊद के साथ नहीं रहता है वो अपने परिवार के एक मस्जिद में रहता है. बताया जाता है कि दाऊद मोईन को बहुत प्यार करता है. उसके कराची स्थिति अपने घर का नाम भी बेटे के नाम पर मोईन पैलेस रखा है.




क्या चाहता था दाऊद?

दाऊद चाहता था दाऊद ये नहीं चाहता था कि उसका बेटा अंडरवर्ल्ड के लिए काम करे. वो चाहता था कि उसका जितना सफेद कारोबार है वो उसे संभाले लेकिन मोईन की रुचि दाऊद के किसी काम में नहीं था.

देखें तस्‍वीरें: कुरुक्षेत्र में राष्‍ट्रपति ने अंतरराष्‍ट्रीय गीता माहेत्‍सव का किया आगाज



देखें तस्‍वीरें: कुरुक्षेत्र में राष्‍ट्रपति ने अंतरराष्‍ट्रीय गीता माहेत्‍सव का किया आगाज


देखें तस्‍वीरें: कुरुक्षेत्र में राष्‍ट्रपति ने अंतरराष्‍ट्रीय गीता माहेत्‍सव का किया आगाज


कुरुक्षेत्र में शनिवार काे अंतरराष्‍ट्रीय गीता जयंती महोत्‍सव का शुभारंभ हुआ। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसका उद्घाटन किया। उन्‍होंने नौकुंडीय यज्ञ में आहुति डाल कर इसका आगाज किया। इस मौके पर मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल, हरियाणा के राज्‍यपाल प्रो. कप्‍तान सिंह सोलंकी, हिमाचल के राज्‍यपाल आचार्य देवव्रत ने भी यज्ञ में आहुतियां डालीं।



राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पवित्र ब्रह्म सरोवर सहित अन्‍य स्‍थलों का अवलोकन किया। उन्‍होंने पुरुषोतमपुरा बाग का भी दौरा किया। राष्‍ट्रपति कोविंद ने ब्रह्मसरोवर के पवित्र जल का आमचन किया। इसके बाद गीता पूूजन कर नौ कुंडीय हवन में पूूर्णाहुति डालकर महोत्सव की विधिवत शुरूआत की।राष्‍ट्रपति का यहां पहुंचने पर राज्‍यपाल प्रो. कप्‍तान सिंह सोलंकी और मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने स्‍वागत किया। इस मौके पर आयोजन स्‍थल और इसके आसपास के क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा की गई थी।

दबंगों ने दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठने से रोका, पुलिस पहरे में निकली बारात

दबंगों ने दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठने से रोका, पुलिस पहरे में निकली बारात

दबंगों ने दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठने से रोका, पुलिस पहरे में निकली बारात
जयपुर। राजस्थान में अजमेर जिले के सरवर गांव में करीब एक दशक बाद दलित समाज के युवक की बारात घोड़ी पर निकली। गुरुवार को घोड़ी पर बारात निकलते समय भी विवाद हुआ, दबंगों ने दूल्हे को घोड़ी पर बैठने से रोका। लेकिन सूचना पर गांव पहुंचे पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारियों ने दलित दूल्हे की बारात घोड़ी पर निकलवाई।




जानकारी के अनुसार, दलित प्रधान बैरवा का गुरुवार को विवाह था, बारात रवाना होते समय गांव के दबंगों ने दूल्हे को घोड़ी पर बैठने से रोक दिया। दबंगों ने यह भी चेतावनी दी कि यदि फिर दूल्हे को घोड़ी पर बिठाने का प्रयास किया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस पर बैरवा समाज के लोगों ने जिला कलेक्टर गौरव गोयल व पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह से शिकायत की। कलेक्टर ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अतिरिक्त जिला कलेक्टर व उप पुलिस अधीक्षक सहित बड़ी संख्या में पुलिस के जवान गांव में भेजे। इसके बाद दूल्हा प्रधान बैरवा घोड़ी पर बैठा।




गांव के दलित समाज के लोगों ने बताया कि इस गांव में कई साल बाद दलित दूल्हा घोड़ी पर बैठा है। गांव की कुछ जातियों के दबंग किसी दलित को घोड़ी पर नहीं बैठने देते, अब तक दूल्हे को पैदल ही जाना होता था। गुरुवार को पहली बार प्रधान बैरवा ने घोड़ी पर बैठने का प्रयास किया तो दबंगों ने रोका, लेकिन प्रशासन और पुलिस के हस्तक्षेप से दबंगों को शांत करवाया गया और दलित दूल्हा घोड़ी पर बैठा। एक बुजुर्ग के अनुसार करीब 15 साल पहले भी एक दुल्हा घोड़ी पर बैठा तब भी काफी विवाद हुआ था, इसके बाद दलित दूल्हे पैदल ही जाते हैं।

सूर्य देव अपने रथ पर रोज करते हैं इंक्यावन लाख योजन की यात्रा

सूर्य देव अपने रथ पर रोज करते हैं इंक्यावन लाख योजन की यात्रा


रोज प्रात सूर्य देव अपने सात घोड़ों वाले रथ पर बैठ कर यात्रा निकलते हैं और उनकी एक परिक्रमा से पूरा होता है एक दिन। जानें उनके रथ की विशेषतायें।
सूर्य देव अपने रथ पर रोज करते हैं इंक्यावन लाख योजन की यात्रा


ऐसा है सूर्य का रथ


जिस रथ के चलने से आप दिन और रात को पहचानते हैं सूर्य देव के उस रथ का विस्तार नौ हजार योजन है। इससे दुगुना इसका ईषा-दण्ड यानि जूआ और रथ के बीच का भाग है। रथ का धुरा डेढ़ करोड़ सात लाख योजन लम्बा है, जिसमें पहिया लगा हुआ है। इस रथ के पहियों के घूमने से पूर्वाह्न, मध्याह्न और अपराह्न होते है। इसमें जुते सात घोड़ों के नाम हैं गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति। इस रथ का दूसरा धुरा साढ़े पैंतालीस सहस्र योजन लम्बा है। इसके दोनों जुओं के परिमाण के बराबर ही इसके युगार्द्धों का परिमाण है। इनमें से छोटा धुरा रथ के जूए के सहित ध्रुव के आधार पर स्थित है और दूसरे धुरे का चक्र मानसोत्तर पर्वत पर स्थित है।
सूर्य के रथ से तय होती है ऋतुएं


सूर्य के रथ की चाल पन्द्रह घड़ी में सवा सौ करोड़ साढ़े बारह लाख योजन से कुछ अधिक ही है। इसी के साथ-साथ चन्द्रमा तथा अन्य नक्षत्र भी घूमते रहते हैं। सूर्य का रथ एक मुहूर्त मतलब दो घड़ी में चौंतीस लाख आठ सौ योजन चलता है। इस रथ का संवत्सर नाम का एक पहिया है जिसके बारह अरे ही बारह मास, छः नेम छः ऋतु और तीन चौमासे हैं। इस रथ की एक धुरी मानसोत्तर पर्वत पर तथा दूसरा सिरा मेरु पर्वत पर स्थित है। इस रथ में बैठने का स्थान छत्तीस लाख योजन लम्बा है। इस रथ का सारथ्‍य अरुण नाम के सारथी करते हैं। इस तरह भगवान भुवन भास्कर नौ करोड़ इंक्यावन लाख योजन लम्बी परिधि को एक क्षण में दो सहस्त्र योजन के हिसाब से तय करते हैं।
ये है सूर्य रथ का मार्ग


सूर्य की परिक्रमा का मार्ग मानसोत्तर पर्वत पर इंक्यावन लाख योजन है। मेरु पर्वत के पूर्व की ओर इन्द्रपुरी से होते हुए दक्षिण की ओर यमपुरी से गुजर कर पश्चिम की ओर वरुणपुरी और उत्तर की ओर चन्द्रपुरी तक, मेरु पर्वत के चारों ओर सूर्य की परिक्रमा पूरी होती है। इसी यात्रा के बाद में सभी जगह कभी दिन, कभी रात्रि, कभी मध्याह्न और कभी मध्यरात्रि होती है। सूर्य जिस पुरी में उदय होते हैं उसके ठीक सामने अस्त होते प्रतीत होते हैं। जिस पुरी में मध्याह्न होता है उसके ठीक सामने अर्ध रात्रि होती है।