सोमवार, 6 मार्च 2017

भारत-पाक सीमा पर फहराया देश का सबसे ऊंचा तिरंगा



गगनचुंबी तिरंगे को लहराने की रस्म निकायमंत्री अनिल जोशी, बीएसएफ के आइजी मुकुल गोयल, डीआइजी जेएस ओबराय, आइजी दिल्ली हेडक्वाटर सुमेर सिंह और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमल शर्मा ने अदा की। तिरंगे के लहराते ही बीएसएफ के जवानों ने गार्ड आफ ऑनर दिया।
भारत-पाक सीमा पर फहराया देश का सबसे ऊंचा तिरंगा


देश का सबसे ऊंचा यह तिरंगाअंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा पर नो मेन लैंड से 150 मीटर दूर पंजाब टूरिज्म विभाग के टूरिस्ट इंफरमेशन सेंटर के बाहर स्थापित किया गया है। नगर सुधार ट्रस्ट ने साढ़े 3 करोड़ रुपये की लागत से बजाज इलेक्ट्रिकल की सहयोगी कंपनी भारत इलेक्ट्रिकल होशियारपुर से इसे तैयार कराया है। 55 टन के वजनी और 110 मीटर के पोल को खड़ा करने के लिए मुंबई से विशेषरूप से सात ट्रालों पर स्पेशल क्रेन मंगवाई गई थी।




क्रेन ने पोल लगाने का 78 लाख रुपये किराया लिया है। राष्ट्रीय ध्वज की मेंनटेनेंस का काम तीन सालों तक भारत इलेक्ट्रिकल कंपनी करेगी। राष्ट्रीय ध्वज पर पूरी लाइट जले, इसके लिए 65-65 फुट ऊंचाई के तीन अलग से पोल लगाए गए हैं। हर पिलर पर 500-500 वॉट के 12 बल्ब लगाए गए हैं। नगर सुधार ट्रस्ट और भारत इलेक्ट्रीकल कंपनी अब देश के इस सबसे ऊंचे तिरंगे का नाम लिम्का बुक आफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की प्रक्रिया शुरू करेगी।




पाक की आपत्ति के बाद बदली थी जगह




पाकिस्तान द्वारा इस पर आपत्ति उठाए जाने के बाद जून 2016 में ये प्रोजेक्ट लंबित पड़ गया था। पहले तिरंगा सद्भावना द्वार से मात्र 30 फुट की दूरी पर स्थापित किया जाना था। पाक रेंजरों की आपत्ति के बाद इसे ज्वाइंट चेक पोस्ट अटारी पर स्थित पंजाब टूरिज्म विभाग की जगह पर स्थापित किया गया है। 1 मार्च 2017 को तिरंगे के पोल में कैमरे होने की बात कहते हुए पाक रेंजरों ने फिर आपत्ति उठाई थी, जिसे बीएसएफ ने सिरे से खाजिर कर दिया था।




120 बाय 80 फुट की है विशेष फाउंडेशन




देश में सबसे ऊंचाई पर लगाए जाने वाले इस तिरंगे के लिए विशेष फाउंडेशन बनाई गई है। 30 बाय 30 फुट की फाउंडेशन, 18 फुट गहरी है। इस पर लगे 110 मीटर के पोल के कुल 18 सेक्शन है। नीचे पोल की मोटाई 1830 एमएम और ऊपर ये मोटाई 500 एमएम है। इस पर 120 बाय 80 फुट का तिरंगा लहराया गया है। प्रथम चरण में कंपनी ने छह झंडों के साथ प्रोजेक्ट शुरू किया है।




यहां-यहां लहरा रहे गगनचुंबी तिरंगे..




-रांची(पहरी मंदिर): 293 फुट

-हैदराबाद(संजीविणा पार्क): 291 फुट

-रायपुर(तीलाबंधा झील के पास) : 269 फुट

-फरीदाबाद(टाउन पार्क) : 250 फुट

-पुणे(कटराज झील के पास) : 237

-भोपाल(मंत्रालय के बाहर) : 235

-दिल्ली(सेंट्रल पार्क) : 207

-लखनऊ (जेनेश्वर मिश्रा पार्क): 207

-अमृतसर(अमृत आनंद बाग): 170





‘‘राजस्थान सिन्धी युवा सम्मेलन‘‘ सिन्धी भाषा, संस्कृति संरक्षण पर किया मंथन



‘‘राजस्थान सिन्धी युवा सम्मेलन‘‘

सिन्धी भाषा, संस्कृति संरक्षण पर किया मंथन

अजमेर, 05 मार्च। राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद द्वारा अजमेर में आयोजित एक दिवसीय सिन्धी युवा सम्मेलन का उद्घाटन सत्रा को संबोधित करते हुये कार्यक्रम अध्यक्ष राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि सिंधीयत को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान में अद्भुत काम हुए है। सिंधु सपूत महाराजा दाहरसैन व शहीद हेमू कालानी को पाठ पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है। साथ ही सन्त शिरोमणि सन्त कंवरराम, सन्त टेउराम व भगवान श्रीचन्द्र के पाठ कक्षा 6, 7 व 8 की पाठ्यपुस्तकों में जोड़े गये है। राजस्थान में सिन्धु शोध पीठ की स्थापना के अतिरिक्त व स्टेट ओपन स्कूल में हिन्दी, उर्दू, संस्कृत के साथ सिंधी को भी जोड़ा गया है। सिंधी युवा इसका लाभ उठा सकते है।

देवनानी ने कहा कि राजस्थान सिंधी युवा सम्मेलन ने नई पीढ़ी को जोड़ने का कार्य किया है तथा इस कार्यक्रम के माध्यम से यह प्रयास है कि सिन्धी युवा अखिल भारतीय सेवाओं, मीडिया क्षेत्रा तथा राज्य सेवाओं में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करें। उन्होंने राजनीतिक क्षेत्रा में भी सिन्धी समाज का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिये पुरजोर कोशिश करने का संकल्प दोहराया।

मुख्य अतिथि नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्राी श्रीचंद कृपलानी ने कहा कि यह सम्मेलन सिन्धी युवाओं के विकास की दिशा में एक मजबूत कड़ी के रूप में काम करेगा। उन्होंने कहा कि इच्छाशक्ति होगी तो मनचाहा सपना पूरा होगा। उन्होंने कहा कि जो मनचाहा सपना पूरा होगा।

रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने सिन्धी युवाओं का आह्वान किया वे अपनी संस्कृति, इतिहास को समझे तथा अपने ज्ञान का उपयोग करके रोजगार से जुड़े। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की है, उनसे जुडे, उनकी जानकारी रखें।

चैहटन, बाड़मेर के विधायक तरूण राय कागा ने कहा कि हमें संस्कृति का साथ नहीं छोडना चाहिए तभी हम सच्चे अर्थों में सफलता हासिल कर पाएंगे।

भारतीय सिन्धु सभा के कार्यकारी अध्यक्ष लधाराम नागवानी ने कहा कि इस कार्यक्रम से जो भी संदेश लेकर विभिन्न शहरों के प्रतिनिधि जाएं वे उसका प्रचार करें, उसमें युवाआंे को जोड़े।

कार्यक्रम में महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराज महाराज ने कहा कि सिन्धी नौजवानों को अपनी अहमियत को पहचानना होगा। उन्होंने कहा कि प्रचार के इस युग का ध्यान रखते हुए विभिन्न अभिनव माध्यमों से सिन्धी नौजवानों तक वह सब जानकारियां पहुंचाए जिनके जरिए वे अखिल भारतीय सेवाओं सहित रोजगार के प्रमुख क्षेत्रों में सफलताएं हासिल कर पाएं। सिंधी भाषा, सभ्यता, संस्कृति, संगीत एवं साहित्य के विकास के लिए सबकों मिलकर कार्य करना चाहिए। प्रत्येक सप्ताह कम से कम एक घंटा परिवार के साथ बैठकर सिंधी भाषा उपयोग करने का संकल्प दिलाया। उन्होंने एक विशाल सिन्धु तीर्थ बनाने का सुझाव दिया।

सिन्धी युवा महोत्सव के संयोजक एवं राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के सदस्य मनीष देवनानी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य मकसद सिन्धी संस्कृति के प्रचार के साथ-साथ सिन्धी नौजवानों को रोजगार से जोड़ना, उन्हे मार्गदर्शन देना है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में प्रमुख 30 शहरों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के निदेशक डाॅ0 रवि प्रकाश टेकचन्दानी ने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि सिन्धी भाषा को विभिन्न अभिनव तरीकांे के द्वारा रोजगार से जोड़े। उन्होंने कहा कि इसी दिशा में सिन्धी शोध पीठ की स्थापना देश के अलग अलग विश्वविद्यालयों में की गई है। उन्होंने कहा कि जब तक हम सपने नहीं देखेंगे तब तक उन सपनों को पूरा करने का जज्बा नहीं जगेगा।

राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के वाइस चैयरमेन डाॅ0 अरूणा जेठवानी ने कहा कि हमारी उम्मीद नौजवानो के साथ बंधी है, नौजवान अपनी सिन्धी विरासत, सिन्धी भाषा को साथ लेकर बढेंगे तो ’’डिजिटल वल्र्ड’’ सहित हर क्षेत्रा में अपनी क्षमता को प्रदर्शित कर पाऐंगे। उन्होंने कहा कि सिन्धी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति की विरासत बहुत समृद्ध है।

नेशनल इन्स्टीट्यूट फाॅर आॅपन स्कूलिंग के अध्यक्ष प्रो. सी.बी.शर्मा ने कहा कि समाज का अस्तित्व भाषा व संस्कृति पर निर्भर करता है। सिन्धी समृद्ध होगी तो देश की सृमद्धि को बल मिलेगा। उन्होंने बताया कि नेशनल इन्स्टीट्यूट फाॅर आॅपन स्कूलिंग सिन्धी पढ़ाने की योग्यता का प्रशिक्षण शिक्षकों को देगा तथा उन्हें इसके प्रमाण पत्रा भी देगा।

इग्नू के निदेशक राजेन्द्र पाण्डे ने कहा कि सिन्धी भाषा के जरिए युवाओं को विकास की डगर पर ले जाना हमारा मकसद है।

सिन्धी युवा सम्मेलन के द्वितीय सत्रा में ’’सिन्धी शिक्षा एवं रोजगार’’ पर बोलते हुए जिस्ट-सी-डैक पूना के प्रतिनिधि भोजराज लेखवानी ने कहा कि सिन्धी भाषा को डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ने की दिशा में कई प्रयास शुरू किए गए हैं तथा इसके मानकीकरण पर भी कार्य किया जा रहा है। इसमें ई-बुक्स और मोबाईल पर इसके इस्तेमाल को भी जोड़ा गया है।

महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर में स्थापित सिन्धु शोध पीठ की निदेशक प्रो. लक्ष्मी ठाकुर ने कहा कि सिन्धी भाषा, साहित्य, संस्कृति पर शोध करने के लिए युवा आगे आएं।

समापन सत्रा में महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराज महाराज ने कहा कि सिन्धी एवं सिन्धियत को बनाए रखने के लिए युवा शिक्षा से जुडे़।

वक्ता डा0 सुरेश बबलानी ने कहा कि नाटक, संगीत, गीत के क्षेत्रा में सिन्धी भाषा का प्रतिनिधित्व कराने की अनेक सम्भावनाएं है। उन्होंने सिन्धी कल्चर के लिए एक विभाग का सुझाव रखा।

वक्ता डाॅ0 कमला गोकलानी ने कहा कि सिन्धी संस्कृति के जरिए रोजगार के क्षेत्रा में युवा आ रहे हैं इसे प्रचारित करने की जरूरत है।

अध्यक्षता करते हुए भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्राी गुलाब ठाकुर ने कहा कि हमें बच्चों को यह संस्कार देने चाहिए कि वे अंग्रेजी और हिन्दी के साथ सिन्धी भी सीखे।

इस कार्यक्रम के बाद जवाहर रंगमंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ जिसमें इष्टदेव श्री झूलेलाल के चित्रा के समक्ष मुख्य अतिथि स्वायत्त शासन मंत्राी श्रीचंद कृपलानी, अध्यक्षता कर रहे पंचायतराज व शिक्षा राज्यमंत्राी वासुदेव देवनानी व महामण्डलेश्वर स्वामी हंसाराम सहित विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा डाॅ0 सुरेश बबलानी द्वारा लिखित पुस्तक ’’हरी हिनथानी’’, डाॅ0 किशन रतनानी, कोटा की पुस्तक ’’कहानी संग्रह- अम्मा’’, डाॅ0 कमलेश प्रीतवानी की पर्यावरण पर लिखी गई पुस्तक तथा सिन्धी संगीत समिति की स्मारिका का विमोचन किया गया।

कविता इसरानी द्वारा निर्देशित व लक्ष्मी खिलवानी द्वारा लिखित नाटक ’’वारी अ सन्दो कोटु’’ का मंचन किया गया।

कार्यक्रम संयोजक मनीष देवनानी द्वारा आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में जयकिशन पारवानी, डाॅ0 सुरेश बबलानी, डाॅ प्रताप पिंजानी, दीपेन्द्र लालवानी, तुलसी सोनी, डाॅ लाल थदानी, मनोहर मोटवानी, कमला गोकलानी, पारस लौंगानी, प्रकाश टहिलयानी, राजू उदेरानी, ललित शिवनानी, डाॅ विनोद टेकचन्दानी, सविता खुराना, डाॅ अशोक सेवानी, डाॅ राजेश रंगवानी, भरत गोकलानी, मुकेश सुखीजा, महेश सावलानी, गोविन्द खटवानी, जयप्रकाश गोकलानी, नरेश रावलानी, रमेश चेलानी, घनश्याम भूरानी, गोविन्द जेनानी, किशन बालानी, काजल जेठवानी, श्वेता शर्मा, अनिता शिवनानी, दयाल नवलानी, ओमप्रकाश हीरानन्दानी, मोहन कोटवानी, भानू पारवानी, पुरूषोत्तम तेजवानी, तरूण लालवानी, रमेश वलिरमानी, राजेन्द्र जयसिंघानी, कृष्णा मेघानी, घनश्याम भगत, ओमप्रकाश छुगानी, दिनेश साजनानी, तरूण सखलानी आदि का योगदान रहा।

महिलाओं के शिक्षित होने से ही प्रदेश में कम होने लगे हैं बाल विवाह



महिलाओं के शिक्षित होने से ही प्रदेश में कम होने लगे हैं बाल विवाह
- महिला एवं बाल विकास मंत्री

‘आओ साथ चलें‘ के आगाज से हुआ दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के कार्यक्रम का समापन।

जयपुर, 5 मार्च। ‘आओ साथ चलें‘ की थीम पर शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के राज्य स्तरीय कार्यक्रम का समापन रविवार को जेईसीसी के ऑडिटोरियम में हजारों महिलाओं की मौजूदगी और रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ।

स्वास्थ्य मंत्री श्री कालीचरण सराफ ने कहा कि महिलाएं किसी भी लिहाज से पुरुषों से कम नहीं है। अगर महिलाएं नहीं होती तो ओलंपिक में भारतीय मन मसोस कर रह जाते। उन्होंने कहा कि महिलाओं को उनका वास्तविक हक दिलाने के लिए पुरुष प्रधान समाज की सोच में परिवर्तन लाना होगा।

उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने इस मौके पर कहा कि बेटियां होती ही सबसे विशेष हैं। बेटियों और महिलाओं के बिना स्वस्थ समाज की कल्पना करना ही बेमानी है। उन्होंने कहा कि समाज में बाल विवाह सबसे बड़ी कुरीति है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी जन प्रतिनिधियों से अपील की कि वे अपने-अपने क्षेत्र में होने वाले बाल विवाहों को रुकवाएं और परिजनों के सामने आने वाली वास्तविक समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करें।

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में महिलाएं शिक्षित हो रही हैं इसी का परिणाम है कि आज राज्य में बाल विवाह का आंकड़ा 65 प्रतिशत से 35 प्रतिशत पर आ गया। इस आंकड़े को जीरो पर लाना ही हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही वह द्वार है, जो महिलाओं और समाज को कुरीतियों से दूर कर सकता है। महिलाएं सशक्त बने, नेतृत्वशील बने और पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलें इसके लिए सबसे उन्हें शिक्षित होना पड़ेगा।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती सुमन शर्मा ने कहा कि महिलाएं हमेशा से सशक्त रही हैं। केवल उन्हें उनकी शक्ति का अहसास कराते हुए, सम्बल देते हुए उनका आत्मविश्वास बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि समाज महिलाओं को साथ लेकर उनका सम्मान करते हुए आगे बढ़ेगा तो महिलाएं खुद ब खुद सशक्त होती चली जाएंगी।

इस अवसर पर यूएनएफपीए के प्रमुख श्री डिएगो पैलियोसियोस ने कहा कि यूनिसेफ और राज्य सरकार के साथ प्रदेश में बाल विवाह रोकथाम के लिए बेहतरीन काम हो रहा है। अगर समाज का हर तबका बाल विवाह को रोकने के लिए काम करे तो तस्वीर और भी बेहतर हो सकती है।

महिला बाल विकास विभाग के सचिव श्री कुलदीप रांका ने बताया कि प्रदेश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रदेश में सप्ताह भर मनाया जा रहा है। इस अवसर पद उन्होंने विभाग द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री राजश्री योजना, साझा अभियान, डायन प्रथा जैसे कई प्रयासों से लोगों को रूबरू करवाया।

इस अवसर पर विभाग द्वारा राजस्थान में बाल विवाह रोकथाम की रणनीति पर कार्ययोजना का भी लोकार्पण किया गया। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने उपस्थित सभी लोगों को बाल विवाह ना करने की शपथ दिलवाई। महिलाओं से भरे हॉल में जब पार्श्व गायक रवीन्द्र उपाध्याय ने बाल विवाह मुक्त राजस्थान का सिग्नेचर सॉन्ग ‘बाल विवाह नहीं होगा अब पूरे राजस्थान में‘ गाया तो उपस्थित हुजूम ने जमकर साथ दिया। कार्यक्रम के मध्य में वनस्थली विद्यापीठ के म्यूजिकल बैंड ने ट्रेडिशनल वाद्य यंत्रों पर बेहतरीन प्रस्तुति दी।

पुरस्कार और विशेष सम्मान की कड़ी में झालावाड़ की सुश्री प्रतिमा सिंह चौहान को महिला शक्ति पुरस्कार-2016-17 से नवाजा गया। सर्वश्रेष्ठ विभागीय अधिकारी का पुरस्कार महिला अधिकारिता विभाग के राज्य समन्वयक डॉ. जगदीश प्रसाद और उदयपुर की कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती रश्मि कौशिश को दिया गया। सर्वश्रेष्ठ साथिन पुरस्कार धौलपुर की श्रीमती सुमन शर्मा को और मां यशोदा पुरस्कार श्रीमती जयपुर की श्रीमती इशरत को, श्रेष्ठ सहायिका पुरस्कार भीलवाड़ा की श्रीमती आशा पुरी और श्रेष्ठ आशा सहयोगिनी के तौर पर चूरू की श्रीमती शारदा देवी को चुना गया।

इस अवसर पर महिला विधायक, जिला प्रमुख, उप जिला प्रमुख, नगर पालिका अध्यक्ष, प्रधान, उप प्रधान, जिला परिषद सदस्य सहित अनेक महिलाओं और छात्राओं ने भाग लिया।

रविवार, 5 मार्च 2017

राजस्थान के सभी जिले में खुलेंगे महिला विधिक सहायता क्लिनिक



राजस्थान के सभी जिले में खुलेंगे महिला विधिक सहायता क्लिनिक

राजस्थान के सभी जिले में खुलेंगे महिला विधिक सहायता क्लिनिक

महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक और सशक्त बनाने के उद्देश्य से राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है.

हाईकोर्ट जस्टिस और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष के एस झवेरी के निर्देश पर प्रदेश के प्रत्येक जिले में महिला विधिक सहायता क्लिनिक खुलने जा रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक साथ प्रदेश के 33 जिलों में इन क्लिनिक्स को शुरू किया जाएगा. इस पूरी योजना के बारे में जानकारी देते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव एस के जैन ने बताया कि महिला विधिक सहायता क्लिनिक के पैनल में एक अधिवक्ता और 2 महिला पीएलवी मौजूद रहेंगी.
उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि प्रत्येक महिला अपने कानूनी अधिकारों के प्रति जागरुक रहे. वहीं जरूरत पड़ने पर इसे इस्तेमाल भी कर सके. इसके लिए इन विधिक सहायता क्लिनिक को शुरू किया जा रहा है.
यहां महिलाओं की हर तरह की विधिक मदद की जाएगी. ये सभी क्लिनिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के भवन में ही संचालित होंगे. यहां जाकर कोई भी महिला विधिक सहायता ले सकेंगी.

बेरहम पति ने लाठी से पीट-पीटकर पत्नी को उतारा मौत के घाट, गिरफ्तार



बेरहम पति ने लाठी से पीट-पीटकर पत्नी को उतारा मौत के घाट, गिरफ्तारबेरहम पति ने लाठी से पीट-पीटकर पत्नी को उतारा मौत के घाट, गिरफ्तार

जालोर जिले के रानीवाड़ा के निकट मालवाड़ा कस्बे में गृह क्लेश के चलते पति ने पत्नी को लाठी से पीट पीट कर मौत के घाट उतार दिया, जिससे आस पास के क्षेत्र में सनसनी फैल गई.
जानकारी के अनुसार, शुक्रवार देर रात को मालवाड़ा निवासी हरीराम भील ने अपनी पत्नी को गृह क्लेश के चलते देर रात लाठी से पीट-पीटकर हत्या कर दी.बताया जा रहा है कि दिन मृतका के साथ मारपीट करता रहता था, जिससे वह परेशान होकर अपने पीहर चली गई थी, लेकिन उसके बच्चों की देखभाल नहीं होने के कारण वह शनिवार की शाम को ही पीहर से लौटी थी और रात में आरोपी ने मृतका के दोनों पैर तोड़ दिए.
इसके बाद भी बेरहम पति का कलेजा नहीं पसीजा और सिर पर लाठी से ताबड़-तोड़ वार कर उसे मौत के घाट उतार दिया. वहीं रोने-चिल्लाने की आवाज को सुनकर पड़ोसी मौके पर पहुंचे और मृतका के पीहर पक्ष को सूचना दी. साथ ही उसे अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो गई थी.
वहीं रात का समय होने पर शव को मोर्चरी में रखवाया गया और पुलिस ने आरोपी को मालवाड़ा कस्बे से गिरफ्तार कर लिया. परिजनों कि ओर से पेश रिपोर्ट पर पुलिस ने धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
पुलिस ने शव का पोस्टमार्टन करवा कर शव का अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सुपुर्द किया गया है. वहीं आरोपी ने पुलिस की पूछताझ में अपनी पत्नी की हत्या करना कबूल कर लिया है.