सोमवार, 6 मार्च 2017

महिलाओं के शिक्षित होने से ही प्रदेश में कम होने लगे हैं बाल विवाह



महिलाओं के शिक्षित होने से ही प्रदेश में कम होने लगे हैं बाल विवाह
- महिला एवं बाल विकास मंत्री

‘आओ साथ चलें‘ के आगाज से हुआ दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के कार्यक्रम का समापन।

जयपुर, 5 मार्च। ‘आओ साथ चलें‘ की थीम पर शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के राज्य स्तरीय कार्यक्रम का समापन रविवार को जेईसीसी के ऑडिटोरियम में हजारों महिलाओं की मौजूदगी और रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ।

स्वास्थ्य मंत्री श्री कालीचरण सराफ ने कहा कि महिलाएं किसी भी लिहाज से पुरुषों से कम नहीं है। अगर महिलाएं नहीं होती तो ओलंपिक में भारतीय मन मसोस कर रह जाते। उन्होंने कहा कि महिलाओं को उनका वास्तविक हक दिलाने के लिए पुरुष प्रधान समाज की सोच में परिवर्तन लाना होगा।

उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने इस मौके पर कहा कि बेटियां होती ही सबसे विशेष हैं। बेटियों और महिलाओं के बिना स्वस्थ समाज की कल्पना करना ही बेमानी है। उन्होंने कहा कि समाज में बाल विवाह सबसे बड़ी कुरीति है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी जन प्रतिनिधियों से अपील की कि वे अपने-अपने क्षेत्र में होने वाले बाल विवाहों को रुकवाएं और परिजनों के सामने आने वाली वास्तविक समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करें।

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में महिलाएं शिक्षित हो रही हैं इसी का परिणाम है कि आज राज्य में बाल विवाह का आंकड़ा 65 प्रतिशत से 35 प्रतिशत पर आ गया। इस आंकड़े को जीरो पर लाना ही हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही वह द्वार है, जो महिलाओं और समाज को कुरीतियों से दूर कर सकता है। महिलाएं सशक्त बने, नेतृत्वशील बने और पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलें इसके लिए सबसे उन्हें शिक्षित होना पड़ेगा।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती सुमन शर्मा ने कहा कि महिलाएं हमेशा से सशक्त रही हैं। केवल उन्हें उनकी शक्ति का अहसास कराते हुए, सम्बल देते हुए उनका आत्मविश्वास बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि समाज महिलाओं को साथ लेकर उनका सम्मान करते हुए आगे बढ़ेगा तो महिलाएं खुद ब खुद सशक्त होती चली जाएंगी।

इस अवसर पर यूएनएफपीए के प्रमुख श्री डिएगो पैलियोसियोस ने कहा कि यूनिसेफ और राज्य सरकार के साथ प्रदेश में बाल विवाह रोकथाम के लिए बेहतरीन काम हो रहा है। अगर समाज का हर तबका बाल विवाह को रोकने के लिए काम करे तो तस्वीर और भी बेहतर हो सकती है।

महिला बाल विकास विभाग के सचिव श्री कुलदीप रांका ने बताया कि प्रदेश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रदेश में सप्ताह भर मनाया जा रहा है। इस अवसर पद उन्होंने विभाग द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री राजश्री योजना, साझा अभियान, डायन प्रथा जैसे कई प्रयासों से लोगों को रूबरू करवाया।

इस अवसर पर विभाग द्वारा राजस्थान में बाल विवाह रोकथाम की रणनीति पर कार्ययोजना का भी लोकार्पण किया गया। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने उपस्थित सभी लोगों को बाल विवाह ना करने की शपथ दिलवाई। महिलाओं से भरे हॉल में जब पार्श्व गायक रवीन्द्र उपाध्याय ने बाल विवाह मुक्त राजस्थान का सिग्नेचर सॉन्ग ‘बाल विवाह नहीं होगा अब पूरे राजस्थान में‘ गाया तो उपस्थित हुजूम ने जमकर साथ दिया। कार्यक्रम के मध्य में वनस्थली विद्यापीठ के म्यूजिकल बैंड ने ट्रेडिशनल वाद्य यंत्रों पर बेहतरीन प्रस्तुति दी।

पुरस्कार और विशेष सम्मान की कड़ी में झालावाड़ की सुश्री प्रतिमा सिंह चौहान को महिला शक्ति पुरस्कार-2016-17 से नवाजा गया। सर्वश्रेष्ठ विभागीय अधिकारी का पुरस्कार महिला अधिकारिता विभाग के राज्य समन्वयक डॉ. जगदीश प्रसाद और उदयपुर की कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती रश्मि कौशिश को दिया गया। सर्वश्रेष्ठ साथिन पुरस्कार धौलपुर की श्रीमती सुमन शर्मा को और मां यशोदा पुरस्कार श्रीमती जयपुर की श्रीमती इशरत को, श्रेष्ठ सहायिका पुरस्कार भीलवाड़ा की श्रीमती आशा पुरी और श्रेष्ठ आशा सहयोगिनी के तौर पर चूरू की श्रीमती शारदा देवी को चुना गया।

इस अवसर पर महिला विधायक, जिला प्रमुख, उप जिला प्रमुख, नगर पालिका अध्यक्ष, प्रधान, उप प्रधान, जिला परिषद सदस्य सहित अनेक महिलाओं और छात्राओं ने भाग लिया।

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