सोमवार, 6 मार्च 2017

‘‘राजस्थान सिन्धी युवा सम्मेलन‘‘ सिन्धी भाषा, संस्कृति संरक्षण पर किया मंथन



‘‘राजस्थान सिन्धी युवा सम्मेलन‘‘

सिन्धी भाषा, संस्कृति संरक्षण पर किया मंथन

अजमेर, 05 मार्च। राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद द्वारा अजमेर में आयोजित एक दिवसीय सिन्धी युवा सम्मेलन का उद्घाटन सत्रा को संबोधित करते हुये कार्यक्रम अध्यक्ष राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि सिंधीयत को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान में अद्भुत काम हुए है। सिंधु सपूत महाराजा दाहरसैन व शहीद हेमू कालानी को पाठ पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है। साथ ही सन्त शिरोमणि सन्त कंवरराम, सन्त टेउराम व भगवान श्रीचन्द्र के पाठ कक्षा 6, 7 व 8 की पाठ्यपुस्तकों में जोड़े गये है। राजस्थान में सिन्धु शोध पीठ की स्थापना के अतिरिक्त व स्टेट ओपन स्कूल में हिन्दी, उर्दू, संस्कृत के साथ सिंधी को भी जोड़ा गया है। सिंधी युवा इसका लाभ उठा सकते है।

देवनानी ने कहा कि राजस्थान सिंधी युवा सम्मेलन ने नई पीढ़ी को जोड़ने का कार्य किया है तथा इस कार्यक्रम के माध्यम से यह प्रयास है कि सिन्धी युवा अखिल भारतीय सेवाओं, मीडिया क्षेत्रा तथा राज्य सेवाओं में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करें। उन्होंने राजनीतिक क्षेत्रा में भी सिन्धी समाज का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिये पुरजोर कोशिश करने का संकल्प दोहराया।

मुख्य अतिथि नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्राी श्रीचंद कृपलानी ने कहा कि यह सम्मेलन सिन्धी युवाओं के विकास की दिशा में एक मजबूत कड़ी के रूप में काम करेगा। उन्होंने कहा कि इच्छाशक्ति होगी तो मनचाहा सपना पूरा होगा। उन्होंने कहा कि जो मनचाहा सपना पूरा होगा।

रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने सिन्धी युवाओं का आह्वान किया वे अपनी संस्कृति, इतिहास को समझे तथा अपने ज्ञान का उपयोग करके रोजगार से जुड़े। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की है, उनसे जुडे, उनकी जानकारी रखें।

चैहटन, बाड़मेर के विधायक तरूण राय कागा ने कहा कि हमें संस्कृति का साथ नहीं छोडना चाहिए तभी हम सच्चे अर्थों में सफलता हासिल कर पाएंगे।

भारतीय सिन्धु सभा के कार्यकारी अध्यक्ष लधाराम नागवानी ने कहा कि इस कार्यक्रम से जो भी संदेश लेकर विभिन्न शहरों के प्रतिनिधि जाएं वे उसका प्रचार करें, उसमें युवाआंे को जोड़े।

कार्यक्रम में महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराज महाराज ने कहा कि सिन्धी नौजवानों को अपनी अहमियत को पहचानना होगा। उन्होंने कहा कि प्रचार के इस युग का ध्यान रखते हुए विभिन्न अभिनव माध्यमों से सिन्धी नौजवानों तक वह सब जानकारियां पहुंचाए जिनके जरिए वे अखिल भारतीय सेवाओं सहित रोजगार के प्रमुख क्षेत्रों में सफलताएं हासिल कर पाएं। सिंधी भाषा, सभ्यता, संस्कृति, संगीत एवं साहित्य के विकास के लिए सबकों मिलकर कार्य करना चाहिए। प्रत्येक सप्ताह कम से कम एक घंटा परिवार के साथ बैठकर सिंधी भाषा उपयोग करने का संकल्प दिलाया। उन्होंने एक विशाल सिन्धु तीर्थ बनाने का सुझाव दिया।

सिन्धी युवा महोत्सव के संयोजक एवं राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के सदस्य मनीष देवनानी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य मकसद सिन्धी संस्कृति के प्रचार के साथ-साथ सिन्धी नौजवानों को रोजगार से जोड़ना, उन्हे मार्गदर्शन देना है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में प्रमुख 30 शहरों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के निदेशक डाॅ0 रवि प्रकाश टेकचन्दानी ने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि सिन्धी भाषा को विभिन्न अभिनव तरीकांे के द्वारा रोजगार से जोड़े। उन्होंने कहा कि इसी दिशा में सिन्धी शोध पीठ की स्थापना देश के अलग अलग विश्वविद्यालयों में की गई है। उन्होंने कहा कि जब तक हम सपने नहीं देखेंगे तब तक उन सपनों को पूरा करने का जज्बा नहीं जगेगा।

राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के वाइस चैयरमेन डाॅ0 अरूणा जेठवानी ने कहा कि हमारी उम्मीद नौजवानो के साथ बंधी है, नौजवान अपनी सिन्धी विरासत, सिन्धी भाषा को साथ लेकर बढेंगे तो ’’डिजिटल वल्र्ड’’ सहित हर क्षेत्रा में अपनी क्षमता को प्रदर्शित कर पाऐंगे। उन्होंने कहा कि सिन्धी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति की विरासत बहुत समृद्ध है।

नेशनल इन्स्टीट्यूट फाॅर आॅपन स्कूलिंग के अध्यक्ष प्रो. सी.बी.शर्मा ने कहा कि समाज का अस्तित्व भाषा व संस्कृति पर निर्भर करता है। सिन्धी समृद्ध होगी तो देश की सृमद्धि को बल मिलेगा। उन्होंने बताया कि नेशनल इन्स्टीट्यूट फाॅर आॅपन स्कूलिंग सिन्धी पढ़ाने की योग्यता का प्रशिक्षण शिक्षकों को देगा तथा उन्हें इसके प्रमाण पत्रा भी देगा।

इग्नू के निदेशक राजेन्द्र पाण्डे ने कहा कि सिन्धी भाषा के जरिए युवाओं को विकास की डगर पर ले जाना हमारा मकसद है।

सिन्धी युवा सम्मेलन के द्वितीय सत्रा में ’’सिन्धी शिक्षा एवं रोजगार’’ पर बोलते हुए जिस्ट-सी-डैक पूना के प्रतिनिधि भोजराज लेखवानी ने कहा कि सिन्धी भाषा को डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ने की दिशा में कई प्रयास शुरू किए गए हैं तथा इसके मानकीकरण पर भी कार्य किया जा रहा है। इसमें ई-बुक्स और मोबाईल पर इसके इस्तेमाल को भी जोड़ा गया है।

महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर में स्थापित सिन्धु शोध पीठ की निदेशक प्रो. लक्ष्मी ठाकुर ने कहा कि सिन्धी भाषा, साहित्य, संस्कृति पर शोध करने के लिए युवा आगे आएं।

समापन सत्रा में महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराज महाराज ने कहा कि सिन्धी एवं सिन्धियत को बनाए रखने के लिए युवा शिक्षा से जुडे़।

वक्ता डा0 सुरेश बबलानी ने कहा कि नाटक, संगीत, गीत के क्षेत्रा में सिन्धी भाषा का प्रतिनिधित्व कराने की अनेक सम्भावनाएं है। उन्होंने सिन्धी कल्चर के लिए एक विभाग का सुझाव रखा।

वक्ता डाॅ0 कमला गोकलानी ने कहा कि सिन्धी संस्कृति के जरिए रोजगार के क्षेत्रा में युवा आ रहे हैं इसे प्रचारित करने की जरूरत है।

अध्यक्षता करते हुए भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्राी गुलाब ठाकुर ने कहा कि हमें बच्चों को यह संस्कार देने चाहिए कि वे अंग्रेजी और हिन्दी के साथ सिन्धी भी सीखे।

इस कार्यक्रम के बाद जवाहर रंगमंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ जिसमें इष्टदेव श्री झूलेलाल के चित्रा के समक्ष मुख्य अतिथि स्वायत्त शासन मंत्राी श्रीचंद कृपलानी, अध्यक्षता कर रहे पंचायतराज व शिक्षा राज्यमंत्राी वासुदेव देवनानी व महामण्डलेश्वर स्वामी हंसाराम सहित विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा डाॅ0 सुरेश बबलानी द्वारा लिखित पुस्तक ’’हरी हिनथानी’’, डाॅ0 किशन रतनानी, कोटा की पुस्तक ’’कहानी संग्रह- अम्मा’’, डाॅ0 कमलेश प्रीतवानी की पर्यावरण पर लिखी गई पुस्तक तथा सिन्धी संगीत समिति की स्मारिका का विमोचन किया गया।

कविता इसरानी द्वारा निर्देशित व लक्ष्मी खिलवानी द्वारा लिखित नाटक ’’वारी अ सन्दो कोटु’’ का मंचन किया गया।

कार्यक्रम संयोजक मनीष देवनानी द्वारा आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में जयकिशन पारवानी, डाॅ0 सुरेश बबलानी, डाॅ प्रताप पिंजानी, दीपेन्द्र लालवानी, तुलसी सोनी, डाॅ लाल थदानी, मनोहर मोटवानी, कमला गोकलानी, पारस लौंगानी, प्रकाश टहिलयानी, राजू उदेरानी, ललित शिवनानी, डाॅ विनोद टेकचन्दानी, सविता खुराना, डाॅ अशोक सेवानी, डाॅ राजेश रंगवानी, भरत गोकलानी, मुकेश सुखीजा, महेश सावलानी, गोविन्द खटवानी, जयप्रकाश गोकलानी, नरेश रावलानी, रमेश चेलानी, घनश्याम भूरानी, गोविन्द जेनानी, किशन बालानी, काजल जेठवानी, श्वेता शर्मा, अनिता शिवनानी, दयाल नवलानी, ओमप्रकाश हीरानन्दानी, मोहन कोटवानी, भानू पारवानी, पुरूषोत्तम तेजवानी, तरूण लालवानी, रमेश वलिरमानी, राजेन्द्र जयसिंघानी, कृष्णा मेघानी, घनश्याम भगत, ओमप्रकाश छुगानी, दिनेश साजनानी, तरूण सखलानी आदि का योगदान रहा।

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